पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में अपने ही देश की सरकार के खिलाफ लगातार गुस्सा दिखता रहता है. इस बार लगभग पांच दिनों से चलते प्रोटेस्ट में 3 मौतें हो चुकीं. स्थानीय लोग पीओके की आजादी के नारे लगा रहे हैं. वैसे भारत के कश्मीर को तो धरती की जन्नत कहते हैं, लेकिन पीओके भी कुछ कम नहीं. हालांकि हालातों के चलते यहां टूरिज्म भी ठीक से फल-फूल नहीं पा रहा. कुछ ही इलाके हैं, जहां आम लोग घूमफिर सकते हैं.
प्रशासनिक स्ट्रक्चर कैसा है पीओके का
करीब 13 हजार किलोमीटर में फैले आजाद कश्मीर (जैसा यहां के स्थानीय लोग कहते हैं) में 40 लाख से ज्यादा आबादी है. ये लोग अपना मंत्रिमंडल और अपनी सरकार की बात करते हैं. इसका एक स्ट्रक्चर भी है. पीओके का चीफ राष्ट्रपति होता है, जबकि प्रधानमंत्री मुख्य कार्यकारी अधिकारी है. 10 जिलों में बंटे पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद है. इसके पास अपनी सुप्रीम कोर्ट भी है. लेकिन असल में सारा राज-कानून पाकिस्तान का चलता है.
कैसे होता है आना-जाना
पीओके के तीन मुख्य इलाके हैं- मीरपुर, मुजफ्फराबाद और पुंछ. इसकी राजधानी मुजफ्फराबाद है, जो इस्लामाबाद से सड़क रास्ते से जुड़ती है. वैसे यहां दो हवाई अड्डे भी हैं, लेकिन ये ज्यादातर बंद रहते हैं. रावलपिंडी से मुर्री होते हुए सड़क मार्ग से ही टूरिस्ट पीओके की अलग-अलग जगहों तक जाते हैं. इस्लामाबाद से भी बसें चलती हैं.
होम विभाग से जारी होता है परमिट
पीओके के कई इलाकों में सेना का पहरा रहता है, जहां किसी को भी जाने की इजाजत नहीं. इसमें भारतीय सीमा से सटा हुआ हिस्सा भी शामिल है. वैसे पीओके में पाकिस्तान के सैलानी कहीं भी आ-जा सकते हैं लेकिन सलाह ही जाती है कि वे हर समय अपने साथ आइडेंटिटी कार्ड रखें. विदेशी टूरिस्टों के मामले में नियम काफी सख्त है. उन्हें पहले ही परमिट लेना होता है कि वे किन-किन इलाकों को देखने जा रहे हैं. ये परमिट भी धीरकोट, रालवकोट, छोटा गाला, देवखान, मुजफ्फराबाद और मांगिया के लिए मिलता है. पर्मिशन की चिट्ठी मुजफ्फराबाद में आजाद जम्मू-कश्मीर होम डिपार्टमेंट से जारी होती है.
पाकिस्तान में तस्वीरें खींचते हुए पर्यटकों को काफी सतर्क रहना होता है. यहां जगह-जगह सेना तैनात रहती है. संवेदनशील एरिया होने की वजह से उनके आसपास की फोटो नहीं ली जा सकती. ऐसे कई मामले सुनाई देते रहे, जहां लापरवाही या अनजाने में तस्वीरें खींचना मुसीबत का कारण बना.
कैसा है फुटफॉल
साल 2023 सितंबर तक पीओके में 11 लाख 25 हजार के लगभग टूरिस्ट आ चुके थे. उससे पहले साल इनकी संख्या साढ़े 3 लाख से कुछ ही ज्यादा रही. पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, काफी सालों बाद पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़त हुई. ज्यादातर लोग नीलम वैली, लीपा घाटी जा रहे हैं. वहीं रत्ती गली झील देखने भी लाखों पर्यटक आते हैं. ये एक हिमनद है, जो काफी ऊंचाई पर है. याद दिला दें कि भारत से अपने दोस्त नसरुल्ला से मिलने पाकिस्तान गई अंजू भी पीओके गई थीं, जहां से दोनों की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर दिखी थीं.
