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दिल्ली के कथित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक और बड़ी गिरफ्तारी की है. मामले में ईडी ने तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर की बेटी के. कविता को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया.
कथित शराब घोटाले में ये तीसरी बड़ी गिरफ्तारी है. इससे पहले ईडी ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार कर चुकी है.
कविता को ईडी की टीम ने हैदराबाद में उनके घर से गिरफ्तार किया गया. सूत्रों ने बताया कि कविता अपनी गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती हैं. बताया जा रहा है कि गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका पर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है.
कविता भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की एमएलसी भी हैं. शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कविता से ईडी कई बार पूछताछ भी कर चुकी है. बताया जा रहा है कि दो बार समन भेजने के बाद भी जब कविता पूछताछ के लिए नहीं आईं, तो ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
पर इन सबके बीच सवाल उठता है कि दिल्ली के शराब घोटाले में तेलंगाना की एमएलसी के. कविता कैसे फंस गईं? उन्हें किस आरोप में गिरफ्तार किया गया है?
'साउथ ग्रुप' से लिंक!
ईडी का दावा है कि के. कविता शराब कारोबारियों की 'साउथ ग्रुप' लॉबी से जुड़ी हुई थीं. साउथ ग्रुप की दिल्ली सरकार की 2021-22 की एक्साइज पॉलिसी में बड़ी और अहम भूमिका रही थी.
आरोप है कि शराब घोटाले के आरोपी विजय नायर को कथित रूप से कम से कम 100 करोड़ रुपये की रिश्वत 'साउथ ग्रुप' से मिली थी. साउथ ग्रुप ने ये रिश्वत आम आदमी पार्टी के नेताओं को देने के लिए उसे दी थी.
आखिरी पूछताछ में ईडी ने हैदराबाद के कारोबारी अरुण रामचंद्रन पिल्लई और कविता का आमना-सामना भी करवाया था. पिल्लई को इस मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है. पिल्लई को कविता का करीबी माना जाता है.
हालांकि, कविता ने तब दावा किया था कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है. उन्होंने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार ईडी का 'इस्तेमाल' कर रही है, क्योंकि बीजेपी तेलंगाना में 'बैकडोर से एंट्री' नहीं कर सकती है.
ऐसे फंसती गईं कविता
दिसंबर 2022 में ईडी ने आरोपी अमित अरोड़ा के रिमांड पेपर में दावा किया था कि आम आदमी पार्टी के नेताओं के लिए विजय नायर और दूसरे लोगों को 'साउथ ग्रुप' ने 100 करोड़ की रिश्वत दी थी.
पिछले साल फरवरी में सीबीआई ने अकाउंटेंट बुचीबाबू गोरंतला को गिरफ्तार किया था. ईडी ने भी बुचीबाबू से पूछताछ की थी और उसका बयान दर्ज किया था. माना जाता है कि बुचीबाबू कविता को अकाउंट संभाला करता था.
इसके बाद पिछले साल ही मार्च में ईडी ने अरुण रामचंद्रन पिल्लई को भी गिरफ्तार किया था. पिल्लई ने पूछताछ में बताया था कि कविता और आम आदमी पार्टी के बीच एक समझौता हुआ था. इसके तहत 100 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ, जिससे कविता की कंपनी 'इंडोस्पिरिट्स' को दिल्ली के शराब कारोबार में एंट्री मिली.
पिल्लई ने ये भी बताया कि एक मीटिंग हुई थी, जिसमें वो, कविता, विजय नायर और दिनेश अरोड़ा मौजूद थे. इस मीटिंग में दी गई रिश्वत की वसूली पर चर्चा हुई थी.
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कविता और नायर की मुलाकात का जिक्र
ईडी के मुताबिक, पूछताछ में बुचीबाबू ने बताया था कि के. कविता, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के बीच राजनीतिक समझ थी.
उसने ये भी बताया था कि कविता ने 19-20 मार्च 2021 को विजय नायर से भी मुलाकात की थी.
विजय नायर को कथित शराब घोटाले में ईडी और सीबीआई, दोनों गिरफ्तार कर चुकी है. आरोप है कि 100 करोड़ की रिश्वत विजय नायर को ही दी गई थी.
साउथ ग्रुप मतलब क्या?
ईडी के मुताबिक, 'साउथ ग्रुप' असल में दक्षिण के राजनेताओं, कारोबारियों और नौकरशाहों का ग्रुप है.
इस ग्रुप में सरथ रेड्डी (अरबिंदो फार्मा के प्रमोटर), एम. श्रीनिवासुलु रेड्डी (वाईएसर कांग्रेस के लोकसभा सांसद), उनके बेटे राघव मगुंटा और कविता शामिल थे.
इस ग्रुप का प्रतिनिधित्व अरुण पिल्लई, अभिषेक बोइनपल्ली और बुचीबाबू ने किया था. तीनों को ही शराब घोटाले में गिरफ्तार किया जा चुका है.
क्या है दिल्ली का कथित शराब घोटाला?
17 नवंबर 2021 को दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक्साइज पॉलिसी 2021-22 को लागू किया. नई पॉलिसी के तहत, शराब कारोबार से सरकार बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गईं.
दिल्ली सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में रही और जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को सरकार ने इसे रद्द कर दिया.
कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था.
इस रिपोर्ट में उन्होंने मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की. इसके बाद सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज किया. इसमें पैसों की हेराफेरी का आरोप भी लगा, इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया.
मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से शराब नीति तैयार करने का आरोप लगाया था. मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था. आरोप लगाया गया कि नई नीति के जरिए लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया.
रिपोर्ट में आरोप लगाया कि कोविड का बहाना बनाकर मनमाने तरीके से 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी. एयरपोर्ट जोन के लाइसेंसधारियों को भी 30 करोड़ लौटा दिए गए, जबकि ये रकम जब्त की जानी थी.