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पुतिन और तानाशाह किम जोंग-उन की मुलाकात, क्यों है दुनिया के लिए टेंशन की बात?

अमेरिका का दावा है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन जल्द ही मिल सकते हैं. कहा जा रहा है कि दोनों की मुलाकात एक महीने के भीतर ही होने वाली है. मुलाकात का मकसद हथियारों की डील को माना जा रहा है. अगर ऐसा होता है तो इससे दुनिया के लिए टेंशन बढ़ सकती है लेकिन कैसे? समझिए...

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पुतिन और किम जोंग आखिरी बार 2019 में मिले थे. (फाइल फोटो-AFP)
पुतिन और किम जोंग आखिरी बार 2019 में मिले थे. (फाइल फोटो-AFP)

रूस और उत्तर कोरिया. अमेरिका के दो बड़े दुश्मन. दोनों में नजदीकियां बढ़ रहीं हैं. साल 2019 के बाद एक बार फिर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन मिलने वाले हैं. मुलाकात के लिए किम जोंग-उन रूस जाएंगे.

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अमेरिका के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलने के लिए किम जोंग-उन रूस जाएंगे. उन्होंने दावा किया है कि दोनों की ये मुलाकात महीनेभर के भीतर होगी. 

हालांकि, पुतिन और किम जोंग-उन की ये मुलाकात कब और कहां होगी, इसकी जानकारी अब तक सामने नहीं आई है. लेकिन ऐसी संभावना है कि दोनों की ये मुलाकात रूस के व्लादिवोस्तोक शहर में हो सकती है.

अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने बताया कि हाल ही में रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु भी प्योंगयांग गए थे. उन्होंने रूस को हथियार और गोला-बारूद बेचने के लिए उत्तर कोरिया को मनाने की कोशिश की थी. उन्होंने कहा कि किम जोंग-उन को उम्मीद है कि ये बातचीत आगे बढ़ सकती है.

हालांकि, रूस के राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन ने इस मुलाकात को लेकर कुछ साफ नहीं किया है. क्रेमलिन ने इसे लेकर कुछ भी कहने से मना कर दिया.

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रूस-उत्तर कोरिया में बढ़ रहीं करीबियां

नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के अधिकारी जॉन किर्बी ने 30 अगस्त को बताया था कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच हथियारों को लेकर बात आगे बढ़ रही है, क्योंकि पुतिन अपनी 'वॉर मशीन' को बढ़ाना चाहते हैं.

यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस पर कई सारे प्रतिबंध लगे हैं. यही वजह है कि अब हथियारों के लिए रूस, उत्तर कोरिया से हाथ मिला रहा है. उत्तर कोरिया ने पिछले साल ही रूस को रॉकेट और मिसाइलें दी थीं.

जॉन किर्बी का दावा है कि उत्तर कोरिया हथियारों की बिक्री के बदले में रूस से टेक्नोलॉजी मांग सकता है.

अगर ऐसा होता है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. उत्तर कोरिया पर भी कई सारे प्रतिबंध लगे हैं. लेकिन अगर उसे रूस से टेक्नोलॉजी मिलती है तो इससे उसके हथियारों का जखीरा बढ़ सकता है.

दोनों के बीच बढ़ रही सैन्य दोस्ती

उत्तर कोरिया और रूस के बीच सैन्य दोस्ती अच्छी-खासी बढ़ रही है. अमेरिका का दावा है कि सितंबर 2022 में उत्तर कोरिया ने रूस को भारी मात्रा में तोपें और गोला-बारूद दिया था. 

जनवरी 2023 में भी उत्तर कोरिया ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन की प्राइवेट आर्मी कहे जाने वाले वैगनर ग्रुप को रॉकेट और मिसाइलें मुहैया कराई थीं. इतना ही नहीं, अमेरिका ने उत्तर कोरिया और रूस की सीमा की एक सैटेलाइट तस्वीर भी साझा की थी, जिसमें एक ट्रेन घातक हथियारों को ले जाते दिख रही थी.

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मार्च में, स्लोवाकिया के नागरिक अशोत क्रितिचेव को रूस के लिए उत्तर कोरिया से हथियार और युद्ध सामग्री खरीदने की मंजूरी मिली थी. अशोत क्रितिचेव पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है.

