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केरल में वेस्ट नाइल बुखार पर अलर्ट! क्यों ये दक्षिणी राज्य अक्सर बनता रहा बीमारियों के लिए एंट्री पॉइंट?

केरल सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने हाल में वेस्ट नाइल फीवर पर अलर्ट जारी किया. कई जिलों में इसके मामले दिख रहे हैं, वहीं त्रिशूर में संक्रमण से एक मौत हो चुकी. स्टेट अब इसपर सावधानी बरतने को कह रहा है. वैसे ज्यादातर विषाणुजन्य बीमारियों की एंट्री केरल से होती रही. निपाह और मंकीपॉक्स से लेकर कुछ महीनों पहले कोविड के नए वैरिएंट का केस भी यहीं दिखा.

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केरल के तीन जिलों में वेस्ट नाइल फीवर पर अलर्ट आ चुका. (Photo- Getty Images)
केरल के तीन जिलों में वेस्ट नाइल फीवर पर अलर्ट आ चुका. (Photo- Getty Images)

केरल में फिर एक वायरल बुखार दाखिल हो चुका. वेस्ट नाइल फीवर पर चिंता इसलिए जताई जा रही है क्योंकि इसके लक्षण जल्दी पता नहीं चलते. मच्छरों से फैलने वाले इस फीवर से एक मौत हो चुकी. अब हेल्थ विभाग इसे लेकर अलर्ट पर है. केरल से किसी बीमारी की शुरुआत होना नया नहीं. इससे पहले भी निपाह से लेकर कई बीमारियां यहीं से दस्तक देते हुए भीतर दाखिल हुईं. जानिए, क्यों है ऐसा. 

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क्या है वेस्ट नाइल फीवर

दुनिया में वेस्ट नाइल बुखार का पहला केस साल 1937 में युगांडा में दिखा था. इसके बाद से बहुत से देशों में इसके संक्रमण के मामले आते रहे. वेस्ट नाइल वायरस के इंसान में फैलने की वजह मच्छरों को माना जाता है. ये वायरस पक्षियों में फैलता है, और उनसे होते हुए मच्छरों तक, फिर इंसानों में आता है. रेयर केस में ऑर्गन ट्रांसप्लांट, ब्लड ट्रांसफ्यूजन और ब्रेस्ट मिल्क से भी ये वायरस फैल सकता है. 

इस तरह के हैं मामूली से लेकर गंभीर लक्षण

WHO के मुताबिक, इस वायरस की चपेट में आने वाले 80 फीसदी से ज्यादा संक्रमितों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं. बाकी 20 फीसदी संक्रमित वेस्ट नाइल फीवर के शिकार हो जाते हैं. इसमें बुखार, सिरदर्द, थकान, उल्टी और कभी-कभी त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ सकते हैं. गंभीर अवस्था में तेज बुखार, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, कंपकंपी, ऐंठन, मांसपेशियों में कमजोरी और पैरालिसिस हो सकता है. इसकी कोई वैक्सीन नहीं. लक्षणों के आधार पर इलाज होता है. 

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west nile fever kerala alert why kerala often becomes entry point for diseases photo Getty Images

पिछले साल दिसंबर में JN.1 कोविड वैरिएंट का पहला मामला केरल में आया था. उससे पहले कोविड की शुरुआत के दौरान केरल को लेकर काफी हो-हल्ला मचा था कि वहां सबसे ज्यादा संक्रमण हैं. बाद में हालांकि सारे देश का हाल एक जैसा हो गया. बीते साल के सितंबर में ही केरल में निपाह वायरस से दो मौतें हो गईं. उससे पहले राज्य में मंकीपॉक्स के मामले की भी पुष्टि हुई थी. 

आखिर क्यों देश में इस तरह की बीमारियों की शुरुआत केरल से होती है? ये सवाल अक्सर उठता रहा. 

