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UAE में सबसे ज्यादा भारतीयों को फांसी की सजा, क्या पश्चिम के साथ भी यही रवैया, कब दखल देती हैं सरकारें?

उत्तरप्रदेश की शहजादी खान पर दुबई में एक बच्चे की हत्या का आरोप था, जिसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई और 15 फरवरी को फांसी दे दी गई. हाल ही में केरल के दो युवकों को भी इसी देश में मृत्युदंड मिला, जिससे गल्फ में फांसी पाने वाले भारतीयों पर बहस छिड़ गई.

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संयुक्त अरब अमीरात में कुछ ही समय में तीन भारतीयों को फांसी दी गई. (Photo- Reuters)
संयुक्त अरब अमीरात में कुछ ही समय में तीन भारतीयों को फांसी दी गई. (Photo- Reuters)

दुबई में नौकरी करने पहुंची शहजादी को मौत की सजा मिली. उसपर एक मासूम की हत्या का आरोप था, जिसकी वो देखभाल करती थी. यूएई में हाल में दो और भारतीय नागरिकों को मौत की सजा दे दी गई. दोनों ही केरल के रहने वाले थे. ये मामले रेयर नहीं, बहुत से भारतीय विदेशी जेलों में मौत की सजा का इंतजार कर रहे हैं. खुद सरकार ने माना कि यूएई और सऊदी अरब, कुवैत, कतर और यमन में कुल मिलाकर 54 भारतीय नागरिकों को सजा-ए-मौत सुनाई जा चुकी. लेकिन क्या ये हाल केवल भारतीयों का है, या खाड़ी मुल्क सबके साथ ऐसा व्यवहार करते रहे?

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सरकारी डेटा के मुताबिक, फिलहाल दुनियाभर की जेलों में दस हजार से ज्यादा भारतीय कैद हैं. इसमें अपराधी साबित हो चुके लोगों के साथ वे भी हैं, जिनका ट्रायल चल रहा है. वैसे ये संख्या ज्यादा भी हो सकती है क्योंकि कई देश ऐसे भी हैं, जो प्राइवेसी का हवाला देते हुए ये डेटा शेयर नहीं करते.

कितने भारतीय विदेशी कैद में

सऊदी में सबसे ज्यादा 2,633 कैदी हैं. इसके बाद 2,518 कैदियों के साथ यूएई आता है. इसके बाद सबसे ज्यादा भारतीय पड़ोसी देशों की जेलों में हैं. वेस्टर्न देशों में भी भारतीय कैदी हैं, लेकिन संख्या काफी कम है. 

खाड़ी देशों में कितनों को डेथ पनिशमेंट

फिलहाल यूएई में 29 और सऊदी में 12 भारतीय डेथ रो में हैं. वहीं 3 कुवैत, और एक-एक कतर और यमन में हैं. 

किन अपराधों में सलाखों के भीतर 

गल्फ में भी संयुक्त अरब अमीरात की जेलों में सबसे ज्यादा इंडियन हैं. उनमें से ज्यादातर के अपराध एक जैसे हैं. लगभग सभी ड्रग्स, अल्कोहल जैसे क्राइम से जुड़े पाए गए. बता दें कि मुस्लिम बहुल इन देशों में शराब और किसी भी तरह के नशे पर बैन रहता है. इसके अलावा खाड़ी देशों में काम के लिए जाने वाले भारतीय कई बार आर्थिक धोखाधड़ी में भी फंस जाते हैं. अधिकतर कम पढ़े-लिखे लोग होते हैं, जो अपने पक्ष में सबूत भी नहीं रख पाते. ऐसे में वे लंबे समय के लिए जेल में ही पड़े रह जाते हैं.

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united arab emirates and other gulf nations death sentence to indian citizens photo Unsplash

लापरवाही की भी मिल रही सजा 

पड़ोसी देशों की बात करें तो अक्सर लोग गलती से सीमा पार कर जाते हैं. मसलन, भारत या नेपाल या भारत-पाकिस्तान के बीच का बॉर्डर तो लंबा है, लेकिन हर जगह पक्की फेंसिंग नहीं. कई बारे चरवाहे अपने पशुओं की खोज में यहां से वहां पहुंच जाते और सबूतों की कमी के चलते गिरफ्तार हो जाते हैं. यही बात समुद्री सीमा के मामले में भी लागू होती रही. अक्सर खबर आती है कि दूसरे देश की सीमा पर पहुंचने की वजह से भारतीय मछुआरों को बंदी बना लिया गया. दूसरे देश इसकी जांच-पड़ताल करते हैं कि कहीं वे जासूस तो नहीं, तसल्ली के बाद ही रिहाई होती है. इसमें ही सालों लग जाते हैं.

