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श्रद्धा मर्डर केस: आफताब कुछ भी बोले, अदालत नहीं मानेगी... तो क्यों हो रहा है उसका नार्को टेस्ट?

गर्लफ्रेंड श्रद्धा वॉल्कर की हत्या के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का नार्को टेस्ट करवाया जाएगा. हालांकि, ये टेस्ट आज नहीं होगा. नार्को टेस्ट में आफताब को एक केमिकल दिया जाएगा. हालांकि, इस टेस्ट में आफताब जो भी बोलेगा, उसे अदालत में नहीं माना जाएगा. इससे सिर्फ पुलिस को सुराग ढूंढने में मदद मिल सकती है.

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आरोपी आफताब पूनावाला. (फाइल फोटो)
आरोपी आफताब पूनावाला. (फाइल फोटो)

Shraddha Walker Murder Case: आफताब अमीन पूनावाला (Aaftab Aeen Poonawala) ने गर्लफ्रेंड श्रद्धा वॉल्कर (Shraddha Walker) की हत्या करने का जुर्म तो कबूल कर लिया है, लेकिन ये केस अब भी बेहद अनसुलझा ही बना हुआ है. 

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आफताब और श्रद्धा इसी साल दिल्ली आए थे. दोनों महरौली में किराये पर फ्लैट लेकर लिव-इन में रह रहे थे. दोनों के बीच अक्सर झगड़े होते रहते थे. इस साल 18 मई को दोनों में शादी की बात को लेकर झगड़ा हुआ. इसके बाद आफताब ने श्रद्धा की हत्या कर दी. हत्या के बाद उसने श्रद्धा के शव के 35 टुकड़े कर दिए. इन टुकड़ों को अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया, ताकि पकड़ा न जा सके.

आफताब की निशानदेही पर अब तक हड्डियों के कुछ टुकड़े मिल चुके हैं. लेकिन अभी तक सिर नहीं मिला है. हालांकि, जंगल में तलाशी के दौरान पुलिस को खोपड़ी के कुछ हिस्से मिले हैं. इन सभी को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा गया है.

लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि जो टुकड़े मिले हैं, वो श्रद्धा के ही हैं. आफताब ने महरौली के जंगल में बने तालाब में श्रद्धा का सिर फेंकने की बात कही है. अब पुलिस इस तालाब को खाली करवा रही है. लेकिन ये केस उलझता ही जा रहा है. ऐसे में अब आफताब का नार्को टेस्ट (Narco Test) करवाया जाएगा. पुलिस को उम्मीद है कि नार्को टेस्ट से आफताब से कुछ ऐसी जानकारियां मिल सकती हैं, जो केस को सुलझाने में मदद कर सकती है. 

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नार्को टेस्ट असंवैधानिक, फिर क्यों हो रहा?

भारत में नार्को टेस्ट 'असंवैधानिक' है. 22 मई 2010 को सेल्वी बनाम कर्नाटक सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए इसे असंवैधानिक बताया था. ये फैसला तब के चीफ जस्टिस केजे बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने सुनाया था. 

इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने नार्को टेस्ट को 'अमानवीय, क्रूर और अपमानजनक' बताया था. कोर्ट ने ये भी कहा था कि किसी भी व्यक्ति के मर्जी के बिना उसका नार्को टेस्ट नहीं करवाया जा सकता. कोर्ट ने कहा था कि दवा के प्रभाव में आरोपी से लिया गया बयान उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है.

कोर्ट ने फैसले में ये साफ कहा था कि किसी को भी नार्को टेस्ट के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है और अगर कोई अपनी मर्जी से भी टेस्ट कराने को तैयार होता है तो भी उसे अदालत में सबूत के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता. 

पहले भी ऐसा ही होता था. नार्को टेस्ट में आरोपी के बयान को अदालत में सबूत के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले नार्को टेस्ट में दिए बयान को मुख्य सबूत से जोड़कर देखा जा सकता था.

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सुप्रीम कोर्ट ने भले ही नार्को टेस्ट को असंवैधानिक माना हो, लेकिन जांच-पड़ताल के लिए इसके इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाई है. 

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फिर क्यों हो रहा है आफताब का नार्को टेस्ट?

पुलिस का कहना है कि आफताब बार-बार अपने बयान बदल रहा है और जांच को गुमराह कर रहा है.

अदालत से नार्को टेस्ट की अनुमति देने की अपील करते हुए पुलिस ने कहा था कि आफताब बार-बार बयान बदल रहा है और जांच में मदद नहीं कर रहा है, इसलिए उसके दावों की जांच के लिए नार्को टेस्ट जरूरी है.

