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क्या सांप काटने से मौत पर फैमिली को मिलता है मुआवजा, किस राज्य में कितने लाख की राहत?

देश के कई राज्य सांप काटने पर हुई मौत में मुआवजा देते हैं, लेकिन ज्यादातर जगहों पर ये सिस्टम नहीं. वहीं जंगली जानवरों से भिड़ंत में नुकसान पर लगभग सभी स्टेट परिवार को अच्छा-खासा मुआवजा देते रहे. कई राज्यों की दलील है कि सांप चूंकि वर्टिब्रेट नहीं, इसलिए वे जंगली पशुओं की श्रेणी में नहीं आते.

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कई स्टेट सांप काटने से मौत पर परिवार को आर्थिक मदद देते हैं.
कई स्टेट सांप काटने से मौत पर परिवार को आर्थिक मदद देते हैं.

बारिश आते ही सांप काटने से मौत के मामले लगातार आ रहे हैं. कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश का एक मामला भी चर्चा में रहा, जहां एक युवक ने महीनेभर के भीतर कई बार सांप काटने की शिकायत की. स्नेक बाइट से होने वाली मौतों में देश सबसे ऊपर है, लेकिन इसपर मुआवजे का नियम उतना पक्का नहीं. हालांकि कई राज्य जहर से मौत को हादसे में हुई मौत मानते हुए उसकी आर्थिक भरपाई करते हैं. केरल, यूपी और बिहार में यह स्कीम है.

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सांप काटने पर कितनी मौतें

हमारे देश में स्नेक बाइट से किसी भी और जगह की तुलना में कई गुना ज्यादा मौतें होती रहीं. प्रीमैच्योर मृत्यु पर स्टडी करने वाली संस्था मिलियन डेथ स्टडी ने 2020 में खुलासा किया था कि भारत में सालाना 58 हजार लोग सांपों के काटने से मरते हैं. स्मिथसोनियन की रिपोर्ट में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के हवाले से ये तक दावा किया गया कि हमारे यहां मौजूद सांपों के जहर से बचने के दवाएं भी उतनी असरदार नहीं. लेकिन इससे भी ज्यादा बड़ी बात है कि कई घंटों तक पीड़ित घरेलू इलाज में ही पड़ा रहा जाता है और मौत हो जाती है. 

मरने वालों में 97 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाकों से हैं. स्नेक बाइट का शिकार हुए लोगों में महिलाओं की बजाए पुरुषों का प्रतिशत ज्यादा है. इसकी वजह ये भी है कि पुरुष खेती के मौसम में पानी भरी फील्ड में काम करते हैं. 

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snake bite death compensation india states photo Getty Images

वाइल्डलाइफ भिड़ंत में मौत पर बड़ी रकम लेकिन सांपों पर नहीं

जब जंगली जानवरों के मारने पर मुआवजा मिलता है तो सांपों के काटने से मौत पर क्यों नहीं? वो भी तब, जब देश की बड़ी आबादी खेती-किसानी पर ही निर्भर है. द हिंदू की रिपोर्ट कहती है कि सांपों के काटने से उतनी मौतें होती हैं, जितनी पूरे वाइल्डलाइफ एनकाउंटर में नहीं होती. ऐसे में क्या सांपों से मौत पर कंपंसेशन को जानकर बाहर रखा गया. इसपर लंबे समय से विवाद होता रहा. प्रभावित इलाकों में रहने वालों का तर्क है कि सांपों को मारने पर सजा होती है, तो उसकी वजह से मौत पर कंपंसेशन भी मिलना चाहिए. इसपर सरकार के भी अलग-अलग तर्क रहे. 

महाराष्ट्र में हुआ था विवाद

महाराष्ट्र सरकार में वन मंत्री सुधीर मुंगतीवार ने कह दिया था कि सांप वाइल्ड एनिमल की श्रेणी में नहीं आते क्योंकि इनमें रीढ़ की हड्डी नहीं होती. लिहाजा वन विभाग इसके पीड़ित परिवारों को मुआवजा नहीं देगा, बल्कि एग्रीकल्चर देगा. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस राज्य में वर्टिब्रेट्स जैसे शेर, चीते, जंगली भालू या हाथी के आक्रमण में मौत पर 25 लाख रुपए मिलते हैं. एग्रीकल्चर विभाग ने स्नेक बाइट पर भी 2 लाख रुपए देने शुरू किए. ये क्लेम भी तभी मिलता है जब मृतक का परिवार गोपीनाथ मुंडे एक्सिडेंट इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत क्लेम करे. 

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इन स्टेट्स में मुआवजे का प्रावधान

दूसरी ओर कई ऐसे भी राज्य हैं, जो इसे आपदा में हुई मौत मानते हैं और सरकार पीड़ित परिवार को कंपंसेशन देती है. 

बिहार में मुआवजे की रकम 4 लाख है. ये नियम भी दो साल पहले ही आया. इससे पहले वहां मुआवजा मिलता तो था लेकिन तभी जब स्नेक बाइट बाढ़ के दौरान हो. ऐसे में डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट इस घटना को कुदरती आपदा में रखते हुए मृतक की फैमिली को आर्थिक मदद करता रहा. ये रकम स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड से जाती थी. 

snake bite death compensation india states photo Unsplash

यूपी में लिया गया ये फैसला

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने साल 2018 में स्टेट डिजास्टर्स की लंबी लिस्ट बनाई. इनमें सांड़ों या नीलगाय के हमले से मौत के अलावा स्नेक बाइट से मौत भी शामिल है. राज्य में 30 से ज्यादा छोटी-बड़ी नदियां हैं, जिनके किनारे रहने वाले इसका ज्यादा शिकार होते रहे. हर साल कैजुअलिटी को देखते हुए फैसला लिया गया कि स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड से 4 लाख का मुआवज मिलेगा. मृतक अगर खेती-किसानी वाला हो तो उसके परिवार को किसान बीमा योजना के तहत एक लाख रुपए और मिलेंगे. 

क्या होता है केरल में

केरल सरकार इसके लिए पांच लाख रुपए देती है. पहले ये राशि दो लाख थी. दूसरी ओर वाइल्ड एनिमल अटैक में मृतक के परिवार को 10 लाख मिलते रहे. इस बात पर यहां भी कई बार विवाद हो चुका. मुआवजा बढ़ाने के लिए तर्क दिया जाता रहा कि अगर वन विभाग के पास उतना फंड नहीं तो इसे स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड में ट्रांसफर किया जाए. 

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अपनानी होती है ये प्रोसेस

केवल स्नेक बाइट से मौत कह देना काफी नहीं, मुआवजे की प्रोसेस भी होती है. अगर किसी की मौत इस वजह से हुई हो तो परिजन तुरंत इसकी खबर लेखपाल को दें, और फिर मृतक का पोस्टमार्टम कराएं, ताकि वजह ही पुष्टि हो सके. ये रिपोर्ट दोबारा लेखपाल को देनी होती है. इसके बाद की प्रक्रिया अधिकारी खुद करते हैं. 

पश्चिम बंगाल स्नेक बाइट से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से है. लेकिन सांप काटने से मौत पर वहां 1 लाख रुपए ही मिलते हैं.

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