अमेरिका में दूसरी बार राष्ट्रपति पद संभालते ही डोनाल्ड ट्रंप ने तेजी से फैसले लेने शुरू कर दिए हैं, जिसका असर पूरी दुनिया पर देखा जा सकता है. अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए सख्त फैसले के अलावा ट्रंप ने जन्म के आधार पर मिलने वाली नागरिकता को भी खत्म करने का आदेश जारी कर दिया है. अमेरिका के कानून के मुताबिक अब तक वहां जन्म लेने वाला हर शख्स अमेरिकी नागरिक होता है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. ट्रंप के इस फैसले का असर मैक्सिको-कनाडा जैसे देशों के साथ-साथ भारत पर भी पड़ने वाला है क्योंकि हर साल हजारों की संख्या में अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को वहां की नागरिकता मिलती है, जो अब मुश्किल हो सकती है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार को Birthright citizenship के अधिकार को बदलने के आदेश पर दस्तखत भी कर दिए हैं. ट्रंप की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अब से 30 दिन बाद अमेरिका में जन्मे बच्चों में पर ये आदेश लागू होगा. अमेरिका में लाखों की संख्या में H-1B वीजा और ग्रीन कार्ड हासिल करने की कतार में लगे भारतीय नागरिक रहते हैं, जिनके बच्चों को जन्म के साथ ही अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है. लेकिन ट्रंप प्रशासन के नए आदेश के बाद इसमें मुश्किलें आना तय हैं. अब अमेरिकी प्रशासन कुछ नई शर्तों के साथ ही ऐसे बच्चों को नागरिकता देगा, जिनको पूरा कर पाना गैर अमेरिकी नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. हालांकि ट्रंप के इस आदेश को अमेरिकी अदालतों में चुनौती देने की तैयारी भी हो रही है.
क्या कहता है अमेरिकी कानून
अमेरिकी संविधान में हुए 14वें संशोधन के मुताबिक जन्म के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान है. मतलब, अमेरिका मे जन्म लेने वाला हर बच्चा खुद ही अमेरिका नागरिक बन जाता है, भले ही उसके माता-पिता की नागरिकता कुछ भी रही हो. अमेरिका में सबको बराबरी का अधिकार देने के मकसद से ये संविधान संशोधन 1868 में लागू हुआ था. लेकिन इसके बाद से लगातार अवैध प्रवासियों और घुसपैठ का मुद्दा सियासी दलों की ओर से उठाया जाता रहा है. खासतौर पर ट्रंप इसके सख्त खिलाफ थे और उन्होंने शपथ लेते ही कानून बदलने के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया है.
किन शर्तों को पूरा करना जरूरी
ट्रंप का आदेश अमेरिकी कानून के उलट है जो वहां जन्मे हर बच्चे को नागरिकता प्रदान करता है. लेकिन नए आदेश के मुताबिक अगर जन्म के साथ किसी बच्चे को अमेरिका नागरिकता चाहिए तो उसके माता या पिता में से एक का अमेरिकी नागरिका होना अनिवार्य होगा. साथ ही किसी एक के पास ग्रीन कार्ड होना चाहिए या किसी एक का अमेरिकी सेना में होना जरूरी है. ट्रंप का कहना है कि यह आदेश 'बर्थ टूरिज्म' और अवैध प्रवासियों को रोकने की दिशा में बहुत बड़ा कदम है. ऐसा देखा गया है कि नागरिकात हासिल करने के मकसद से प्रवासी अमेरिका में अपने बच्चे को जन्म देते हैं, जिससे खुद ही उसे वहां की नागरिकता मिल जाती है.
भारतीयों पर फैसले का क्या असर
अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल ही करीब 50 हजार भारतीयों को अमेरिका की नागरिकता हासिल हुई है. अमेरिका में लगातार भारतीय समुदाय बढ़ रहा है और बीते सालों में वहां रहने वाले 48 लाख से ज्यादा भारतीय-अमेरिकी समुदाय के कई बच्चों को इस कानून की बिनाह पर नागरिकता भी मिली है. लेकिन अब ट्रंप के आदेश के बाद ऐसा नहीं हो पाएगा. ट्रंप प्रशासन की ओर से तय की गई शर्तों को पूरा किए बिना अब ऐसे बच्चों को वहां की नागरिकता नहीं मिल पाएगी, जो अब तक ग्रीन कार्ड या फिर H-1B वीजा के इंतजार में रह रहे भारतीयों के बच्चों तक को मिल जाती थी, क्योंकि उनका जन्म वहां हुआ है.
