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'सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है...' सिगरेट के पैकेटों पर वैधानिक चेतावनी लिखी होती है, लेकिन उसके बावजूद युवाओं में इसकी लत बढ़ती जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नई रिपोर्ट बताती है कि एक दशक में भारत में सिगरेट-बीड़ी पीने वाले कम उम्र के लड़के और लड़कियों की संख्या बढ़ी है.
'टोबैको कंट्रोल इन इंडिया 2022' के नाम से आई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देशभर में तंबाकू का सेवन करने वालों की कमी तो आई है, लेकिन सिगरेट या बीड़ी की खपत बढ़ गई है. चिंता में डालने वाली बात ये है कि अब कम उम्र की लड़कियों में सिगरेट-बीड़ी पीने की लत तेजी से बढ़ती जा रही है.
ये रिपोर्ट बताती है कि 2009 से 2019 के बीच यानी 10 साल में स्मोकिंग करने वाली लड़कियों की संख्या दोगुनी हो गई है. स्मोकिंग करने वाले लड़कों की संख्या भी बढ़ी, लेकिन उतनी नहीं.
स्मोकिंग पर क्या जानकारी आई सामने?
हाल ही में जारी स्वास्थ्य मंत्रालय की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2009 में देश में 2.4% लड़कियां स्मोकिंग करती थीं. जबकि, 2019 में ये बढ़कर 6.2% हो गई. यानी, इन 10 सालों में स्मोकिंग करने वाली लड़कियों की संख्या 3.8% बढ़ गई.
इसी तरह 2009 में 5.8% लड़के ऐसे थे, जो स्मोकिंग करते थे. 2019 में इनकी संख्या बढ़कर 8.1% हो गई. यानी, 10 साल में स्मोकिंग करने वाले लड़के 2.3% बढ़ गए.
इस हिसाब से देखा जाए तो 10 साल में स्मोकिंग करने वाले लड़कों की संख्या उतनी नहीं बढ़ी, जितनी लड़कियों की बढ़ गई.
चिंता बढ़ाती एक और बात
इस रिपोर्ट में एक बात और है जो चिंता बढ़ाती है. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि नई पीढ़ी को स्मोकिंग की लत ज्यादा तेजी से लग रही है. और वो भी खासकर लड़कियों में.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में 1.5% वयस्क महिलाएं ऐसी थीं, जो स्मोकिंग करती थीं. जबकि, 2019 में 6.2% लड़कियों की स्मोकिंग करने की बात सामने आई है. इससे पता चलता है कि आने वाली पीढ़ी ज्यादा तेजी से स्मोकिंग की लत का शिकार हो रही है.
हालांकि, इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि देशभर में तंबाकू का सेवन करने वालों की आबादी घटी जरूर है, लेकिन ये ज्यादातर वो हैं जिन्होंने गुटखा और पान मसाला छोड़ा है. 2009 में 14.6% आबादी ऐसी थी, जो किसी न किसी तंबाकू उत्पाद का सेवन करती थी. 2009 में ऐसी आबादी घटकर 8.4% हो गई.
लड़कियों में क्यों बढ़ रही सिगरेट की लत?
इसके कई कारण हैं. पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया से जुड़ी प्रोफेसर मोनिका अरोड़ा ने एक अंग्रेजी वेबसाइट को बताया कि नई पीढ़ी सिगरेट पीने को कूल समझती है. लड़कों से बराबरी करने और उनकी तरह ही कूल दिखने के लिए आजकल लड़कियां भी सिगरेट पीने लगीं हैं. इसके अलावा लड़कों की तरह ही गुस्सा ठंडा करने के लिए भी लड़कियां सिगरेट पी रही हैं. जबकि, ऐसा कुछ होता नहीं है.
जानकारों का मानना है कि आजकल फिल्मों में महिला एक्टर्स को सिगरेट पीते दिखाया जाता है, जिसे देखकर भी लड़कियों में स्मोकिंग की लत बढ़ रही है.
बीते कई सालों में ई-सिगरेट का चलन भी भारत में काफी तेजी से बढ़ा है. आम सिगरेट की तुलना में इनके कम हानिकारक होने का दावा किया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है.
इसके अलावा 18 साल से कम उम्र के लोगों को तंबाकू उत्पाद बेचना कानूनी अपराध है, लेकिन इसके बावजूद दुकानदार ऐसे लोगों को धड़ल्ले से सिगरेट-बीड़ी बेचते हैं. सिगरेट पीने वाले 45% किशोरों ने माना है कि उनकी कम उम्र की वजह से दुकानदार ने उन्हें सिगरेट या बीड़ी देने से मना नहीं किया.
स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक?
पान मसाला, गुटखा खाना या सिगरेट-बीड़ी पीना स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है. तंबाकू चबाने या स्मोकिंग करने से कैंसर, सांस से जुड़ी बीमारी, दिल से जुड़ी बीमारी और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, भारत में लगभग 27 करोड़ लोग ऐसे हैं जो किसी न किसी तंबाकू उत्पाद का सेवन करते हैं. भारत में तंबाकू की वजह से हर साल साढ़े 13 लाख मौतें भी होती हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि स्मोकिंग न करने वालों की तुलना में स्मोकिंग करने वालों में प्रीमैच्योर डेथ का खतरा 31% से 55% तक बढ़ जाता है.
इसके अलावा स्मोकिंग या तंबाकू खाने वाले पुरुष और महिलाओं के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स पर भी असर पड़ता है. प्रेग्नेंसी के समय स्मोकिंग करने से समय से पहले प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा भी बढ़ जाता है. इसके अलावा डिलीवरी के समय बच्चे या फिर मां की मौत का खतरा भी होता है.
कैसे कम किया जा सकता है ये सब?
युवाओं में तंबाकू और स्मोकिंग की लत छुड़वाने का सबसे अच्छा तरीका जागरूकता है. 2012 के बाद से टीवी पर स्मोकिंग और तंबाकू से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा रहा है. तब से स्मोकिंग और तंबाकू खाने वालों की संख्या में थोड़ी कमी भी आई है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के 2019 में हुए 'ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे' के मुताबिक, 2009 में भारत की 8.1% आबादी स्मोकिंग करती थी, जो 2019 में घटकर 7.1% हो गई. इसी तरह 2009 में लगभग 15 फीसदी आबादी किसी न किसी तंबाकू उत्पाद का सेवन करती थी, जिनकी संख्या भी 2019 में घटकर 9 फीसदी पर आ गई.
इसके अलावा तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर भी इसकी खपत में कमी लाई जा सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि अगर तंबाकू उत्पाद पर कम से कम 10 फीसदी टैक्स भी बढ़ा दिया जाता है तो इससे हाई इनकम वाले देशों में 4 फीसदी और लोअर मिडिल इनकम वाले देशों में 5 फीसदी तक खपत कम हो जाती है.