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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन एक बार फिर मिलने जा रहे हैं. ये मुलाकात उत्तर कोरिया में होगी. इसके लिए पुतिन उत्तर कोरिया पहुंचे हैं. 24 साल में ये पहली बार है जब पुतिन उत्तर कोरिया के दौरे पर गए हैं.
इससे पहले पुतिन और किम जोंग की मुलाकात पिछले साल सितंबर में हुई थी. तब किम जोंग रूस के व्लादिवोस्तोक शहर पहुंचे थे.
दौरे से पहले पुतिन ने यूक्रेन जंग में साथ देने के लिए उत्तर कोरिया का शुक्रिया अदा किया. साथ ही ये भी कहा कि दोनों देश मिलकर अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करेंगे और उससे निपटेंगे. उन्होंने अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर से उत्तर कोरिया और रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को एकतरफा बताया.
रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन ने पुतिन के इस दौरे को 'फ्रेंडली स्टेट विजिट' बताया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुतिन उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयोंग में स्थित कुमसुसन गेस्ट हाउस में ठहरेंगे. 2019 में जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग प्योंगयोंग आए थे, तो वो इसी गेस्ट हाउस में ठहरे थे.
क्यों जा रहे हैं पुतिन?
1999 में रूस का राष्ट्रपति बनने के अगले ही साल पुतिन उत्तर कोरिया गए थे. तब उन्होंने किम जोंग-उन के पिता किम जोंग-इल से मुलाकात की थी. पुतिन अब 24 साल बाद उत्तर कोरिया का दौरा कर रहे हैं.
यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर कई सारे प्रतिबंध और पुतिन की आलोचना ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया है. अब पुतिन एक बार फिर से ग्लोबल स्टेज पर खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. पुतिन पिछले महीने ही चीन भी गए थे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी. अब उत्तर कोरिया के बाद पुतिन वियतनाम के दौरे पर भी जाएंगे.
पुतिन के विदेश नीति के सलाहकार यूरी उशाकोव ने बताया कि रूस और उत्तर कोरिया एक पार्टनरशिप एग्रीमेंट पर साइन कर सकते हैं, जिसमें सुरक्षा मुद्दे शामिल होंगे.
उन्होंने बताया कि ये डील किसी देश के खिलाफ नहीं होगी, बल्कि हालिया कुछ सालों में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर हम दो देशों के बीच जो कुछ हुआ है, उसे ध्यान में रखते हुए की जा रही है.
पुतिन 18 और 19 जून को उत्तर कोरिया में रहेंगे. उसके बाद 19 और 20 जून को वियतनाम का दौरा करेंगे. यूक्रेन से जंग शुरू होने के बाद पुतिन ने उत्तर कोरिया से नजदीकियां बढ़ा दी हैं, जिससे अमेरिका और पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ गई है.
पुतिन-किम की मुलाकात पर नजर क्यों?
नौ महीने में दूसरी बार ऐसा होगा जब पुतिन और किम जोंग मिल रहे हैं. दोनों की मुलाकात ने दुनिया की टेंशन बढ़ा दी है.
अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि हम इस दौरे से चिंतित नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच गहरे होते संबंधों को लेकर चिंतिंत हैं. उन्होंने कहा कि रूस और उत्तर कोरिया के गहरे होते संबंध इसलिए चिंता नहीं बढ़ाते हैं, क्योंकि इससे यूक्रेनी लोगों पर असर होगा, क्योंकि अभी भी उत्तर कोरियाई बैलिस्टिक मिसाइलों से यूक्रेन पर हमला किया जा रहा है, बल्कि इसका असर कोरियाई प्रायद्वीप पर भी होगी.
दोनों नेता की मुलाकात से इसलिए टेंशन बढ़ गया है, क्योंकि दोनों ही पश्चिम विरोधी हैं और एक तरह से इस वक्त अलग-थलग हैं.
पुतिन का ये दौरा ऐसा समय हो रहा है, जब कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव बरकरार है. दक्षिण कोरिया का दावा है कि कुछ दिन पहले डिमिलटराइज्ड जोन में उत्तर कोरिया के सैनिकों ने घुसपैठ की थी, जिसके बाद गोली भी चली. दो हफ्ते में ये दूसरी घटना है, जब दोनों कोरिया को अलग करने वाले डिमिलिटराइज्ड जोन में गोली चली.
अमेरिका, दक्षिण कोरिया और पश्चिमी देश उत्तर कोरिया पर रूस को हथियार बेचने का आरोप लगाते रहे हैं. इनका दावा है कि उत्तर कोरिया की बदौलत ही रूस इतने लंबे वक्त से यूक्रेन में टिका हुआ है. सीएनएन के मुताबिक, पिछले महीने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने संसद को बताया था कि उत्तर कोरिया के गोला-बारूद और मिसाइलों के साथ-साथ ईरान के ड्रोन ने यूक्रेन जंग में रूस को वापसी करने का मौका दिया है.
दोनों के बीच बढ़ती मिलिट्री पार्टनरशिप
1970 के दशक के बाद से उत्तर कोरिया हथियारों का बड़ा सौदागर बनकर उभरा है. साल 2006 में संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया पर हथियारों के बेचने पर पाबंदी लगा दी थी. हालांकि, इसके बाद भी उत्तर कोरिया हथियार बेच रहा है.
