scorecardresearch
 

24 साल में 40 करोड़ बढ़ गए भारतीय, फिर भी ज्यादा बच्चे पैदा करने की बात क्यों कर रहे मोहन भागवत?

नीति आयोग की एक रिपोर्ट बताती है कि 1950 के दशक में भारत में हर महिला औसतन 6 बच्चों को जन्म देती थी. साल 2000 तक ये फर्टिलिटी रेट घटकर 3.4 पर आ गई. 2050 तक फर्टिलिटी रेट 1.7 तक आने का अनुमान है.

Advertisement
X
भारत की आबादी 140 करोड़ के आसपास है. (प्रतीकात्मक तस्वीर-Meta AI)
भारत की आबादी 140 करोड़ के आसपास है. (प्रतीकात्मक तस्वीर-Meta AI)

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने घटती आबादी को समाज के लिए चिंताजनक बताया है. रविवार को एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा, एक महिला को अपने जीवन में कम से कम तीन बच्चे पैदा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर किसी समाज की जन्मदर (फर्टिलिटी रेट) 2.1 से नीचे गिर जाए तो समाज अपने आप खत्म हो जाता है.

Advertisement

भागवत ने कहा, पहले ही कई भाषाएं और संस्कृति खत्म हो चुकी हैं. इसलिए फर्टिलिटी रेट 2.1 से ऊपर रखना जरूरी है. अगर ये 2.1 से नीचे आती है तो उस समाज के विलुप्त होने का खतरा बढ़ जाता है.

उन्होंने कहा, हमारे देश में जनसंख्या नीति 1998 या 2002 में बनाई गई थी. उसमें साफ कहा गया था कि फर्टिलिटी रेट 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए. इसलिए हर दंपति को कम से कम 3 बच्चे पैदा करना चाहिए.

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के मुताबिक, भारत में टोटल फर्टिलिटी रेट 2.2 से घटकर 2.0 पर आ गई है. टोटल फर्टिलिटी रेट यानी, एक महिला अपने जीवनकाल में कितने बच्चों को जन्म दे रही है या जन्म दे सकती है. संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज के अनुसार, फर्टिलिटी रेट 2.1 होना चाहिए. वो इसलिए ताकि पीढ़ियां बढ़ सके.

Advertisement

जब 1990-92 में पहली बार सर्वे हुआ था, तब देश में फर्टिलिटी रेट 3.4 थी. यानी उस वक्त एक महिला औसतन 3 से ज्यादा बच्चे पैदा करती थी. लेकिन उसके बाद से फर्टिलिटी रेट में लगाातर गिरावट आ रही है.

घटती फर्टिलिटी रेट का असर ये होता है कि बुजुर्ग आबादी तेजी से बढ़ती है. पिछले साल संयुक्त राष्ट्र ने 'इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023' जारी की थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 2050 तक भारत की आबादी में 20.8% हिस्सेदारी बुजुर्गों की होगी. 

बुजुर्ग यानी जिनकी उम्र 60 साल या उससे ज्यादा होगी. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2010 के बाद से भारत में बुजुर्गों की आबादी तेजी से बढ़ रही है. इसकी वजह से 15 साल से कम उम्र के लोगों की आबादी में हिस्सेदारी घट रही है और बुजुर्ग बढ़ रहे हैं. 

रिपोर्ट के मुताबिक, एक जुलाई 2022 तक देश में बुजुर्गों की आबादी 14.9 करोड़ थी. तब आबादी में बुजुर्गों की हिस्सेदारी 10.5 फीसदी थी. लेकिन 2050 तक भारत में बुजुर्गों की संख्या 34.7 करोड़ होने का अनुमान है. ऐसा हुआ तो उस समय भारत की आबादी में 20.8 फीसदी बुजुर्ग होंगे. जबकि, इस सदी के अंत तक यानी 2100 तक भारत की 36 फीसदी से ज्यादा आबादी बुजुर्ग होगी.

Advertisement

इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि 2022 से 2050 के दौरान भारत की आबादी 18% बढ़ जाएगी. जबकि, बुजुर्गों की आबादी 134% बढ़ने का अनुमान है. वहीं, 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की आबादी 279% तक बढ़ सकती है. 

