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क्या है डार्क टूरिज्म, जिसमें खंडहर और हादसे देखने जा रहे सैलानी, Wayanad लैंडस्लाइड मामले का क्या है कनेक्शन?

केरल के वायनाड में सर्च ऑपरेशन और रेस्क्यू का आज सातवां दिन है. 29 जुलाई की देर रात वहां लैंडस्लाइड से भारी तबाही मची, जिसमें मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस बीच केरल की पुलिस ने टूरिस्ट्स को साइट पर न आने की वॉर्निंग दी. सोशल मीडिया पर दी गई इस चेतावनी के बाद से डार्क टूरिज्म पर बात हो रही है.

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वायनाड में तबाही के बीच टूरिस्ट भी आने लगे थे. (Photo- PTI)
वायनाड में तबाही के बीच टूरिस्ट भी आने लगे थे. (Photo- PTI)

वायनाड में लैंडस्लाइड के सातवें दिन भी बचाव दल मलबे में फंसे लोगों को तलाश रहे हैं. 380 से ज्यादा मौतों के बीच भी जिंदा मिल रहे लोगों को सिलसिला जारी है. इस बीच केरल की पुलिस ने सोशल मीडिया पर डार्क टूरिस्ट्स के आने की मनाही की. पुलिस का कहना है कि इससे राहत कार्य में रुकावट आती है. डार्क टूरिज्म सुनने में भले नया लगे, लेकिन देश से लेकर दुनिया में पर्यटन का ये कल्चर बढ़ चुका. 

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क्या थी पुलिस की अपील

केरल पुलिस विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चेतावनी देते हुए लिखा- कृपया आपदाग्रस्त इलाकों में घूमने-फिरने न जाएं. इससे बचाव कार्य पर असर हो सकता है. 

लेकिन इस त्रासदी में घूमने कौन जाता है!

डार्क टूरिज्म यही है. जब लोग समुद्र-पहाड़ या हरियाली की जगह उन इलाकों या इमारतों को देखने जाने लगें, जहां कोई दुर्घटना हुई हो, या फिर जहां नरसंहार या भारी संख्या में मौतें हुई हों, तो इसे ही डार्क टूरिज्म कहते हैं. लोग जाकर उन जगहों और उस हादसे में खुद को शामिल पाते हैं. इस तजुर्बे के लिए वे काफी पैसे खर्च करने को भी तैयार रहते हैं. 

डार्क टूरिज्म शब्द साल 1996 में ग्लासगो कैलेडोनियन यूनिवर्सिटी के जे. जॉन लेनन और मैल्कम फोले ने खोजा था. इसमें बर्बरता से हुई मौतों की साइटों के अलावा भयंकर कुदरती आपदा के बाद मची तबाही वाली साइट पर जाना भी शामिल है. यहां तक कि युद्ध से जूझते इलाकों को भी देखने वाले बढ़े.

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wayanad landslide rescue operation dark tourism sites in world photo Reuters

लगातार बढ़ रहा ग्राफ

बाजार पर नजर रखने वाली वेबसाइट फ्यूचर मार्केटिंग साइट्स के मुताबिक, डार्क टूरिज्म का बाजार, अगले दस सालों में बढ़कर लगभग 41 बिलियन डॉलर तक चला जाएगा. साल 2021 में इंटरनेशनल हॉस्पिटैलिटी रिव्यू में छपी रिपोर्ट कहती है कि लोग वैसे तो इन जगहों पर कनेक्शन खोजने जाते हैं या उस दर्द को महसूस करने पहुंचते हैं, लेकिन ज्यादातर टूरिस्ट्स के लिए ये सिर्फ एक थ्रिल है, जैसे कोई खतरनाक काम करने पर आता है. 

कौन सी साइट्स पर टूरिज्म

दुनियाभर में डार्क टूरिज्म के लिए कुछ जगहें खास हैं. इनमें से एक है पोलैंड में ऑश्वित्ज कंसन्ट्रेशन कैंप. नाजी हुकूमत के दौर में ये सबसे बड़ा नजरबंदी कैंप था, जहां यहूदी कैद में रखकर मारे गए थे. बहुत से लोग गैस चैंबर में डालकर मारे गए तो बहुतों की जान भूख और ठंड से चली गई. ऑश्वित्ज में हिटलर की हैवानियत का सिलसिला कई बरस चला. आज भी इस जगह पर सालाना ढाई लाख से ज्यादा टूरिस्ट आते हैं. 

न्यूक्लियर हादसे के भी पर्यटक

अगस्त 1945 में जापान के हिरोशिमा पर न्यूक्लियर बम गिरा, जिससे अस्सी हजार लोगों की जान तुरंत चली गई. इसके बाद भी तबाही रुकी नहीं. हजारों लोग रेडिएशन पॉइजनिंग से कुछ समय बाद खत्म हुए. हिरोशिमा की बर्बादी का अनुमान इसी से लगा लें कि धमाके से 70% इमारतें तभी ढह गई थीं. कुछ सालों बाद यहां पीस मैमोरियल पार्क बना, जिसे देखने दुनियाभर से लोग आने लगे. 

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wayanad landslide rescue operation dark tourism sites in world photo Reuters

और कौन सी जगहें

- ग्राउंड जीरो न्यूयॉर्क- ये वो जगह है जहां वर्ल्ड ट्रेड सेंटर न्यूयॉर्क शहर में खड़ा था. 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमले के बाद दोनों टावर ध्वस्त हो गए. अब ये डार्क टूरिस्ट्स को अपील करता है. 

- यूक्रेन का चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र भी इनमें से एक है. अप्रैल 1986 में यहां न्यूक्लियर हादसे में 32 लोग मारे गए थे, जबकि काफी लोग रेडिएशन और बर्न इंजुरी से जूझते रहे. 

- रवांडा नरसंहार की साइट मुरम्बी नरसंहार स्मारक को दुनिया की डार्केस्ट साइट माना जाता है, जहां साल 1994 में अप्रैल से जून के बीच लगभग 50 हजार जानें गई थीं. यहां इंसानी खोपड़ियां और कंकाल डिस्प्ले मे हैं. 

- इटली का पोम्पई शहर लगभग 19 सौ साल पहले ज्वालामुखी के लावे में जलकर खाक हो गया था. यहां रोमन साम्राज्य के दौर की झलक आज भी दिखती है. 

भारत में भी डार्क टूरिज्म साइट्स

ये चलन विदेशी नहीं, हमारे यहां भी ऐसी कई जगहें हैं, जैसे जलियांवाला बाग, अंडमान की सेल्युलर जेल, उत्तराखंड की रूपकुंड झील और जैलसमेर का कुलधरा गांव, जो रातोरात रहस्यमयी कारणों से उजड़ गया था. 

क्यों हो रहा है इसका विरोध

हाल के सालों में टूरिज्म के इस तरीके का विरोध भी होने लगा. असल में डार्क टूरिज्म उन जगहों पर होता है, जो किसी न किसी किस्म की त्रासदी से जुड़ा हो. हो सकता है कि पर्यटक अनजाने में स्थानीय इमोशन्स को आहत कर दें. इसके अलावा कई साइट्स अब भी काफी रहस्यमयी हैं, जिनके खत्म होने के बारे में कोई ठोस वजह नहीं पता, वहां जाना खतरनाक हो सकता है. टूरिस्ट कुदरती आपदा झेल चुके इलाकों की सैर करना चाहते हैं. ये इलाके काफी संवेदनशील होते हैं और भीड़भाड़ से एक बार फिर आपदा का डर रहता है. 

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