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घंटेभर में 10 हजार जान लेने में सक्षम तोपें, मिसाइलों की US तक पहुंच... किम जोंग से इसलिए डरती है दुनिया

उत्तर कोरिया ने 1953 के बाद से कोई युद्ध नहीं लड़ा है. इसलिए माना जाता है कि उसके पास हथियारों का बड़ा जखीरा है. उत्तर कोरिया ने 2006 के बाद से अब तक छह बार परमाणु परीक्षण भी किया है. उसके पास खतरनाक मिसाइलें हैं, जो अमेरिका तक पहुंच सकती हैं.

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उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन. (फाइल फोटो-PTI)
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन. (फाइल फोटो-PTI)

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात को लेकर जैसी बातें हो रही थीं, वैसा तो नहीं हुआ. लेकिन उससे कम भी नहीं हुआ. 

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कहा जा रहा था कि पुतिन और किम जोंग के बीच हथियारों को लेकर डील हो सकती है. ऐसी डील होने की बात अब तक तो सामने नहीं आई है, लेकिन पुतिन और किम जोंग, दोनों ने 'हथियारों' और 'सैन्य सहयोग' के संकेत जरूर दिए हैं.

पुतिन और किम जोंग के बीच ये मीटिंग रूस के वास्तोचनी स्पेस सेंटर में हुई थी. दोनों ने चार से पांच घंटे बात की. मुलाकात के बाद पुतिन ने संकेत दिए कि उनकी किम जोंग के साथ 'सैन्य सहयोग' पर चर्चा हुई है. उधर, किम जोंग ने कहा, 'रूस अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए एक पवित्र युद्ध लड़ रहा है. हम हमेशा पुतिन और रूस का साथ देंगे.'

इन दोनों की बातों से संकेत मिले हैं कि पुतिन और किम जोंग के बीच हथियारों को लेकर भले ही कोई औपचारिक डील न हुई हो, लेकिन यूक्रेन युद्ध में उत्तर कोरिया, रूस की मदद कर सकता है.

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इधर मीटिंग, उधर मिसाइल दाग दी

बुधवार को किम जोंग जब पुतिन के साथ बैठक कर रहे थे, तभी उत्तर कोरिया ने समंदर में दो बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं.

कोरियाई मामलों को संभालने वाले दक्षिण कोरिया के मंत्रालय का कहना है कि ये पहली बार है जब किम जोंग के विदेश में रहते उत्तर कोरिया ने मिसाइल दागी है.

साउथ कोरिया में नेशनल स्ट्रैटजी रिसर्च इंस्टीट्यूट से जुड़े मून सियोंग मूक ने बताया कि किम जोंग ये दिखाने की कोशिश कर रहे थे उनके बाहर रहते हुए भी सैन्य गतिविधियों पर पकड़ रहती है.

इतना ही नहीं, किम जोंग के रूस दौरे में उनके साथ कई सैन्य अफसर भी साथ थे. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, किम जोंग के साथ स्पेस साइंस और टेक्नोलॉजी कमेटी के चेयरमैन पाक थे सोंग, जासूसी सैटेलाइट और परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन के काम से जुड़े एडमिरल किम म्योंग सिक भी थे. किम के साथ चुन रयोंग भी थे, जो युद्ध सामग्री नीतियों के प्रमुख हैं.

रूसी एकेडमी ऑफ साइंस के इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्डटीज से जुड़े अलेक्जेंडर वोरोत्सोव ने न्यूज एजेंसी से कहा, 'हम मान सकते हैं कि... ज्यादातर समझौते हुए हैं... फिलहाल ये सीक्रेट ही रहेगा.'

चीन के सैन्य विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों ने दोनों को करीब ला दिया है. उनका कहना है कि उत्तर कोरिया हथियार और गोला-बारूद में मदद कर सकता है. बदले में रूस टेक्नोलॉजी के मामले में उसकी मदद कर सकता है.

