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इजरायल-हमास जंग के बीच जर्मनी और फ्रांस में आतंकी अटैक, मध्यपूर्व का तनाव क्यों यूरोप में लाता रहा भूचाल?

पिछले अक्टूबर हमास के हमले में इजरायल के 1200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. इसके बाद से इजरायल और हमास के बीच छिड़ी जंग अब तक जारी है. हमास के हेडक्वार्टर गाजा में 40 हजार से ज्यादा जानें जा चुकीं. लड़ाई सिर्फ मिडिल-ईस्ट तक सीमित नहीं, इसकी आंच यूरोप को भी झुलसा रही है.

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यूरोपीय देशों में कट्टरपंथी हमले अचानक बढ़ गए. (Photo- AP)
यूरोपीय देशों में कट्टरपंथी हमले अचानक बढ़ गए. (Photo- AP)

इजरायल और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच शुरू लड़ाई को अक्टूबर में सालभर हो जाएगा. लेकिन जंग का असर मध्य-पूर्व के अलावा यूरोपीय देशों तक पहुंच चुका है. फ्रांस के नेता गेराल्ड डर्मैनिन ने दावा किया था कि 7 अक्टूबर के बाद से अकेले यहूदियों पर 1500 से ज्यादा रेसिस्ट हमले हुए. वहीं आतंकी समूह बाकियों को भी निशाना बना रहे हैं. ये पैटर्न फ्रांस से अलावा जर्मनी और कई जगहों पर दिख रहा है. 

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जर्मनी में दिख रहा असर 

अगस्त के आखिर में जर्मनी के जोलिंगन शहर में फेस्टिवल ऑफ डायवर्सिटी मनाया जा रहा था. इस दौरान चाकूबाजी हो गई, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई और आठ घायल हो गए. आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि अटैक फिलिस्तीन समेत बाकी मुसलमानों के हक में लिया हुआ बदला है. पूरे यूरोप में 7 अक्टूबर के बाद से इस्लामिक चरमपंथियों के हमले बढ़ते दिख रहे हैं. जर्मनी में अटैक वाले दिन ही फ्रांस के ला ग्रांद मोट्ट में एक यहूदी धार्मिक स्थल के बाहर दो विस्फोट हुए थे. 

लगातार पकड़े जा रहे संदिग्ध

अगस्त में ही मशहूर सिंगर टेलर स्विफ्ट के वियना में शो कैंसिल हो गए क्योंकि उनके आयोजन पर आतंकी हमले का डर था. बता दें कि ये आशंका हवाहवाई नहीं थी, बल्कि दो संदिग्धों को पकड़ा जा चुका था, जो इस्लामिक स्टेट से जुड़े हुए थे. ऑस्ट्रियाई सुरक्षा एजेंसियों के सामने उन्होंने माना कि वे बड़े समूह को मारने के फेर में थे. इसके बाद म्यूजिक कन्सर्ट रोक दिया गया. इससे पहले पेरिस ओलंपिक के दौरान भी इस तरह की आशंका जताई गई, जिससे बचने के लिए फ्रांस ने सिक्योरिटी पर जमकर खर्च किया. फुटबॉल चैंपियनशिप में भी ये डर था. लेकिन ये दोनों ही बड़े आयोजन ठीकठाक हो गए. 

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terrorist attacks on europe surge amid israel and hamas war photo - AFP

इन देशों पर हुए बड़े हमले

मई में जर्मनी के मानहाइम शहर में रैली के दौरान चाकूबाजी में एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई, जबकि पांच घायल हो गए. अटैक इस्लाम की आलोचना करने वाले एक ग्रुप पैक्स यूरोपा के लीडर पर निशाना बनाकर हुआ था. वहीं रूस भी इससे बचा नहीं रहा. मार्च में रूस के क्रॉकस सिटी हॉल पर बड़ा हमला हुआ, जो देश के सबसे बड़े आतंकी हमलों में से था. बंदूकधारियों ने यहां म्यूजिक कंसर्ट में घुसकर लगभग डेढ़ सौ लोगों को भून दिया और इमारत में आग लगा दी. इस्लामिक स्टेट ने माना कि उसके चार सदस्यों ने इस हमले को अंजाम दिया था.

