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180 दिन, 271 हमले और 389 मौतें... आतंकियों का पनाहगार पाकिस्तान खुद कैसे आतंक से जूझ रहा?

पाकिस्तान में पिछले साल जनवरी से जून के बीच 151 आतंकी हमले हुए थे. जबकि, इस साल के छह महीने में हुए आतंकी हमलों की संख्या 271 रही. ये आंकड़ा पिछली साल की तुलना में 79% ज्यादा है.

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पाकिस्तान में आतंकी हमलों में अचानक तेजी आ गई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
पाकिस्तान में आतंकी हमलों में अचानक तेजी आ गई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

'अगर आप अपने बैकयार्ड में सांप को पाल रहे हैं, तो आप उनसे ये उम्मीद नहीं रख सकते कि वो सिर्फ आपके पड़ोसियों को काटेंगे. आखिरकार, वो सांप उन्हें भी काटेंगे जो उन्हें पालकर रख रहे हैं.'

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ये बात अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कही थी. इस बात के जरिए क्लिंटन पाकिस्तान को चेता रही थीं. उनके कहने का मतलब था कि पाकिस्तान अपने मुल्क में आतंकवादियों को पनाह दे रहा है, जिसका खामियाजा उसे भी भुगतना पड़ सकता है.

हिलेरी क्लिंटन की ये बात अब सच भी साबित हो रही है. भारत को आतंकवाद से चोट करने वाला पाकिस्तान अब खुद उससे बुरी तरह जूझ रहा है. वहां आतंकी घटनाएं बढ़ती जा रहीं हैं. 

कितनी घटनाएं बढ़ीं?

- इस साल के शुरुआती छह महीनों यानी जनवरी से जून तक पाकिस्तान में 271 आतंकी हमले हुए हैं. ये आंकड़ा थिंक टैंक पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडी (PICSS) की ओर से दिया गया है.

- PICSS ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि पिछले साल जनवरी से जून के बीच 151 आतंकी हमले हुए थे. जबकि, इस साल के छह महीने में हुए आतंकी हमलों की संख्या 271 रही. ये आंकड़ा पिछली साल की तुलना में 79% ज्यादा है.

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- रिपोर्ट बताती है कि साल के छह महीनों में हुए आतंकी हमलों में 389 लोगों की मौत हुई है. जबकि, पिछले साल के शुरुआती छह महीनों में 293 लोग मारे गए थे.

- पाकिस्तान में सुसाइड अटैक बहुत तेजी से बढ़े हैं. पिछले साल जनवीर से जून के बीच पांच सुसाइड अटैक हुए थे, जिनमें 77 लोग मारे गए थे. जबकि, इस साल जून तक 13 सुसाइड हमलों में 142 लोगों की मौत हो चुकी है.

कहां बढ़ रहा आतंकवाद?

- खैबर पख्तूनख्वाहः इस प्रांत में पिछले साल के छह महीनों की तुलना में इस साल आतंकी हमलों में 108% का उछाल आया है. इन हमलों में मारे गए या घायल हुए लोगों की संख्या में 53% की बढ़ोतरी हुई है.

- बलूचिस्तानः जनवरी से जून 2023 के बीच इस प्रांत में 75 आतंकी हमले हुए हैं. ये पिछली साल की तुलना में 103% ज्यादा है. यहां आतंकी हमलों में मरने वालों और घायल होने वालों की संख्या भी पिछली साल के मुकाबले 61% ज्यादा रही है.

- सिंधः यहां शुरुआती छह महीनों में 13 आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें 19 लोगों की मौत हुई है और इतने ही घायल हुए हैं. पिछली साल की तुलना में इस साल के छह महीनों में आतंकी हमलों में 19% की गिरावट आई है.

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- पंजाबः पिछली साल जनवरी से जून के बीच सिर्फ एक बार आतंकी हमला हुआ था, जबकि इस साल के छह महीनों में 8 हमले हो चुके हैं. इन आतंकी हमलों में 6 लोगों की मौत हो चुकी है.

क्यों बढ़ रहे हैं आतंकी हमले?

- इसकी वजह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी है. टीटीपी को पाकिस्तानी तालिबान भी कहते हैं. इसका मकसद पाकिस्तान में इस्लामी शासन लाना है. अगस्त 2008 में पाकिस्तानी सरकार ने टीटीपी को बैन कर दिया था.

- अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद पाकिस्तान में भी टीटीपी की एक्टिविटी बढ़ गई है. बीते दो साल में खैबर पख्तूनख्वाह और बलूचिस्तान में आतंकी घटनाएं ज्यादा बढ़ी हैं. इसकी वजह ये है कि ये अफगानिस्तान बॉर्डर के ज्यादा पास हैं. जबकि, पंजाब और सिंध प्रांत अफगान सीमा से दूर होने की वजह से टीटीपी के आतंक से थोड़ा बचे हुए हैं.