कुछ सालों में उत्तर कोरिया और रूस के बीच सैन्य दोस्ती अच्छी-खासी बढ़ रही है. अमेरिका का दावा है कि सितंबर 2022 में उत्तर कोरिया ने रूस को भारी मात्रा में तोपें और गोला-बारूद दिया था.
जनवरी 2023 में भी उत्तर कोरिया ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन की प्राइवेट आर्मी कहे जाने वाले वैगनर ग्रुप को रॉकेट और मिसाइलें मुहैया कराई थीं. इतना ही नहीं, अमेरिका ने उत्तर कोरिया और रूस की सीमा की एक सैटेलाइट तस्वीर भी साझा की थी, जिसमें एक ट्रेन घातक हथियारों को ले जाते दिख रही थी.
पिछले साल मार्च में, स्लोवाकिया के नागरिक अशोत क्रितिचेव को रूस के लिए उत्तर कोरिया से हथियार और युद्ध सामग्री खरीदने की मंजूरी मिली थी. अशोत क्रितिचेव पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है.
पिछली जुलाई में अमेरिका ने उत्तर कोरिया के आर्म्स डीलर रिम योंग ह्योक पर प्रतिबंध लगा दिया था. ह्योक पर वैगनर ग्रुप को हथियार ट्रांसफर करने का आरोप है. 2019 में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में ह्योक को आर्म्स कंपनी कोमिड का अधिकारी बताया था. कोमिड ने ही सीरिया में हथियार उपलब्ध करवाए थे.
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने न्यूज एजेंसी से कहा कि उत्तर कोरिया ने यूक्रेन से लड़ने के लिए रूस को दर्जनों बैलिस्टिक मिसाइलें और गोला-बारूद से भरे 11 हजार से ज्यादा कंटेनर भेजे हैं.
अमेरिका के थिंक टैंक स्टिम्सन सेंटर से जुड़ीं जेनी टाउन ने न्यूज एजेंसी से कहा कि उत्तर कोरिया और रूस में बढ़ती दोस्ती अमेरिका की अगुवाई वाली वैश्विक व्यवस्था का विकल्प बनाने की एक कोशिश है. उन्होंने कहा कि पश्चिम से लड़ाई में रूस, उत्तर कोरिया को सैन्य भागीदार के तौर पर देखता है.
किम को बदले में क्या चाहिए?
रूस और उत्तर कोरिया के बीच संबंध बीते कुछ सालों में ही सुधरे हैं. 2006 में जब उत्तर कोरिया ने पहला परमाणु परीक्षण किया था, तो उस पर संयुक्त राष्ट्र ने कई सारे प्रतिबंध लगा दिए थे. तब रूस ने भी इन प्रतिबंधों का समर्थन किया था.
पुतिन और किम जोंग-उन के बीच भी सालों पहले तक खास दोस्ती नहीं थी. पुतिन 1999 से रूस की सत्ता में हैं, जबकि किम जोंग-उन ने 2011 में कुर्सी संभाल ली थी. लेकिन पुतिन और किम जोंग की पहली मुलाकात 2019 में हुई थी. रिश्ते सुधारने की पहले किम ने ही की थी और 2019 में वो रूस के व्लादिवोस्तोक शहर में पुतिन से मिले थे.
लेकिन अब नौ महीने में दूसरी बार दोनों मिल रहे हैं, जो बताता है कि अब दोनों को ही एक-दूसरी की अच्छी-खासी जरूरत है. यूक्रेन में जंग जारी रखने के लिए पुतिन को उत्तर कोरिया के हथियार चाहिए. और हथियार बनाने के लिए किम जोंग को रूस की तकनीक की जरूरत है.
अमेरिकी रक्षा विभाग में डिप्टी सेक्रेटरी कर्ट कैम्पबेल ने पिछले हफ्ते कहा था कि चिंता बढ़ाने वाली बात ये है कि उत्तर कोरिया बदले में रूस से क्या मांगेगा? क्या वो पैसा मांगेगा? या ऊर्जा मांगेगा? या फिर अपने परमाणु हथियार और मिसाइलों को एडवांस करने में मदद मांगेगा?
उत्तर कोरिया के लिए खाने-पीने के सामान से ज्यादा जरूरी हथियार हैं और यही दुनिया के लिए टेंशन की बात है. उत्तर कोरिया अपने हथियारों को विकसित करना चाहता है. इसमें उसकी रमाणु और लंबी दूरी की मिसाइलें भी शामिल हैं. और इसके लिए वो हथियारों की बिक्री पर ही निर्भर है. इसके अलावा उत्तर कोरिया मिलिट्री सैटेलाइट प्रोग्राम पर भी काम कर रहा है, जिसके लिए उसे रूस की मदद की जरूरत है.
रूस और उत्तर कोरिया, दोनों ही हथियारों की डील के आरोपों को खारिज करते हैं. लेकिन अमेरिका समेत पश्चिमी मुल्कों का दावा है कि उत्तर कोरिया से रूस को हथियार मिल रहे हैं. लेकिन टेंशन की बात है कि अगर उत्तर कोरिया को रूस से टेक्नोलॉजी मिलती है तो आने वाले वक्त में ये दुनिया के सामने बड़ा खतरा खड़ा हो सकता है.