क्यों बढ़ रहे हमले

मध्यपूर्व में जो भी अस्थिरता है, उसका असर यूरोप पर होगा ही. दरअसल मिडिल ईस्ट दशकों से आपसी युद्ध में उलझता रहा. जब वे दूसरे देशों से नहीं लड़ रहे होते तो भीतर ताकतें ही लड़ती-भिड़ती रहती हैं. इसका सीधा असर ये होता है कि वहां से लोग भागकर यूरोप के देशों में शरण लेने लगते हैं, चाहे वो जर्मनी हो, फ्रांस या इटली. यहां तक तो ठीक है लेकिन आबादी बढ़ने पर देशों के मूल लोग और शरणार्थियों के बीच भी टकराहट बढ़ने लगती है. जैसे फ्रांस में अक्सर दिखता रहा. 

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क्या है आतंकी संगठनों के काम का तौर-तरीका

इस्लामिक स्टेट की बात करें तो वो यूरोप में बढ़ते अकेलेपन और टूटते परिवारों को निशाना बनाने लगा. यूरोप में तैनात उसके मिलिटेंट ऐसे कमउम्र लोगों को टारगेट करते और उन्हें उकसाकर विचारधारा ही बदल देते. इसके बाद पक्की पश्चिमी सोच रखने वाला शख्स भी इस्लामिक कट्टरपंथियों के साथ हो जाता. ऐसे कई उदाहरण बने. यूरोपोल रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक लगभग 6 हजार यूरोपियन्स ने इस्लामिक स्टेट का साथ देने के लिए देश छोड़ दिया और सीरिया या इराक चले गए. फ्रांस और जर्मनी के अलावा यूनाइटेड किंगडम से सबसे ज्यादा युवा वहां पहुंचे. 

terrorist attacks on europe surge amid israel and hamas war photo Getty Images

फिलहाल सीरिया और इराक का इस्लामिक स्टेट आधिकारिक तौर पर ध्वस्त हो चुका, लेकिन ये विचारधारा कई देशों तक जा पहुंची. अब भी वे इंटरनेट के जरिए हमलों के लिए उकसा रहे हैं लेकिन ये हमले ग्रुप में नहीं, बल्कि अकेले या चार -पांच के छोटे समूह में हो रहे हैं, जैसा रूस या फ्रांस में दिख रहा है. इस्लामिक स्टेट को इससे ये फायदा हो रहा है कि चूंकि जमीन पर काम करते इन लड़ाकों की लीडरों तक पहुंच नहीं होती, लिहाजा उनका पकड़ा जाना किसी तरह का खतरा नहीं ला सकता. 

चाकूबाजी रोकने के लिए लगेगी पाबंदी

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जर्मन गृह मंत्री नैंसी फेजर ने हाल में बयान दिया कि सरकार भीड़भाड़ वाली जगहों या किसी कन्सर्ट में चाकू या कोई धारदार हथियार लाने पर पाबंदी लगाने की सोच रही है. साथ ही देश में बिना दस्तावेज रहते शरणार्थियों को न्यूनतम मदद दी जाएगी ताकि वे इस किस्म के अपराध न कर सकें. 

ऑनलाइन हेट का ग्राफ भी ऊपर

7 अक्टूबर के बाद यूरोप पर हमले तो बढ़े, साथ ही कुछ खास धार्मिक समूह भी निशाने पर हैं. जैसे फ्रांस में 10 महीने के भीतर यहूदियों पर डेढ़ हजार से ज्यादा हमले हुए. ये पूरे 2022 से तीन गुना से भी ज्यादा है. नीदरलैंड में अटैक आठ सौ गुना से भी ज्यादा हो गए. ऑस्ट्रिया के वियना में यहूदी धर्मस्थलों पर हमले हुए. 7 अक्टूबर के तुरंत बाद यहूदियों पर ऑनलाइन हमले 1000 गुना हो गए थे, जबकि मुस्लिम समुदाय भी ऑनलाइन हेट का शिकार होने लगा.

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