नार्को टेस्ट में आफताब की नसों में साइकोएक्टिव दवा का इंजेक्शन दिया जाएगा. इसे 'ट्रूथ ड्रग' भी कहते हैं. इसमें सोडियम पेंटोथल नाम का केमिकल होता है. ये केमिकल जैसे ही उसकी नसों में जाएगा, वो कुछ मिनट से लेकर लंबे समय तक बेहोशी में चला जाएगा. बेहोशी से जागने के बाद भी वो आधी बेहोशी की हालत में रहेगा. माना जाता है कि आधी बेहोशी की हालत में व्यक्ति ज्यादा दिमाग नहीं चला पाता और जानबूझकर झूठ नहीं बोल पाता. 

हालांकि, ये जब अदालत में मान्य नहीं है तो फिर टेस्ट क्यों किया जा रहा है? रिटायर्ड दिल्ली पुलिस चीफ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नार्को टेस्ट में दिया बयान कोर्ट में नहीं चलता, लेकिन इससे जांच में मदद मिल सकती है. उन्होंने बताया कि नार्को टेस्ट के आधार पर अगर पुलिस को कुछ मिलता है तो ये काफी मददगार होगा. 

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तंदूर हत्याकांड की जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने भी न्यूज एजेंसी को बताया कि नार्को टेस्ट में दिया बयान भले ही कोर्ट में मान्य न हो, लेकिन ये पुलिस को सबूत जुटाने में मदद कर सकता है. उन्होंने बताया कि तंदूर हत्याकांड में आरोपी ने पहले नैना साहनी की हत्या की और बाद में क्राइम सीन को पूरा साफ कर दिया था. आरोपी ने नैना के शव को यमुना में फेंकने की कोशिश की, लेकिन वो ऐसा नहीं कर सका और बाद में तंदूर में जलाने में कोशिश की.

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नार्को टेस्ट पर क्या है गाइडलाइन?

जरूरी नहीं है कि नार्को टेस्ट में भी व्यक्ति सब सच ही बोले. कई बार ऐसा भी हुआ है जब टेस्ट के दौरान आरोपी ने झूठ भी बोला है. 

निठारी कांड के आरोपियों का भी नार्को टेस्ट कराया गया था, लेकिन कुछ साफ नहीं हो सका था. 2007 में हैदराबाद ट्विन ब्लास्ट में भी अब्दुल करीम और इमरान पर भी यही टेस्ट हुआ, लेकिन जांच में कुछ नया नहीं निकला.

2010 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रीय मानवाधिकार की जो गाइडलाइन पॉलिग्राफ टेस्ट पर लागू होती है, वही नार्को टेस्ट और ब्रेन मैपिंग टेस्ट में भी लागू होगी.

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ये गाइडलाइन कहती है कि व्यक्ति की मर्जी के बिना उसका नार्को टेस्ट नहीं किया जा सकता. ये सहमति उसे मजिस्ट्रेट के सामने देनी होगी. जिसका नार्को टेस्ट किया जा रहा है, उसे ये भी बताया जाना चाहिए कि उसका ये बयान मजिस्ट्रेट के सामने 'कबूलनामा' नहीं होगा. 

इस मामले में भी मजिस्ट्रेट विजयश्री राठौड़ ने आफताब से पूछा था कि क्या वो नार्को टेस्ट करवाने के लिए तैयार है? तब आफताब ने कहा था 'मैं अपनी सहमति देता हूं.' इसके बाद अदालत ने नार्को टेस्ट करवाने की मंजूरी दी थी.

श्रद्धा हत्याकांड क्या है?

श्रद्धा वॉल्कर और आफताब पूनावाला लिव-इन में रह रहे थे. दोनों 2019 से रिलेशन में थे. मुंबई में एक ही कॉल सेंटर में जॉब करते ते.

उनके रिलेशन को घर वालों ने एक्सेप्ट नहीं किया, इसलिए दोनों इस साल दिल्ली आ गए और महरौली में एक फ्लैट में लिव-इन में रहने लगे.

दोनों के बीच अक्सर झगड़े होते रहते थे. 18 मई की रात को भी दोनों में शादी को लेकर झगड़ा हुआ था. इसके बाद आफताब ने उसकी हत्या कर दी. 

हत्या के बाद आफताब ने श्रद्धा के शव के 35 टुकड़े कर दिए. इन टुकड़ों को अलग-अलग जगह-जगह फेंक दिया ताकि पकड़ा न जा सके. 

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पुलिस को अब तक शव के कुछ टुकड़े मिल चुके हैं. खोपड़ी की भी कुछ हड्डियां मिलीं हैं. इन्हें जांच के लिए भेजा गया है. आफताब ने महरौली के जंगल में एक तालाब में श्रद्धा का सिर फेंकने की बात कही है. उसकी निशानदेही पर अब तालाब को खाली करवाया जा रहा है.

 

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