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घंटेभर में हो जाएंगी 10 हजार मौतें

पिछले साल 22 फरवरी को जब पुतिन ने 'सैन्य अभियान' बताकर यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया था, तब किसी को इसकी उम्मीद नहीं थी कि ये इतनी लंबी खींच जाएगी. 

जानकार मानते हैं कि रूसी सेना मिसाइलों से ज्यादा तोप और गोला-बारूद पर भरोसा करती है. रूस भी यही चाहता है. और उत्तर कोरिया के पास इसका भंडार है, क्योंकि 1953 के बाद से उसने कोई युद्ध नहीं लड़ा है. 

साल 2020 में अमेरिकी थिंक टैंक RAND की एक रिपोर्ट आई थी. इसमें उत्तर कोरिया की आर्टिलरी यानी तोपों की ताकतों का अनुमान लगाया गया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि उत्तर कोरिया के पास छह हजार से ज्यादा तोपें हैं. अगर एक साथ हजारों तोपें दाग दी गईं तो घंटेभर में 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो सकती है.

जानकारों का मानना है कि उत्तर कोरिया तोपखाने के गोलों के अलावा कारतूस और पुरानी मिसाइलें तक बेचने को तैयार है.

पलभर में उड़ जाएगा न्यूयॉर्क

उत्तर कोरिया ने हाल के कुछ सालों में बैलिस्टिक से लेकर क्रूज और हाइपरसोनिक मिसाइलों का टेस्ट किया है. इनमें कुछ मिसाइलें तो ऐसी हैं जो रडार की पकड़ से बचने के लिए आवाज की स्पीड से भी कई गुना ज्यादा और कम ऊंचाई पर उड़ सकती हैं. 

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इतना ही नहीं, कई मिसाइलें सबमरीन से भी लॉन्च की जा सकती हैं. यानी, उत्तर कोरिया की मिसाइलें जमीन, आसमान और पानी... हर जगह मार सकती हैं.

इसी साल अप्रैल में उत्तर कोरिया ने अपनी अब तक की सबसे शक्तिशाली मिसाइल- ह्वासोंग-18 की टेस्टिंग की थी. ये सॉलिड-फ्यूल मिसाइल है, जो लिक्विड-फ्यूल मिसाइल की तुलना में जल्दी लॉन्च हो सकती है.

बताया जाता है कि ह्वासोंग-18 पहले टेस्ट में एक हजार किलोमीटर तक पहुंची थी. लेकिन जुलाई में दूसरी टेस्टिंग के दौरान इसने 74 मिनट में 6,600 किलोमीटर का सफर तय कर लिया था. ऐसा अनुमान है कि ह्वासोंग-18 की रेंज 15 हजार किलोमीटर तक है. यानी, उत्तर कोरिया से छोड़ी गई मिसाइल न्यूयॉर्क तक पहुंच सकती है. उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग से न्यूयॉर्क तक की दूरी लगभग 11 हजार किलोमीटर है.

ऐसी कई मिसाइलें हैं किम जोंग के पास

पिछले साल उत्तर कोरिया ने इंटर-कॉन्टिनेंट बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट किया था. जापान की सरकार का कहना था कि ये मिसाइल सीधे अमेरिका तक पहुंच सकती है.

इस मिसाइल की टेस्टिंग के दौरान किम जोंग अपनी बेटी के साथ साइट पर ही थे. माना गया था कि ये ह्वासोंग-17 या फिर उसका मोडिफाइड वर्जन है. इसकी रेंज भी 15 हजार किलोमीटर और उससे कहीं ज्यादा की मानी जाती है.

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पिछले साल अक्टूबर में ही उत्तर कोरिया ने ह्वासोंग-12 मिसाइल की टेस्टिंग की थी. इसकी रेंज साढ़े चार हजार किलोमीटर तक बताई जाती है. वहीं, ह्वासोंग-14 मिसाइल की रेंज 8 से 10 हजार किलोमीटर तक मानी जाती है. इसका मतलब ये हुआ कि उत्तर कोरिया के पास ऐसी मिसाइलों का जखीरा है जो पलभर में न्यूयॉर्क तक पहुंच सकती हैं.

