ज्यादा दिन नहीं हुए, जब राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने कोलकाता को देश के सबसे सुरक्षित शहरों में रखा था. ब्यूरो के मुताबिक साल 2022 में प्रति लाख की जनसंख्या में 86.5 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे जो देश के किसी भी दूसरे शहर की तुलना में सबसे कम है. इसके बाद पुणे (280.7) और हैदराबाद (299.2) का नंबर आता है. स्टडी के दौरान देश के 18 दूसरे ऐसे शहरों से तुलना की गई, जिनकी आबादी 2 मिलियन से ज्यादा है.
महिलाओं पर हिंसा के आंकड़े क्या कहते हैं?
एक तरफ राजधानी के सिर पर सबसे सेफ सिटी का ताज चमक रहा है, वहीं इसी राज्य के कई जिले पूरे देश के सबसे खतरनाक इलाकों में माने जाते हैं. खासकर महिलाओं के लिए. NCRB भी इस बारे में लगातार बोलता रहा. साल 2021 में पूरे देश में एसिड अटैक के 174 मामले आए. वेस्ट बंगाल 34 केसेज के साथ इसमें सबसे ऊपर रहा. छेड़छाड़, रेप और मानव तस्करी में भी इस राज्य की गिनती होती आई है.
कोलकाता के दो जिलों को बहुत ज्यादा सेंसिटिव माना जाता रहा- मुर्शिदाबाद और मालदा. इन दोनों का ही नाम अक्सर खराब वजहों से सामने आता रहा.
आतंकी गुटों से संबंध का शक
पिछले साल नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 14 अलग-अलग लोकेशन्स पर छापेमारी की थी और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के संदिग्ध पकड़े थे. मुर्शिदाबाद इनमें से एक था. इससे पहले साल 2020 में NIA ने पांच ऐसे संदिग्धों को वहां से पकड़ा, जिनके अलकायदा से संबंध की बात थी. कथित तौर पर वे देश के अलग-अलग हिस्सों में आतंक फैलाने की साजिश कर रहे थे.
कई मीडिया रिपोर्ट्स में जिक्र है कि छापेमारी के दौरान NIA को ऐसे कागज मिले, जो अलकायदा के प्लान की बात करते हैं. फर्स्टपोस्ट अंग्रेजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी गुट का लॉन्ग टर्म गोल इन दोनों जिलों समेत असम और झारखंड के बॉर्डर इलाकों को भी देश से काट देना था.
इस जिले का इतिहास भी अलग है
बंटवारे के दौरान मुस्लिम-बहुल मुर्शिदाबाद के बारे में सोचा जा रहा था कि उसे बांग्लादेश (तब पाकिस्तान का हिस्सा) में चला जाना चाहिए, जबकि खुलना भारत में रहे, जिसकी आबादी में हिंदू 52 प्रतिशत थे. हालांकि भौगोलिक स्थिति के कारण बंटवारे में इसका उल्टा हुआ. अब खुलना में 11 प्रतिशत ही हिंदू बाकी हैं, जबकि मुर्शिदाबाद अब भी मुस्लिम-मेजोरिटी ही है. यहां 67 प्रतिशत से ज्यादा लोग इस्लाम को मानने वाले हैं. मालदा में भी आधी से ज्यादा आबादी माइनोरिटी की है.
हिंसा का रहा है इतिहास
साल 2020 में CAA के खिलाफ मुर्शिदाबाद में भारी बवाल हुआ था. तब बसें, कारें और ट्रेनें तक फूंक दी गईं.
उसके कुछ समय पहले RSS कार्यकर्ता बंधु प्रकाश पाल को परिवार समेत मार दिया गया.
कुछ साल पहले यहां लड़कियों के फुटबॉल मैच पर बैन की बात हुई थी, जिसके पीछे तर्क था कि उनके कपड़े टाइट होते हैं.
कथित समलैंगिक लड़कियों से मारपीट और उन्हें जिंदा जलाने की कोशिश जैसी घटना भी हो चुकी है.
विस्फोटकों की भारी खेप यहां आए-दिन बरामद होती रही.
इस इलाके की तुलना अफगानिस्तान से
मालदा भी बेहद संवेदनशील माना जाता रहा. यहां के कालियाचक इलाके की तुलना अफगानिस्तान से होती है. इंडिया टुडे की एक पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की सीमा से सटा ये एरिया अफीम की खेती, हथियारों की तस्करी और उग्रवाद के चलते अफगानिस्तान जितना खतरनाक हो चुका है. यहां बड़ों से लेकर छोटे बच्चे भी अफीम खेती में काम करते हैं. इसकी वजह है वहां इस पैदावार के मुताबिक मौसम, और तस्करी के लिए आसान रूट.
सेंट्रल खुफिया विभाग ने कई बार इस बारे में सचेत किया कि नशे की तस्करी से हथियार और विस्फोटक जुटाए जा रहे हैं, ताकि देश में अस्थिरता पैदा हो जाए. लोकल स्तर पर यहां छापेमारी चलती रहती है लेकिन अवैध खेती कर रहे लोग अक्सर इतने खतरनाक होते हैं कि उन्हें रोकना मुश्किल हो जाता है.
धार्मिक तौर पर भी संवेदनशील
साल 2016 में ब्लासफेमी के आरोप में कालियाचक में भयंकर तोड़फोड़ हुई थी. प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, यहां तक कि पुलिसकर्मियों के साथ भी वे हिंसक हो गए थे. इस दौरान 30 से ज्यादा पुलिसवाले घायल हुए थे.
चिकन्स नेक के पास बसा है मालदा
मुर्शिदाबाद समेत मालदा में स्थानीय और इंटरनेशनल आतंक का नेटवर्क मिलकर काम कर रहा है. खासकर मालदा की बात करें तो ये चिकन्स नेक के पास बसा हुआ है. यह वो भौगोलिक स्थिति है, जिसमें करीब 22 किलोमीटर का एरिया पूर्वोत्तर को देश से जोड़ता है. इसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर भी कहते हैं.
नेपाल और बांग्लादेश से सटा ये संकरा इलाका काफी ज्यादा सेंसिटिव है, जहां से कथित तौर पर बांग्लादेशी चरमपंथी भारत के भीतर आते रहे.
कितने अवैध बांग्लादेशी हैं?
पश्चिम बंगाल में कितने अवैध घुसपैठिए हैं, इसकी असल संख्या निश्चित तौर पर नहीं बताई जा सकती. अलग-अलग सोर्सेज का दावा है कि चूंकि ये वहां से पूरे देश में फैल जाते हैं तो उनकी संख्या बता पाना मुमकिन नहीं. होम मिनिस्ट्री ने साल 2022 के आखिर में अपनी सालान रिपोर्ट में कहा था कि भारत-बांग्लादेश बॉर्डर अपने पोरस (यहां से वहां आ-जा सकना) होने के कारण काफी चुनौतियां दे रहा है. यहां अवैध माइग्रेशन के साथ क्रॉस-बॉर्डर गतिविधियां चल रही हैं.