नीति आयोग की एक रिपोर्ट बताती है कि 1950 के दशक में भारत में हर महिला औसतन 6 बच्चों को जन्म देती थी. साल 2000 तक ये फर्टिलिटी रेट घटकर 3.4 पर आ गई. 2019-21 के बीच हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) में सामने आया है कि भारत में फर्टिलिटी रेट 2 पर आ गई है. यानी, अब भारतीय महिलाएं औसतन 2 बच्चों को जन्म दे रहीं हैं. 2050 तक फर्टिलिटी रेट 1.7 तक आने का अनुमान है.

देश में एक तरफ ज्यादा बच्चे पैदा करने पर जोर दिया जाता है लेकिन वास्तविकता है कि अधिकतर महिलाएं कम बच्चों की चाह रखती हैं. NFHS-5 के मुताबिक, ज्यादातर भारतीय महिलाएं एक बच्चा ही चाहती हैं. इस समय देश में फर्टिलिटी रेट 2.0 है, जबकि महिलाएं 1.6 चाहती हैं.

सर्वे के मुताबिक, जिनके दो बच्चे हैं, उनमें से 86 फीसदी पुरुष और महिलाएं अब तीसरा बच्चा नहीं चाहते. आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि जो कम पढ़े-लिखे हैं, वो ज्यादा बच्चे चाहते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. जो महिलाएं कभी स्कूल नहीं गईं, उनमें फर्टिलिटी रेट 2.8 है, जबकि वो 2.2 चाहती हैं.

Advertisement

भारतीय समाज में लड़कियों की तुलना में लड़कों को ज्यादा तवज्जो दी जाती है. ज्यादातर दंपति लड़का ही चाहते हैं. लड़के की ख्वाहिश ही महिलाओं को ज्यादा बच्चा पैदा करने के लिए मजबूर करती है. सर्वे के मुताबिक, 35 फीसदी महिलाएं जिनका कोई लड़का नहीं है, वही तीसरा बच्चा पैदा करना चाहती हैं. महज 9 फीसदी महिलाएं हीं ऐसी हैं, जिनके दो लड़के हैं और फिर भी वो एक और बच्चा चाहती हैं.

फिर भी तेजी से बढ़ रही आबादी

आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई थी, तब भारत की आबादी 121 करोड़ से ज्यादा थी. 2001 की तुलना में 2011 में भारत की आबादी 17.7% तक बढ़ गई थी. 2001 में देश की आबादी 102 करोड़ थी.

2001 के मुकाबले 2011 में आबादी बढ़ने की ग्रोथ रेट में काफी गिरावट आई थी. 1991 से 2001 के बीच जहां भारत की आबादी 22% से ज्यादा बढ़ी थी, तो वहीं 2001 से 2011 के बीच इसमें 18% से भी कम बढ़ोतरी हुई.

हालांकि, आबादी बढ़ने की ग्रोथ रेट में कई दशकों से गिरावट आ रही है. सबसे ज्यादा लगभग 25 फीसदी आबादी 1961 से 1971 के बीच बढ़ी थी. अभी अनुमानित भारत की आबादी 140 करोड़ के आसपास है. अगर 2011 से तुलना की जाए तो अब तक भारत की आबादी लगभग 16 फीसदी बढ़ गई है. 

Advertisement

ऐसे में सवाल उठता है कि जब फर्टिलिटी रेट गिर रही है, तो फिर आबादी क्यों बढ़ रही है? इसका जवाब है युवा आबादी. केंद्र सरकार की 'यूथ इन इंडिया 2022' की रिपोर्ट बताती है 2021 तक भारत में 27 फीसदी आबादी 15 से 29 साल के युवाओं की थी. इसी तरह 37 फीसदी आबादी 30 से 59 साल के लोगों की थी. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि युवा बच्चे पैदा कर रहे हैं, जिस कारण भारत की आबादी बढ़ रही है. 2063 तक भारत की आबादी 1.67 अरब होगी. इसके बाद आबादी में गिरावट आनी शुरू होगी. वो इसलिए क्योंकि फर्टिलिटी रेट में गिरावट आ रही है और युवा आबादी भी घट जाएगी.

Live TV

Advertisement
Advertisement