फैमिली रीयूनियन में आएगी मुश्किल
अमेरिका के कानून में परिवार को साथ रखने को प्राथमिकता दी जाती है. साथ ही वहां जन्मे बच्चे जो अमेरिका नागरिक बन जाते हैं, उन्हें ये अधिकार हासिल है कि वह 21 की उम्र के बाद अपने माता-पिता या किसी रिश्तेदार को साथ रहने के लिए अमेरिका बुला सकते हैं. लेकिन ट्रंप के आदेश के बाद यह अधिकार भी खत्म हो जाएगा, ऐसे में परिवार के साथ आने में अब रुकावट आना तय है. इसके अलावा ग्रीन कार्ड के लिए इंतजार करने रहे लोगों की मुश्किल भी अब बढ़ जाएगी क्योंकि उनके बच्चों को अब जन्म के साथ नागरिकता नहीं मिलेगी जिससे अस्थाई वीजा पर रह रहे लोगों के सामने भी नई चुनौती आ सकती है.
अमेरिका मे 'बर्थ टूरिज्म' एक बड़ा मुद्दा है और एक्सपर्ट का मानना है कि नए आदेश के बाद इस पर रोक लगेगी. अब तक विदेश नागरिक अपने बच्चों को जन्म देने के लिए ही अमेरिका आते थे और उन्हें जन्म के साथ वहां की नागरिकता मिल जाती थी. लेकिन अब ट्रंप के आदेश के बाद ऐसे बच्चों को नागरिकता नहीं मिल सकेगी और यह ट्रेंड रुक जाएगा. इसके साथ ही आईटी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए अमेरिका आने वाले भारतीय स्टूडेंट्स से जन्मे बच्चों को भी अब नागरिकता हासिल नहीं होगी. ऐसे स्टूडेंट्स F-1 वीजा या फिर बाकी कैटेगरी के तहत यहां प्रवास करते हैं, अब उनके परिवार के सदस्यों को भी भविष्य में परेशानी आ सकती है.
क्या अदालतें दे सकती हैं दखल
राष्ट्रपति ट्रंप ने नागरिकता को लेकर जो एग्जीक्यूटिव ऑर्डर दिया है, उसे अमेरिका की अदालतों में चुनौती देने की तैयारी हो रही है. अमेरिकी सिविल राइट्स ग्रुप के लोगों का कहना है कि संवैधानिक संशोधन को एग्जीक्यूटिव ऑर्डर से नहीं बदला जा सकता और इसलिए कोर्ट को इसमें दखल देनी चाहिए. लेकिन जब तक कोर्ट इस मामले मे कोई संज्ञान नहीं लेता है तब तक तो राष्ट्रपति ट्रंप का आदेश की सर्वमान्य है और जिसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिल सकता है.
भारत में कैसे मिलती है नागरिकता
भारत में भी जन्म के आधार पर नागरिकता दी जाती है. भारतीय कानून के मुताबिक 26 जनवरी 1950 के बाद से लेकर एक जुलाई 1987 से पहले यहां जन्मे बच्चे भारतीय नागरिक होंगे. इस टाइमलाइन में जन्मे बच्चों के माता-पिता के नागरिकता भले ही कहीं की भी रही हो, उनके बच्चे भारतीय कहलाएंगे. लेकिन एक जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे बच्चों के माता-पिता में कोई एक भारत का नागरिक होना चाहिए, तभी उन्हें नागरिकता हासिल होगी. इसके अलावा 3 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे किसी भी बच्चे के माता-पिता दोनों का भारतीय होना जरूरी है या फिर कोई एक भारतीय नागरिक हो और दूसरा अवैध प्रवासी न है, तभी बच्चे को भारत की नागरिकता हासिल हो पाएगी. कई मुल्कों में बच्चे की नागरिकता के लिए माता और पिता दोनों का उस देश का नागरिक होना जरूरी है.