- टीटीपी के अलावा बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए), बलोच नेशनलिस्ट आर्मी (बीएनए), सिंधुदेश पीपल्स आर्मी (एसपीए) और इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रांत (आईएसकेपी) भी पाकिस्तान में आतंक को बढ़ा रहे हैं.

- टीटीपी के फिर से सिर उठाते ही बीएनए ने बलूचिस्तान और एसपीए ने सिंध प्रांत में पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. बीएनए और एसपीए अक्सर लाहौर और कराची में हुए हमलों की जिम्मेदारी लेते रहे हैं.

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सबसे खतरनाक टीटीपी!

-  टीटीपी की जड़ें 2002 में ही जमनी शुरू हो गई थीं. अक्टूबर 2001 में जब अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान की सत्ता से तालिबान को बेदखल किया तो उसके आतंकी भागकर पाकिस्तान में बस गए थे. इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने इन आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू कर दिया था.

- दिसंबर 2007 में बैतुल्लाह महसूद ने टीटीपी का ऐलान किया. 5 अगस्त 2009 को महसूद मारा गया. उसके बाद हकीमउल्लाह महसूद टीटीपी का नेता बना. 1 नवंबर 2013 को उसकी भी मौत हो गई. हकीमउल्लाह की मौत के बाद मुल्ला फजलुल्लाह नया नेता बना. 22 जून 2018 को अमेरिकी सेना के हमले में वो भी मारा गया. अभी नूर वली महसूद टीटीपी का नेता है.

- पाकिस्तान तालिबान अफगानिस्तान के तालिबान से अलग है. लेकिन दोनों का मकसद एक ही है और वो ये कि चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंको, कट्टर इस्लामिक कानून लागू कर दो.

- अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट बताती है कि टीटीपी का मकसद पाकिस्तानी सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ आंतकी अभियान छेड़ना है और तख्तापलट करना है.

- टीटीपी के नेता खुलेआम कहते हैं कि उनका मकसद पूरे पाकिस्तान में इस्लामी खिलाफत लाना चाहता है और इसके लिए पाकिस्तानी सरकार को उखाड़ फेंकने की जरूरत होगी.

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क्या अगला अफगानिस्तान होगा पाकिस्तान?

- नब्बे के दशक की शुरुआत में सोवियत संघ (अब रूस) जब अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा था, तब तालिबान का उभार शुरू हुआ. उसी समय मुल्ला मोहम्मद उमर ने मदरसों के कुछ छात्रों को इकट्ठा किया और तालिबान बनाया. 

- जब तालिबान बना था, तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि एक दिन अफगानिस्तान पर इसका कब्जा होगा. सितंबर 1994 में तालिबान बना और दो साल के भीतर ही उसने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया. 1996 से अक्टूबर 2001 तक तालिबान ने ही राज किया. 

- 2021 में जब अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी का ऐलान किया तो तालिबान फिर उभरने लगा और 15 अगस्त को उसने काबुल पर कब्जा कर सत्ता हथिया ली. 20 साल तक अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान में होने के बाद भी तालिबान कमजोर नहीं पड़ा. 

- ऐसे में ये सवाल भी उठने लगा है कि क्या जिस तरह अफगान तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया, वैसे ही पाकिस्तान तालिबान भी पाकिस्तान पर कब्जा कर लेगा? इसका जवाब शायद अभी किसी के पास न हो. लेकिन टीटीपी तेजी से अपना आतंक फैला रहा है. कबायली इलाकों से लेकर पाकिस्तानी शहरों तक, टीटीपी का आतंक फैल रहा है.

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- अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान को उम्मीद थी की अफगान तालिबान टीटीपी को कंट्रोल करेगा, पर हुआ इसका उल्टा. जब-जब अफगान तालिबान मजबूत होता है, तब-तब टीटीपी भी मजबूत होता है. टीटीपी पहले कह चुका है कि उसका मकसद पाकिस्तान को शरिया कानून से चलाना है. उसने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ भी अभियान शुरू कर दिया है. 

- अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद टीटीपी तेजी से बदली है. कहा जाता है कि पहले टीटीपी में कई सारे गुट थे जो आपस में लड़ते-झगड़ते रहते थे, लेकिन अब सब एक हो गए हैं. अभी अफगान तालिबान खुलकर पाकिस्तान तालिबान के साथ नहीं आ रहा है. लेकिन अगर किसी दिन अफगान तालिबान ने टीटीपी से हाथ मिला लिया तो हालात बिगड़ सकते हैं. 

- आखिर में फिर वही बात ये जरूरी नहीं कि सांप को आपने पाला है तो वो आपको नहीं काटेगा. वो एक दिन जरूर काटेगा, सही समय पर.

 

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