सरकार क्या मदद करती है 

इंडियन मिशन को जैसे ही पता लगता है कि उसका कोई नागरिक विदेशी जेल में बंद कर दिया गया है, वो तुरंत एक्शन में आ जाती है. स्थानीय प्रशासन के जरिए उससे संपर्क किया जाता है, और ये पता करते हैं कि केस असल में है क्या. इसके बाद उसके लिए वकील से लेकर जरूरी हो तो सरकार से बातचीत जैसे कदम भी लिए जाते हैं.

यहां की जेलों में भी हो सकता है ट्रांसफर

इसके अलावा भारत ने 31 देशों के साथ एक करार किया हुआ है. ट्रांसफर ऑफ सेंटेंस्ड पर्सन्स (TSP) के तहत विदेशों में सजा पाने वाले भारतीयों को अपने यहां लाया जा सकता है. वे बाकी की सजा भारत की जेलों में काटेंगे. ये करार इसलिए किया गया ताकि कैदियों को अपने यहां का माहौल और खानपान मिल सके, साथ ही वे वक्त-बेवक्त अपने परिवार से मिल भी सकें. भारत भी विदेशी कैदियों के साथ यही करता है. TSP केवल उन्हीं कैदियों पर लागू नहीं होता, जिन्हें फांसी की सजा मिली हो.

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united arab emirates and other gulf nations death sentence to indian citizens photo Unsplash

अरब देशों में क्यों मिलती है मौत की सजा

वहां शरिया लॉ लागू है, जिसमें कुछ अपराधों के लिए मृत्युदंड ही दिया जाता है. मसलन, हत्या के मामले में. हालांकि, इसमें एक ट्विस्ट है. इस्लामिक कानून के मुताबिक, पीड़ित परिवार तय कर सकते हैं कि क्रिमिनल को क्या सजा दी जाए. उनके पास हक है कि वे हत्यारे को पैसे लेकर माफ कर सकें. इसे ब्लड मनी भी कहते हैं. लेकिन अगर परिवार मौत ही चाहे तो कोर्ट वही करती है. यहां तक कि अगर पीड़ित फैमिली मामला कोर्ट पर छोड़ दे तो भी फांसी हो सकती है, जैसा शहजादी के मामले में हुआ था. 

इन अपराधों पर भी हो सकती है फांसी

हत्या के अलावा ड्रग्स की तस्करी के जुर्म में भी यूएई, सऊदी, ईरान और कतर में मौत की सजा हो सकती है. रेप, नाबालिग का यौन शोषण और शादी के बाद संबंध में सऊदी और ईरान इसी तरह की सजा देते हैं. आतंकवाद, देश के खिलाफ साजिश रचना, जासूसी, या सरकार को हिलाने वाले काम करने की कोशिश पर सजाए-ए-मौत हो सकती है. सऊदी अरब, ईरान, कतर और यूएई जैसे देशों में होमोसेक्सुएलिटी के लिए भी सबसे बड़ा दंड मिल सकता है. 

भारत के अलावा दूसरे देशों के नागरिकों को भी खाड़ी देशों में मौत की सजा मिल चुकी है. इसमें पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, फिलीपींस, इंडोनेशिया और इथियोपिया जैसे देश शामिल हैं. अधिकतर मामलों में हत्या, ड्रग तस्करी और यौन अपराध जैसे गंभीर क्राइम हैं.

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वेस्ट के साथ कैसा रवैया

यूएई, ईरान और सऊदी ने मिलते-जुलते मामलों में वेस्टर्न देशों के नागरिकों को भी मौत की सजा सुनाई थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद कई केसेज में सजा कम कर दी गई. वहीं कई जगहों पर डिप्लोमेटिक दखल के चलते मौत को आजीवन कारावास में बदल दिया गया. इक्का-दुक्का ही केस हैं, जहां खाड़ी देशों ने पश्चिमी देशों के नागरिकों को फांसी दी. 

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