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अफ्रीकी देश सूडान तीन दिन से जल रहा है. वहां सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच एक बार फिर संघर्ष शुरू हो गया है. दोनों ही देश की सत्ता पर कब्जा करना चाहते हैं. इस संघर्ष में अब तक 97 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है. आंकड़ा और बढ़ सकता है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राजधानी खार्तूम और ओम्दुर्मान जैसे आसपास के शहरों में हवाई हमले और गोलीबारी तेज हो गई है. मिलिट्री हेडक्वार्टर के पास गोलीबारी की आवाज सुनाई दे रही है. लोग घरों में दुबके हुए हैं और उन्होंने लूटपाट और बिजली कटौती होने का दावा किया है.
सेना और पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच ये जंग शनिवार से शुरू हुई थी. इस जंग से हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि पड़ोसी मुल्कों ने अपनी सीमाओं को बंद कर दिया है. इस जंग में एक भारतीय अल्बर्ट ऑगस्टाइन की भी मौत हो गई है.
सूडान में बिगड़ते हालातों के बीच भारत ने भी अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है. भारतीय दूतावास की ओर से जारी एडवाइजरी में भारतीयों से घरों में ही रहने को कहा गया है.
लेकिन ये संघर्ष क्यों?
- ये संघर्ष सेना के कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और पैरामिलिट्री फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के बीच हो रहा है. जनरल बुरहान और जनरल डगालो, दोनों पहले साथ ही थे.
- मौजूदा संघर्ष की जड़ें अप्रैल 2019 से जुड़ी हैं. उस समय सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ जनता ने विद्रोह कर दिया था. बाद में सेना ने अल-बशीर की सत्ता को उखाड़ फेंक दिया था.
- बशीर को सत्ता से बेदखल करने के बावजूद विद्रोह थमा नहीं. बाद में सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ. समझौते के तहत एक सोवरेनिटी काउंसिल बनी और तय हुआ कि 2023 के आखिर तक चुनाव करवाए जाएंगे. उसी साल अबदल्ला हमडोक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया.
- लेकिन इससे भी बात नहीं बनी. अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया. जनरल बुरहान काउंसिल के अध्यक्ष तो जनरल डगालो उपाध्यक्ष बन गए.
साथी थे तो फिर क्यों हो रही है जंग?
- जनरल बुरहान और जनरल डगालो कभी साथ ही थे, लेकिन अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हो गए हैं. इसकी वजह दोनों के बीच मनमुटाव होना है.
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दोनों के बीच सूडान में चुनाव कराने को लेकर एकराय नहीं बन सकी. इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि सेना ने प्रस्ताव रखा था जिसके तहत आरएसएफ के 10 हजार जवानों को सेना में ही शामिल करने की बात थी.
- लेकिन फिर सवाल उठा कि सेना में पैरामिलिट्री फोर्स को मिलाने के बाद जो नई फोर्स बनेगी, उसका प्रमुख कौन बनेगा.
- बताया जा रहा है कि बीते कुछ हफ्तों से देशभर के अलग-अलग हिस्सों में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती बढ़ गई थी, जिसे सेना ने उकसावे और खतरे के तौर पर देखा.
दोनों आखिर चाहते क्या हैं?
- बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जनरल डगालो का कहना है कि 2021 का तख्तापलट एक गलती थी और वो खुद को जनता के साथ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.
- हालांकि, सूडान की पैरामिलिट्री फोर्स का ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा है. इसका गठन 2013 में हुआ था. लेकिन इस पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई आरोप हैं, जिसमें जून 2019 का नरसंहार भी शामिल हैं. उस नरसंहार में 120 प्रदर्शनकारियों को मार डाला गया था.
- वहीं, जनरल बुरहान का कहना है कि वो सिर्फ चुनी हुई सरकार को ही सत्ता सौंपेंगे. हालांकि, दोनों के समर्थकों को इस बात का डर है कि अगर उन्हें पद से हटा दिया तो उनके प्रभाव का क्या होगा.
अब आगे क्या?
- सेना और पैरामिलिट्री फोर्स के बीच संघर्ष ने सूडान के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पता नहीं है कि ये जंग कब खत्म होगी.
- सेना ने साफ कर दिया है कि जब तक पैरामिलिट्री फोर्स को भंग नहीं किया जाता, तब तक आरएसएफ के साथ कोई बातचीत नहीं होगी. साथ ही सेना ने आरएसएफ के साथ काम कर रहे अपने सैनिकों को वापस लौटने के आदेश भी दिए हैं.
- वहीं, आरएसएफ के प्रमुख जनरल डगालो ने जनगर बुरहान को 'अपराधी' और 'झूठा' बताया है. रविवार को आरएसएफ ने ओम्दुर्मान में स्थित स्टेट टीवी के दफ्तर पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद स्टेट टीवी ने अपना प्रसारण बंद कर दिया.