जुलाई में अमेरिका ने उत्तर कोरिया के आर्म्स डीलर रिम योंग ह्योक पर प्रतिबंध लगा दिया था. ह्योक पर वैगनर ग्रुप को हथियार ट्रांसफर करने का आरोप है. 2019 में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में ह्योक को आर्म्स कंपनी कोमिड का अधिकारी बताया था. कोमिड ने ही सीरिया में हथियार उपलब्ध करवाए थे.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि उत्तर कोरिया के हथियारों का एक नेटवर्क है, जिसमें वैगनर ग्रुप ने सक्रिय रूप से काम किया है.

बैन के बावजूद बेच रहा हथियार

रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु की प्योंगयांग की यात्रा को दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्ते के तौर पर देखा गया था. शोइगु ने अपनी यात्रा के दौरान सैन्य परेड के साथ-साथ कई अहम कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था.

सबसे अहम बात ये थी कि शोइगु एक आर्म्स एग्जिबिशन में भी गए थे. इस एग्जिबिशन में इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, लंबी दूरी तक मार करने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल, ड्रोन्स समेत कई आधुनिक हथियार थे.

1970 के दशक के बाद से उत्तर कोरिया हथियारों का बड़ा सौदागर बनकर उभरा है. साल 2009 में संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया पर हथियारों के बेचने पर पाबंदी लगा दी थी. हालांकि, इसके बाद भी उत्तर कोरिया हथियार बेच रहा है.

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किम को बदले में क्या मिलेगा?

अगर पुतिन और किम जोंग के बीच हथियारों को लेकर कोई डील होती है तो जाहिर है कि इससे यूक्रेन में जंग लड़ रहे रूस को फायदा होगा. लेकिन सवाल ये उठता है कि इससे किम जोंग-उन को क्या मिलेगा?

अगर बात बनती है तो इससे उत्तर कोरिया को रेवेन्यू जेनरेट करने में काफी मदद मिलेगी. ये उसके लिए राहत की बात होगी, क्योंकि प्रतिबंधों की वजह से वहां कई चीजों की किल्लत है. इसके साथ ही उत्तर कोरिया का डिफेंस एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा.

उत्तर कोरिया को इस वक्त खाने-पीने का सामान और बाकी दूसरी बुनियादी चीजों की सख्त जरूरत है.

लेकिन, उसके लिए खाने-पीने के सामान से ज्यादा जरूरी हथियार हैं. और यही दुनिया के लिए टेंशन की बात है. उत्तर कोरिया अपने हथियारों को विकसित करना चाहता है. इसमें उसकी परमाणु और लंबी दूरी की मिसाइलें भी शामिल हैं. और इसके लिए वो हथियारों की बिक्री पर ही निर्भर है.

बढ़ेगी टेंशन...!

दूसरी ओर, रूस के पास न सिर्फ बड़ी सेना है, बल्कि बड़े-बड़े न्यूक्लियर और मिसाइल इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स भी हैं. इससे उत्तर कोरिया को टेक्नोलॉजी मिलने की उम्मीद है.

बीते कुछ सालों में रूस ने खुद को उत्तर कोरिया के सामने एक बड़े बाजार के तौर पर दिखाया है. 2022 में आई संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए कई टेक्नोलॉजी खरीद के लिए मॉस्को में उत्तर कोरिया के राजदूत की भूमिका का जिक्र किया था. इस रिपोर्ट में ये भी कहा था गया था कि 2016 से 2021 के बीच उत्तर कोरिया के सबमरीन प्रोग्राम के लिए तीन हजार टन स्टील रूस से आया था.

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प्रतिबंधों से पहले तक रूस सबसे ज्यादा हथियार उत्तर कोरिया से ही खरीदता था. अब चिंता की बात ये है कि अगर रूस और उत्तर कोरिया के बीच हथियारों को लेकर डील होती है तो इससे पुतिन को यूक्रेन में जंग जारी रखने में मदद मिलेगी. लेकिन उससे भी बड़ी टेंशन की बात है कि अगर उत्तर कोरिया को रूस से टेक्नोलॉजी मिलती है तो आने वाले वक्त में ये दुनिया के सामने बड़ा खतरा खड़ा हो सकता है.

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