कौन-कौन सी बीमारियों का पहला केस राज्य में

दक्षिणी राज्य में मंकीपॉक्स, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफेलाइटिस, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम, वेस्ट नाइल इंसेफेलाइटिस, डेंगू, वायरल हेपेटाइटिस, निपाह और स्वाइन फ्लू के आउटब्रेक दिखते रहे. हाल के समय में जीका वायरस और एंथ्रेक्स के केस भी केरल में दिखे. देश के दक्षिणी भाग को देखने वाले मीडिया-साउथ फर्स्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बीते दो दशकों में राज्य में 10 वायरल और नॉन-वायरल बीमारियों के पहले मामले आ चुके.

पशुओं से होने वाला संक्रमण बढ़ा

जानवरों से फैलने वाली डिसीज भी केरल में तेजी से बढ़ रही हैं. जैसे द हिंदू के अनुसार, लेप्टोस्पायरोसिस की वजह से साल 2022 में रिकॉर्डेड 290 मौतें हुईं. यह बैक्टीरियल संक्रमण है जो पशुओं से इंसानों तक आता है. राज्य के हेल्थ विभाग का अपना डेटा कहता है कि स्वाइन फ्लू के मामलों में पिछले साल 900 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़त हुई. 

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west nile fever kerala alert why kerala often becomes entry point for diseases photo Getty Images

क्यों केरल से शुरू होती दिख रहीं बीमारियां

इसके कई कारण हैं कि क्यों केरल में सबसे पहले बीमारियां रिकॉर्ड होती,और तेजी से बढ़ती भी हैं.

राज्य की भौगोलिक स्थिति पहला कारण है. वहां फैले हुए जंगल और मानसून पैटर्न इसे किसी भी बीमारी के लिए काफी संवेदनशील बनाता है. जंगल सिकुड़ रहे हैं और इंसान जंगलों के पास बस रहे हैं. ऐसे में उनके और जंगली पशु-पक्षियों के बीच सीधा संपर्क भी वायरस, बैक्टीरिया के फैलने की वजह बनता है.

मिसाल के तौर पर निपाह वायरल को ही लें तो ये चमगादड़ों से इंसानों तक पहुंचता है. जब लोग जंगल काटते हैं या सूनी जगहों पर कंस्ट्रक्शन करते हैं, तभी चमगादड़ों के सीधे कॉन्टैक्ट में आते हैं. चमगादड़-जन्य बहुत सी बीमारियां हैं, जिनके बारे में अभी वैज्ञानिक भी कुछ नहीं जानते. 

केरल के हेल्थ प्रोफेशनल भी ला रहे बीमारियां!

एक वजह है राज्य की आबादी, जो किसी काम या पढ़ाई के लिए दुनिया के कई देशों में रह रही है. इनमें से बहुत से लोग मेडिसिन-नर्सिंग कर रहे हैं. ये लोग अपने प्रोफेशन के चलते खतरे में रहते हैं. और जब वे किसी सुप्त संक्रमण के साथ देश लौटते हैं तो अनजाने में ही अज्ञात बीमारियां दूसरों को दे देते हैं. यहां बता दें कि अक्सर अच्छी इम्युनिटी वाले लोगों में बीमारी के वायरस होकर भी अपना काम नहीं कर पाते, लेकिन जब यही शख्स दूसरे कमजोर सेहत वालों के संपर्क में आता है, तो बीमारी गंभीर होकर दिख सकती है.

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केरल का हेल्थ सिस्टम भी अच्छा है, जो बीमारियों की तुरंत जांच करता और अलर्ट जारी करता है ताकि लोग सावधान रहें और मिलते-जुलते लक्षणों पर अस्पताल जाएं. जैसे निपाह का साल 2018 में पहला केस आया था, तब पूरा राज्य आननफानन अलर्ट हो गया था और धड़ाधड़ जांचें होने लगीं. यही वजह है कि जानलेवा वायरस फैलने से पहले काबू में आ गया. 

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