होटल-मोटलों की संख्या लगातार बढ़ी
पीओके में पर्यटकों के आने से वहां की इकनॉमी पर भी बेहतर असर होने लगा. पाकिस्तान से लगभग अलग-थलग पड़े इस इलाके में रोजगार के दूसरे साधन नहीं. पर्यटन से जुड़ी चीजें ही यहां मुख्य कारोबार हैं, जैसे गेस्ट हाउस, होटल-मोटल, ट्रांसपोर्टेशन, खानपान. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मार्च के आखिर से सितंबर तक कारोबार चलता रहता है. कितने सैलानी आते होंगे, इसका अंदाजा इस बात से लगा लीजिए कि यहां होटल और गेस्ट हाउस मिलाकर कुछ साढ़े 3 हजार कमरे हैं. इसमें सरकारी गेस्ट हाउस भी शामिल है. पीओके के टूरिज्म डिपार्टमेंट ने ये डेटा जारी किया था.
इन दिक्कतों का पड़ता है असर
नेचुरल ब्यूटी से भरपूर होने के बाद भी हवाई अड्डों का अक्सर बंद रहना, या रेल सेवा न होना जैसी बातें टूरिस्टों के इरादे कमजोर कर देती हैं. लोकल मीडिया के मुताबिक, नीलम वैली जैसी जगह पर कोई भी अच्छा अस्पताल नहीं. ऐसे में कोई इमरजेंसी हो तो टूरिस्ट्स को सीधे राजधानी भागना होता है. इलाके में बिजली जाना, इंटरनेट नेटवर्क कमजोर होना जैसी समस्याएं भी हैं, जिसका असर फुटफॉल पर होता है.
हमारे यहां कश्मीर में कैसा है टूरिज्म
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले साल दावा किया था कि साल 2022 के मुकाबले कश्मीर में टूरिस्टों के आने में 350% बढ़त हुई. साल 2022 सितंबर तक ही डेढ़ करोड़ से ज्यादा टूरिस्ट आ चुके थे और ये आंकड़ा सवा दो करोड़ तक होने की उम्मीद जताई जा रही थी.
विदेशी सैलानी भी काफी बढ़े. टूरिज्म विभाग के अनुसार यूरोप, मिडिल ईस्ट, थाइलैंड और मलेशिया से सबसे ज्यादा टूरिस्ट आए. कई ऑफ-बीट डेस्टिनेशन तैयार किए जा रहे हैं ताकि पर्यटक और बढ़ें. बीते साल 50 हजार से ज्यादा फॉरेन टूरिस्ट आए थे.
भारत के कश्मीर और पीओके में फर्क
- जम्मू कश्मीर की पर कैपिटा इनकम सवा लाख से ज्यादा है, जबकि पीओके की आय इससे आधी से भी कम है.
- भारतीय कश्मीर में 30 से ज्यादा यूनिवर्सिटीज के मुकाबले पीओके में 6 यूनिवर्सिटी हैं.
- जम्मू-कश्मीर में 2 हजार 8 सौ से ज्यादा सरकारी अस्पताल हैं, वहीं पीओके में 23 हॉस्पिटल हैं.
- पीओके के लोग पाकिस्तान के आम चुनाव में वोट नहीं दे सकते, जबकि जम्मू-कश्मीर में ऐसा नहीं है.
आखिर क्यों होते रहते हैं प्रदर्शन
पीओके के लोग जरूरी चीजों के दाम बढ़ने, बिजली कटने जैसे बेसिक मुद्दों से परेशान हैं. उनका आरोप है कि इस्लामाबाद पीओके के साथ सौतेला व्यवहार करता रहा. मीडिया ब्लैकआउट की वजह से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की बहुत सी बातें सामने नहीं आ पाती हैं, लेकिन साल 2005 में इसकी एक झलक दिखी थी, जब भूकंप के बाद पाकिस्तानी सेना वहां मौजूद तो थी, लेकिन लोगों की मदद नहीं कर रही थी. स्थानीय लोग खुद ही फावड़े-कुदाल से मलबा हटाकर अपने लोगों को निकाल रहे थे. इंटरनेशनल वॉचडॉग ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी सालाना रिपोर्ट में ये घटना लिखी थी.
स्थानीय आबादी का ये आरोप भी है कि पाकिस्तान अपनी राजनैतिक दुश्मनी के लिए मिलिटेंट तैयार करने का काम उनकी जमीन पर कर रहा है. मुंबई हमलों के दोषी आतंकी अजमल कसाब को यहां की राजधानी मुजफ्फराबाद में ही प्रशिक्षण मिला था.