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सीरिया में असद परिवार का शासन खत्म हो गया है. सीरिया की सत्ता में 53 साल से असद परिवार का कब्जा था. रविवार को विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया. विद्रोहियों के कब्जे से पहले ही राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर रूस भाग गए.
बशर अल-असद 2000 से सत्ता में थे. उनसे पहले उनके पिता हाफिज अल-असद ने 29 साल तक राज किया था. पिता के निधन के बाद ही बशर ने सीरिया की सत्ता संभाली थी.
असद परिवार को तानाशाह की तरह देखा जाता था. साल 2011 में जब सीरिया में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए तो राष्ट्रपति बशर ने इन्हें क्रूरता से दबाने की कोशिश की. इसके बाद ही यहां सिविल वॉर छिड़ गया. लगभग 13 साल पहले सीरिया में असद के खिलाफ जो विद्रोह शुरू हुआ था, उसकी शुरुआत एक 14 साल के लड़के ने की थी. उस लड़के का नाम था- मौविया स्यास्नेह.
'अब तुम्हारी बारी है डॉक्टर'
फरवरी 2011 में दक्षिणी सीरिया के दारा शहर के एक स्कूल की दीवार पर सरकार विरोधी बात लिखी गई. ये बात मौविया स्यास्नेह ने लिखी थी. उसने लिखा था, 'एजाक अल डोर, या डॉक्टर.' हिंदी में इसका मतलब हुआ 'अब तुम्हारी बारी है डॉक्टर.'
यहां डॉक्टर से इशारा बशर अल-असद की तरफ था. क्योंकि सत्ता में आने से पहले बशर पेशे से डॉक्टर थे. उन्होंने लंदन में आई सर्जन की ट्रेनिंग ली थी.
मौविया ने जब अपने स्कूल की दीवार पर स्प्रे से ये बात लिखी थी, तब शायद उसने भी नहीं सोचा होगा कि उसकी ये छोटी सी हरकत सिविल वॉर छेड़ देगी.
दीवार पर असद के खिलाफ ऐसी बात लिखने पर पुलिस ने मौविया और उसके दोस्तों को हिरासत में ले लिया. 26 दिनों तक उन्हें सीक्रेट पुलिस 'मुखाबरात' ने बंदी बनाकर रखा था. मौविया ने दावा किया था कि पुलिस ने उसे खूब टॉर्चर किया था.
मौविया और उनके दोस्तों की रिहाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए. इन प्रदर्शनों को दबाने के लिए असद सरकार ने गोलियां चलाईं. आंसू गैस के गोले दागे. इन विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए असद सरकार ने जो किया, उससे ये और भड़क गए. इसके बाद दारा ही नहीं, पूरे सीरिया में असद के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए.
ऐेसे शुरू हुआ गृह युद्ध
15 मार्च 2011 को पूरे सीरिया में पहली बार 'Day of Rage' यानी 'क्रोध का दिन' मनाया गया. देशभर में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए. असद को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए. और इस तरह से सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हुई.
सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता के खिलाफ विद्रोह की चिंगारी 2011 में अरब स्प्रिंग से भड़की थी. ट्यूनीशिया में सबसे पहले विद्रोह का बिगुल बजा था, जो यमन, मिस्र, बहरीन से होते हुए सीरिया तक जा पहुंचा था.
असद सरकार को सत्ता से उखाड़ने के लिए जनता जब सड़कों पर उतरी तो राष्ट्रपति बशद ने सेना उतार दी. विरोध प्रदर्शनों को बेरहमी से कुचला गया. इससे शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसा में बदल गए. तभी कई संगठन भी उभरे, जिन्होंने हथियार उठा लिए. और इस तरह सीरिया में गृह युद्ध छिड़ गया.
इस बीच विरोध प्रदर्शनों से प्रभावित होकर सेना में भी दो गुट बन गए. असद के खिलाफ सेना के गुट ने मिलकर 'फ्री सीरियन आर्मी' नाम से संगठन बनाया. इसके बाद इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों ने भी इन विद्रोहों का फायदा अपने तरीके से उठाया.
53 साल का शासन 11 दिन में खत्म
53 साल से सीरिया की सत्ता संभाल रहे असद परिवार का शासन 11 दिन में ही खत्म हो गया. 11 दिन पहले 27 नवंबर को विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के लड़ाकों ने जंग छेड़ दी. एक दिसंबर को एचटीएस के लड़ाकों ने सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा किया. 8 दिसंबर को लड़ाकों के राजधानी दमिश्क पहुंचने से पहले ही राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग गए.
'पता होता तो ऐसा नहीं करता'
13 साल पहले मौविया स्यास्नेह की एक हरकत ने सीरिया को गृह युद्ध में धकेल दिया था. मौविया को आज भी उस हरकत पर मलाल होता है.
अल-जजीरा की डॉक्यूमेंट्री में मौविया ने बताया कि अगर पता होता कि उसकी इस हरकत का क्या नतीजा होगा, तो वो कभी भी राष्ट्रपति असद के खिलाफ ऐसी बातें नहीं लिखता. सीरिया के गृह युद्ध में मौविया ने अपने पिता, दोस्तों और कई रिश्तेदारों को खो दिया.
मौविया की उन बातों से शुरू हुए गृह युद्ध में सीरिया में पांच लाख से ज्यादा लोग मारे गए हैं. सीरिया पूरी तरह तबाह हो चुका है. लगभग 1.3 करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं.