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Firecrackers Guidelines: इस बार पटाखे फोड़ सकेंगे या नहीं? दिवाली आते ही ये सवाल खड़ा हो जाता है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने से मना कर दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ कर दिया कि पटाखों को लेकर जो निर्देश पहले जारी किए गए थे, वो सिर्फ दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को साफ कर दिया कि पटाखों को लेकर उसने जो पहले गाइडलाइंस जारी की हैं, वो पूरे देशभर के लिए है और किसी राज्य के लिए अलग से कोई निर्देश जारी करने की जरूरत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने जिस मामले में सुनवाई करते हुए ये बात कही, वो 2015 से लंबित है. ये याचिका उस समय अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव भसीन की ओर से दायर की गई थी. उस समय उनकी 6 से 14 महीने के बीच थी. लीगल गार्जियन की ओर से ये याचिका दाखिल हुई थी.
इस याचिका में पटाखों पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की गई थी. इस याचिका का निपटारा अब तक हुआ नहीं है, लेकिन इसपर सुनवाई के दौरान दो बार अदालत ने गाइडलाइंस जारी की थीं.
जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच इस पर सुनवाई कर रही है. जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि आजकल बच्चे नहीं, बल्कि बड़े पटाखे जलाते हैं. वहीं, जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि जब पर्यावरण संरक्षण की बात आती है तो ये गलत धारणा बना ली जाती है कि इसका काम केवल अदालत का है.
पटाखों पर क्या है गाइडलाइन?
पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट दो बार गाइडलाइंस जारी कर चुका है. पहली बार 23 अक्टूबर 2018 को और दूसरी बार 29 अक्टूबर 2018 को.
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि पटाखों पर पूरी तरह से रोक नहीं है और केवल उन पटाखों पर प्रतिबंध है जिसमें बेरियम सॉल्ट होता है.
अक्टूबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों को छोड़कर बाकी सभी पटाखों की बिक्री और जलाने पर रोक लगा दी थी. इन पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे फोड़ने का समय भी तय कर दिया था. गाइडलाइंस के मुताबिक, दिवाली पर रात 8 से 10 बजे तक पटाखे फोड़े जा सकते हैं. वहीं, क्रिसमस और न्यू ईयर की रात 11:55 से 12:30 बजे तक पटाखे फोड़ सकते हैं.
प्रदूषण पर SC ने कब-कब क्या निर्देश दिए?
- अक्टूबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल 2020 के बाद BS-IV इंजन की गाड़ियों की बिक्री पर रोक लगा दी.
- अक्टूबर 2018 में ही सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली और बाकी त्योहारों पर पटाखे जलाने का समय रात 8 से 10 बजे तक तय कर दिया. साथ ही सिर्फ ग्रीन पटाखों की ही बिक्री का आदेश भी दिया.
- 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को एनसीआर की सड़कों पर चलाने पर रोक लगा दी.
- 2019 अदालत ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में लोग प्रदूषण की वजह से 'जिंदगी की कीमती साल' खो रहे हैं और उन्हें ऐसे ही मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी को पराली न जलाने का आदेश दिया था.
प्रदूषण के लिए दिवाली के पटाखे कितने जिम्मेदार?
कुछ सालों से दिवाली आते ही पटाखों की बिक्री और उपयोग पर रोक लगा दी जाती है. खासकर दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि खराब होती हवा को और खराब होने से बचाया जा सके.
फरवरी 2018 में यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस एंड पॉलिसी ने दिल्ली की खराब हवा पर पटाखों के असर पर एक स्टडी की थी. इसके लिए 2013 से 2016 तक का डेटा लिया गया था. डेटा के आधार पर दावा किया गया था कि दिवाली के अगले दिन दिल्ली में हर साल PM2.5 की मात्रा 40% तक बढ़ गई थी. वहीं, दिवाली की शाम 6 बजे से रात 11 बजे के बीच PM2.5 में 100% की बढ़ोतरी हुई थी.
इसी तरह मई 2021 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में 2020 की दिवाली के पहले और बाद के वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की जानकारी दी गई थी. इस रिपोर्ट में दिल्ली, भोपाल, आगरा, बेंगलुरु समेत 8 शहरों का डेटा था.
इस रिपोर्ट में बताया गया था कि दिवाली के बाद अगले दिन 8 शहरों में PM10 की मात्रा में 22% से 114% की बढ़ोतरी हो गई थी. इसके मुताबिक, दिवाली के बाद दिल्ली में PM10 की मात्रा 67.1% बढ़ गई थी. जबकि, लखनऊ में ये 114% बढ़ गई थी. वहीं, दिल्ली में PM2.5 की मात्रा 82.9% और लखनऊ में 67.6% तक बढ़ गई थी.