करीब 10 सालों बाद अमेरिका को लादेन के पाकिस्तान में होने का पता चला और उसने इस आतंकी को ढेर करने के लिए ऑपरेशन नेपच्यून स्पीयर शुरू किया. इसके तहत अमेरिकी सेना का खास दस्ता उस जगह पहुंचा, जहां लादेन अपने परिवार के साथ छिपा हुआ था. ये करीब दो दर्जन कमांडो थे, जो हेलीकॉप्टर से एबटाबाद पहुंचे. तीसरी मंजिल पर छिपे लादेन को आखिरी समय पर इसकी भनक लग गई, लेकिन तब तक भागने के सारे रास्ते बंद हो चुके थे.
व्हाइट हाउस में दिखाया जा रहा था लाइव
कमांडो दल ने एक के बाद एक गोलियां ओसामा को मारीं. ये सारा ऑपेरशन व्हाइट हाउस में लाइव दिखाया जा रहा था ताकि राष्ट्रपति समेत बाकी अधिकारियों को घटना के सारे पहलू पता हों. इसके तुरंत बाद लादेन का DNA टेस्ट हुआ ताकि पक्का हो जाए कि लाश उसी आतंकी की है, जिसे वॉशिंगटन इतने सालों से खोज रहा था.
ये सारी प्रक्रिया एकाध घंटे के भीतर हो गई. इसके बाद अमेरिकी कमांडो उसकी लाश को एक बैग में पैक कर अफगानिस्तान ले गए. यहां से उसे खास युद्धपोत यूएसएस कार्ल विंसन तक इंपोर्ट किया गया.
सवाल ये था कि लाश का क्या करें
अमेरिकी सरकार को डर था कि अगर लादेन को इस्लामिक रीति से दफनाया जाए तो वो जगह चरमपंथियों के लिए इबादत की जगह बन जाएगी. साथ ही आतंकी उसका बदला लेने के लिए कोई नई खुराफात भी कर सकते हैं. समय ज्यादा नहीं था. इस समय तक ओसामा के मारे जाने का ऐलान हो चुका था. अगर लाश को ज्यादा देर तक रखा जाता तो इस्लामिक मान्यताओं को चोट पहुंचने का खतरा था, जिसमें 24 घंटों के भीतर दफनाया जाना जरूरी है.
कथित तौर पर ओसामा के गृहदेश सऊदी अरब ने उसकी लाश को अपनाने से मना कर दिया था. अब सारा जिम्मा अमेरिका पर था.
इस्लामिक रीति से हुआ अंतिम संस्कार
आतंकी के मृत शरीर को पूरे इस्लामिक रीति-रिवाजों से नहलाकर सफेद कफन से ढका गया. अरबी भाषा में एक अनुवादक से प्रेयर करवाई गई और बाद में उसके शरीर को बॉक्स में बंद करके समंदर में डाल दिया गया. ये डिब्बा डेढ़ सौ किलो से ज्यादा वजन की लोहे की जंजीरों से बंधा हुआ था ताकि लाश फूलकर ऊपर न आ जाए.
ये सारे विधि-विधान समुद्र के ऊपर उड़ते हुए ही पूरे हुए. साल 2012 में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस के कुछ मिलिट्री डॉक्युमेंट्स लीक हो गए, जिसमें इस तरह की जानकारी थी. बाद में फ्रीडम ऑफ इंफॉर्मेशन के तहत भी यही बात बताई गई.
खात्मा किया तो फोटो क्यों नहीं जारी हुआ!
लादेन की मौत के बाद बहुत दिनों तक ये बात भी होती रही कि अमेरिका ने उसे मारा नहीं है, बल्कि कैद करके रखा हुआ है. कई सवाल उठे कि अगर उसने इतने खूंखार आतंकी का खात्मा किया होता तो मौत की तस्वीरें जरूर रिलीज करता. इसपर तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साफ कहा कि लादेन के सिर पर गोली मारी गई थी. ऐसी फोटो रिलीज करने का मतलब है हिंसा को उकसाना. यही वजह है कि अमेरिका ने मुर्दा आतंकी की कोई तस्वीर कहीं जारी नहीं की.
लाश को कई हिस्सों में बिखरा दिया गया
लादेन की लाश को समुद्र में बहाने के अलावा एक और थ्योरी भी है, जो कहती है कि उसकी लाश के बहुत सारे टुकड़े करके यहां-वहां छितरा दिए गए. अमेरिकी खोजी पत्रकार सेमोर हर्श ने दावा किया था कि अफगानिस्तान पहुंचने के बाद आतंकी के शव को राइफल की गोलियों से कई टुकड़े किए गए. उनमें से कुछ टुकड़े हिंदु-कुश की पहाड़ियों पर फेंक दिए गए.
बगदादी की लाश के बारे मेंं यही बात कही जाती है
इस्लामिक स्टेट के सरगना अबू बक्र अल बगदादी की कथित मौत के बाद उसकी लाश को भी अमेरिकी कमांडो ग्रुप ने समुद्र में फेंक दिया था. इसके पीछे भी वही वजह थी कि कहीं दफनाने की जगह आतंकियों के लिए तीर्थ में न बदल जाए. वैसे बगदादी के मरने के दावे पर संदेह जताया जाता है क्योंकि अब तक कई बार उसकी मौत के दावे हो चुके. आखिरी बार ये क्लेम पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2019 में किया था.
क्या इस्लाम में समुद्र में दफनाने की छूट है
इस पर इस्लामिक स्कॉलर अलग-अलग बात करते रहे. लादेन की मौत के बाद दो धड़े सामने आए. एक का कहना था कि समुद्र में अंतिम संस्कार तभी ठीक है जब मौत भी समुद्र में हुई हो. वरना जमीन पर ही दफनाया जाना चाहिए. वहीं कई स्कॉलर्स ने कहा कि इस्लाम कई जगहों पर प्रैक्टिकल सुझाव देता है. अगर हालात अलग हैं तो अलग तरीके अपनाने में कोई बुराई नहीं.