पाकिस्तान के इस्लामाबाद में SEO शिखर सम्मेलन में पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर वहां के पीएम शहबाज शरीफ से भी मिले. इसकी तस्वीरें खुद विदेश मंत्री ने पोस्ट कीं, जिसमें वे पाकिस्तानी पीएम से हाथ मिलाते दिख रहे हैं. आपस में हाथ मिलाना वैसे तो एक औपचारिक तरीका है, लेकिन साइंस की मानें तो ये एक पूरी लैंग्वेज है. हाथ कितनी देर मिलाया गया, और उसमें कितनी सख्ती या नरमी रही, इसमें बहुत कुछ छिपा होता है.
साल 2019 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरियाई तानाशाह किम जोंग की मुलाकात पर खूब बातें हुई थीं. आपस में कट्टर दुश्मन दिखने वाले इन देशों के नेताओं ने हाथ भी मिलाया था. ये हैंडशेक काफी लंबा चला और देखने पर साफ था कि दोनों ही लीडर ताकत की आजमाइश कर रहे हैं. यानी हाथ मिलाने के बहाने से वे अपना गुस्सा या नाखुशी जता रहे थे.
अमेरिका-नॉर्थ कोरिया के इस हैंडशेक पर मीम्स भी बने. ट्रंप और फ्रेंच राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों हमेशा आक्रामक ढंग से हैंडशेक करते देखे गए. साल 2017 में मुलाकात के दौरान दोनों ने इतनी ताकत से हाथ मिलाया कि उनकी अंगुलियों के जोड़ सफेद दिखने लगे थे. लगभग 30 सेकंड चले हैंडशेक की काफी चर्चा भी रही थी.
स्टडी कहती है कि 3 सेकंड से ज्यादा देर चलने वाला हैंडशेक किसी गड़बड़ी की तरफ इशारा करता है. स्कॉटलैंड की रिसर्च यूनिवर्सिटी डंडी में हुए शोध में माना गया कि हैंडशेक जितना लंबा चलेगा, बहुत संभावना है कि उसके बाद मुलाकातियों में वो जोश न रहे. यहां तक कि देर तक हाथ मिलाने के बाद दोनों पक्षों में एक-दूसरे के लिए शक पैदा हो जाता है, और वे आपस में खुलकर बात नहीं कर पाते.
शोध में 36 लोगों को शामिल किया गया था. इस दौरान पाया गया कि सिर्फ हाथ मिलाने के वक्त को कम या ज्यादा करने पर कैसे दो लोगों के बीच केमेस्ट्री बदल जाती है. रिसर्चरों ने माना कि हाथ मिलाने का आदर्श समय लगभग 2-3 सेकंड का होता है. इससे लंबा हैंडशेक दोनों को असहज कर देता है.
वैसे हैंडशेक की शुरुआत का कारण भी कुछ बहुत सुहाना नहीं. पहली बार किस सभ्यता के बीच हाथ मिलाकर अभिवादन हुआ, ये साफ नहीं लेकिन माना जाता है कि ये ग्रीक या रोमन कल्चर रहा होगा. बहुत सी ग्रीक कलाकृतियों में दो लोग हाथ मिलाते हुए दिखते हैं, जबकि उनके पीछे हथियार होते हैं. माना जाता है कि लोग एक-दूसरे से मिलते समय यह दिखाने के लिए हाथ मिलाते थे कि वे निहत्थे हैं और अगले पक्ष से केवल बातचीत के लिए आए हैं.
मध्यकाल के यूरोप में भी दो लड़ाके खुद को निहत्था दिखाने के लिए ही हैंडशेक करते थे. 19वीं सदी के आते-आते हैंडशेक करने को अमेरिकी कल्चर माना जाने लगा. हाथ मिलाना पौरुष और ताकत को दिखाता था.
अब्राहम लिंकन को हैंडशेक का उस्ताद माना जाता रहा. साल 1861 की एक घटना आज भी खूब कही-सुनी जाती है. तब राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद लिंकन अपने समर्थकों से हाथ मिला रहे थे. ये क्रम इतना लंबा चला कि उनका दायां हाथ जख्मी हो गया. लेकिन लिंकन रुके नहीं और बाएं हाथ से मिलने लगे. इस वाकये के बाद उन्होंने मजाक में कहा कि उनके हाथ इतने थक गए थे कि वे अब शायद ही किसी और से हाथ मिला सकें. हालांकि ऐसा हुआ नहीं, वे हैंडशेक करते रहे.
इस घटना के तुरंत बाद एक कलाकार लियोनार्ड वोल्क ने उनके हाथों का प्लास्टर कास्ट बनाया. सूजे हुए हाथों की नाम लेने के चलते बना आर्ट भी उसी तरह का दिखता है. बाद में इनकी ढेरों कॉपी बनी. लिंकन के हाथों के ये मोल्ड कई अमेरिकी संग्रहालयों में रखे हुए हैं, जो हैंडशेक की कहानी कहते हैं.
मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन हाथ मिलाने से अक्सर बचते नजर आए. यहां तक कि हैंडशेक से बचने के लिए वे लोगों को गले लगा लेते हैं. ये इतनी बार देखा जा चुका कि वहां की मीडिया में उन्हें हग्ज भी कहा जाने लगा. वहीं कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो पॉलिटिक्स ऑफ हैंडशेक से इतने तंग लगते हैं कि वे लोगों के कंधों पर हाथ रख देते हैं ताकि हाथ मिलाने की नौबत ही न आए. ट्रंप के साथ उन्हें कई मौकों पर इसी तरह देखा गया.