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उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में 17 दिन से फंसे 41 मजदूर किसी भी वक्त बाहर आ सकते हैं. सुरंग में खुदाई पूरी हो चुकी है. 800 मिलीमीटर मोटा पाइप भी डाला जा चुका है. और एनडीआरएफ की टीम भी अंदर पहुंचने की तैयारी कर रही है.
इस सुरंग में 12 नवंबर को ये 41 मजदूर फंस गए थे. इन मजदूरों को निकालने के लिए इतने दिनों से तेजी से ऑपरेशन चलाया जा रहा था. अमेरिका से बुलाई ऑगर मशीन से ड्रिलिंग भी की जा रही थी. लेकिन आखिरी की 10 मीटर की खुदाई रैट-माइनर्स ने की. और उनकी वजह से ही मजदूरों तक पहुंचना संभव हो पाया है.
एलएंडटी की टीम लीडर क्रिस कूपर का मानना है कि आज शाम पांच बजे तक मजदूर बाहर आ सकते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि मजदूरों के पास तक पहुंचने के बाद अब वर्टिकल ड्रिलिंग को रोक दिया गया है.
कैसे बाहर आएंगे मजदूर?
एक-एक करके. एनडीआरएफ की टीम रेस्क्यू पाइप के जरिए मजदूरों तक पहुंचने वाली है. इस टीम के पास खास पहियों वाले स्ट्रेचर हैं. इन्हीं स्ट्रेचर पर लेटाकर रेस्क्यू पाइप के जरिए मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा.
लेकिन इन सबसे पहले इस रेस्क्यू पाइप को अच्छी तरह से साफ किया जाएगा, ताकि उसके अंदर जरा सा भी मलबा या मिट्टी न रह जाए.
एनडीआरएफ मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने की मॉक ड्रिल कर चुकी है. एनडीआरएफ का कहना है कि रेस्क्यू पाइप में काफी स्पेस है और जब उसके जरिए मजदूर बाहर आएंगे तो उन्हें अंदर सांस लेने में भी कोई दिक्कत नहीं होगी.
एनडीआरएफ के मुताबिक, स्ट्रेचर पर एक मजदूर को लेटाया जाएगा और उसके बाद बाहर खड़ा रेस्क्यू वर्कर उन्हें रस्सी के जरिए खींचेगा. इस तरह से मजदूर एक-एक कर बाहर आएंगे.
एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन ने बताया कि एक मजदूर को निकालने में 3 से 5 मिनट का वक्त लगेगा. सभी मजदूरों के बाहर आने में तीन से चार घंटे लग सकते हैं.
उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ की तीन टीम सुरंग के अंदर जाएंगी. एसडीआरएफ भी इसमें मदद करेगी. उनके साथ ही पैरामेडिक्स की टीम भी सुरंग में जाएगी.
सुरंग के अंदर ही बनाया अस्थाई अस्पताल
सुरंग के अंदर ही एक अस्थाई अस्पताल भी बनाया गया है. मजदूरों को बाहर निकाले जाने के बाद यहां उनका मेडिकल चेकअप किया जाएगा. इमरजेंसी के लिए 8 बेड की व्यवस्था की गई है. डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स की टीम भी यहां तैनात की गई है.
फिर सीधे 30 किमी दूर...
सुरंग के बाहर 41 एम्बुलेंस खड़ी हैं. मजदूर जैसे ही बाहर आएंगे, उन्हें सबसे पहले अस्पताल ले जाया जाएगा. चिन्यालीसौड़ में कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में 41 बेड का एक स्पेशल वार्ड बनाया गया है.
एम्बुलेंस आसानी से निकल सके, इसलिए बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने एक सड़क भी बना दी है. ये अस्पताल सुरंग से करीब 30 किलोमीटर दूर है.
डॉक्टर्स को स्टैंडबाय पर रखा गया है. साथ ही अगर जरूरत पड़ेगी तो मजदूरों को दूसरे किसी अस्पताल में भेजा जाएगा.
एम्स ऋषिकेश में भी डॉक्टरों को अलर्ट पर रखा गया है. एम्स ऋषिकेश के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नरिंदर कुमार ने बताया कि मजदूरों को यहां तभी लाया जाएगा, जब उत्तरकाशी जिला अस्पताल में इलाज की जरूरतें पूरी नहीं होंगी.
मजदूरों के परिजनों का क्या होगा?
सुरंग में 22 साल के मंजूत भी 17 दिन से फंसे हैं. उनका इंतजार कर रहे पिता चौधरी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि अधिकारियों ने कहा है कि मजदूरों को जहां भी ले जाया जाएगा, उनके लिए वहां व्यवस्था की जाएगी.
अंदर फंसे गब्बर सिंह के भाई जयमल सिंह ने बताया कि उन्हें अपना सामान समेटकर रखने को कह दिया गया है और अगले आदेश तक इंतजार करने को कहा है.
घर कब तक पहुंचेंगे मजदूर?
एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन ने बताया कि मजदूरों के बाहर आने के बाद अस्पताल ले जाया जाएगा. जरूरत पड़ी तो उन्हें एयरलिफ्ट भी किया जा सकता है और इसके लिए वायुसेना का चिनूक हेलिकॉप्टर को स्टैंडबाय पर रखा गया है. उन्होंने बताया कि सुरंग से बाहर आने के बाद अगले 48 से 72 घंटे तक सभी मजदूरों की मॉनिटरिंग की जाएगी.