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हसीना के हटने के बाद भी बांग्लादेश में दोबारा सड़कों पर छात्र, इस बार जिस अंसार गुट से भिड़े, क्या है उसका इतिहास?

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे को लगभग तीन हफ्ते बीत चुके, लेकिन बांग्लादेश में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही. हाल में ढाका सचिवालय के बाहर स्टूडेंट्स और अंसार गुट के बीच झड़प हो गई. अंसार गुट एक पैरामिलिट्री फोर्स है. जानें, क्यों ये छात्रों के निशाने पर है.

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बांग्लादेश में हिंसक झड़पें रुकने का नाम नहीं ले रहीं. (Photo- AFP)
बांग्लादेश में हिंसक झड़पें रुकने का नाम नहीं ले रहीं. (Photo- AFP)

शेख हसीना के गद्दी के साथ-साथ देश छोड़ने के बाद भी बांग्लादेश की सड़कों पर तांडव रुक नहीं रहा. आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ प्रोटेस्ट सत्तापलट के साथ कुछ थमता लगा, लेकिन कुछ ही दिनों के भीतर बवाल दोबारा शुरू हो गया. बांग्लादेशी छात्र इस बार अंसार गुट पर नाराज हैं. ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को दोनों के बीच हिंसक झड़प में लगभग 50 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए.

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क्या हुआ ऐसा जो नए पीएम के आने के बाद भी हिंसा रुक नहीं रही? अंसार गुट क्या है और उससे छात्रों की क्या नाराजगी है?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, रविवार रात को ढाका यूनिवर्सिटी के अलग-अलग विभागों के स्टूडेंट्स एक जगह जमा हुए. इन तक खबर आई थी कि अंसार गुट ने उनके कुछ लोगों को पकड़ रखा है. ये वे लोग थे, जो अंसार के खिलाफ बात करते रहे थे. स्टूडेंट्स का दल सेक्रेट्रिएट की तरफ बढ़ने लगा. वो अंसार को डिक्टेटर्स का एजेंट बता रहा था. 

क्या है अंसार ग्रुप 

बांग्लादेश अंसार और विलेज डिफेंस फोर्स को अंसार वाहिनी या अंसार वीडीपी भी कहते हैं. ये पैरामिलिट्री फोर्स है, जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए काम करता है. अंसार शब्द अरबी मूल का है, जिसका मतलब है- वॉलंटियर या हेल्पर. अलग-अलग रिपोर्ट्स कहती हैं कि देशभर में इसके लगभग 6.1 मिलियन सदस्य हैं, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा पैरा फोर्स भी माना जाता है. 

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violent clash in bangladesh among students and ansar force weeks after sheikh hasina resigns photo- Getty Images

पाकिस्तान से शुरू होकर बांग्लादेश में हुआ मजबूत

अंसार गुट का गठन पाकिस्तान में हुआ था. वे शुरुआत में बॉर्डर पर तस्करी रोकने का काम करते थे. बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान तत्कालीन पाक सरकार ने उन्हें बांग्लादेशी विद्रोहियों के खिलाफ खड़ा करना चाहा, लेकिन हुआ उल्टा. वे पाकिस्तान के खिलाफ ही गुरिल्ला युद्ध करने लगे.

नतीजा ये हुआ कि पाकिस्तान ने अपने यहां इस समूह को भंग कर दिया और एक नया अर्धसैनिक बल बना लिया. हालांकि आजाद बांग्लादेश में ये समूह दोबारा खड़ा हुआ. राष्ट्रपति जिआउर रहमान सरकार में ये काफी तेजी से बढ़े. इन्हें सैनिकों की तर्ज पर काफी सुविधाएं भी मिलती आई हैं. 

नौकरी के लिए नाराजगी

अंसार गुट के सदस्य भी कुछ समय से नाराज चल रहे हैं. वे अपनी नौकरी को सेंट्रलाइज करने की मांग करते आए हैं. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को उनकी बातचीत होम अफेयर्स एडवायजर लेफ्टिनेंट जनरल एमडी जहांगीर आलम से हुई, जिसके बाद उन्होंने प्रोटेस्ट रोककर काम पर लौटने का फैसला लिया. माना जा रहा है कि उनकी कई मांगे मानी जा रही थीं. 

violent clash in bangladesh among students and ansar force weeks after sheikh hasina resigns photo- Reuters

लेकिन फिर क्यों हुई हिंसा

ढाका यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स का आरोप है कि मांगें मानने के आश्वासन के बाद भी अंसार के लोगों ने सेक्रेट्रिएट के चारों ओर से अपनी नाकाबंदी नहीं हटाई थी. अंदेशा जताया जाने लगा कि गुट एक बार फिर से देश को अस्थिर करने के इरादे में है. इसके बाद ही स्टूडेंट्स का दल जमा होने लगा. बहुतों के हाथ में हथियार भी थे. दोनों तरफ से हथियार चलने लगे और पत्थरबाजी होने लगी. यहां तक कि आर्मी को दखल देना पड़ा, तब जाकर मुठभेड़ रुक सकी. तब तक दोनों तरफ के लगभग 50 लोग घायल हो चुके थे. 

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सत्ता संभालने के कुछ ही दिनों के भीतर ढाका में दोबारा हिंसा भड़कने पर खुद अंतरिम सरकार के लीडर मोहम्मद यूनुस को अपील करनी पड़ी. टीवी पर आकर उन्होंने लोगों से शांति की अपील करते हुए कहा कि जल्द ही देश में निष्पक्ष इलेक्शन होगा. साथ ही उन्होंने अंसार सदस्यों को भी आश्वासन दिया. 

फिलहाल ढाका पुलिस ने सचिवालय और मुख्य सलाहकार के आधिकारिक निवास के आसपास किसी भी तरह की बैठक, सभा, जुलूस, रैली या प्रोटेस्ट पर रोक लगाई हुई है लेकिन माना जा रहा है कि अगले चुनाव तक अलग-अलग गुट लड़ते-भिड़ते ही रहेंगे. 

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