परमाणु हथियारों का भी है जखीरा

ऐसा मानना है कि उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों के जखीरे में 30 से 40 हथियार होंगे. इसके अलावा वो हर साल 6 से 7 हथियार और बना सकता है. 

साल 2003 में उत्तर कोरिया परमाणु अप्रसार संधि से पीछे हट गया था. और उसके बाद 2006 से लेकर 2017 के बीच उसने छह बार परमाणु हथियारों की टेस्टिंग की है. आखिरी बार उसने 2017 में परीक्षण किया था.

साल 2017 में उत्तर कोरिया ने जिस परमाणु हथियार का परीक्षण किया था, वो असल में हाइड्रोजन बम था. दावा है कि ये बाकी परमाणु बम की तुलना में कहीं ज्यादा शक्तिशाली है. इतना ही नहीं, ऐसा भी मानना है कि उस समय जिस परमाणु बम की टेस्टिंग हुई थी, वो 100 से 370 किलोटन का होगा. 100 किलोटन का परमाणु बम हिरोशिमा पर गिरे बम से छह गुना ज्यादा ताकतवर है.

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इसी साल मार्च में किम जोंग ने न्यूक्लियर वेपन इंस्टीट्यूट का दौरा किया था. ये वो जगह है जहां उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार रखे हैं. इसकी तस्वीरें उत्तर कोरिया की सरकारी न्यूज एजेंसी केसीएनए ने जारी की थीं.

चिंता की बात ये भी है कि उत्तर कोरिया ने छोटे-छोटे परमाणु हथियार भी बनाए हैं, जिन्हें कम दूरी की मिसाइलों में तैनात किया जा सकता है. 

2018 में उत्तर कोरिया ने दावा किया था कि उसने पुंग्ये-री साइट को बंद कर दिया है. ये वही साइट थी जहां उसने छह बार परमाणु परीक्षण किया था. 

पिछले साल इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहा था कि पुंग्ये-री साइट को दोबारा खोल दिया गया है.

क्या ये सब पुतिन को देंगे किम जोंग?

उत्तर कोरिया के पास हथियार जरूर हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वो ये सब पुतिन को दे देंगे. दोनों ही देश अपने-अपने हित देखेंगे. पुतिन को भी किम जोंग से ये सब नहीं चाहिए. रूस की रुचि तोपखाने और गोला-बारूद पर है.

इसके अलावा हथियारों को लेकर डील करना पुतिन के लिए इसलिए भी थोड़ी परेशानी बढ़ा सकता है, क्योंकि उत्तर कोरिया पर कई सारे प्रतिबंध हैं. उत्तर कोरिया पर अपने हथियारों को बेचने पर प्रतिबंध लगा है. 

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न्यूज एजेंसी के मुताबिक, किम जोंग से मुलाकात के बाद सैन्य सहयोग वाली बात को टालते हुए पुतिन ने कहा, 'कुछ प्रतिबंध हैं और रूस उनका पालन कर रहा है. कुछ चीजें हैं जिनपर हम बात कर रहे हैं, सोच रहे हैं. रूस एक आत्मनिर्भर देश है, लेकिन हम कुछ चीजों पर चर्चा कर रहे हैं.'

अमेरिकी विदेश विभाग में सेंक्शन कॉर्डिनेशन ऑफिस के प्रमुख जेम्स ओ'ब्रायन ने कहा, 'रूस मदद की तलाश की पूरी कोशिश कर रहा है, क्योंकि उसे अपनी सेना को बनाए रखने में परेशानी हो रही है.'

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने भी कहा कि उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध हैं और सभी देशों को उसका सम्मान करना चाहिए.

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