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फ्रांस से आजादी चाह रहे इस टापू पर भड़की बगावत की आग, क्यों अब भी 17 देश हैं गुलाम, क्या कर रहा UN?

फ्रेंच द्वीप न्यू कैलोडोनिया कई दिनों से दंगों की चपेट में है. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में कई जानें जा चुकीं. ये टापू फ्रांस से हजारों किलोमीटर दूर है, और नॉन-सेल्फ-गवर्निंग क्षेत्र में आता है. आसान भाषा में समझें तो इसके पास अब तक आजादी नहीं. दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो किसी न किसी मुल्क के कब्जे में रह रहे हैं.

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न्यू कैलेडोनिया में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. (Photo- AP)
न्यू कैलेडोनिया में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. (Photo- AP)

फ्रांस के एक आइलैंड न्यू कैलेडोनिया में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. डेढ़ सौ सालों से ज्यादा वक्त से फ्रेंच सरकार के अधीन रहते आए द्वीपवासी अब आजादी चाहते हैं. ताजा प्रोटेस्ट इसी मांग के साथ हो रहा है. फिलहाल फ्रांस की मैक्रों सरकार ने द्वीप पर इमरजेंसी लगा दी है. लेकिन सवाल ये है कि क्या दुनिया में कुछ देश गुलाम हैं? क्यों यूनाइटेड नेशन्स इसपर कुछ नहीं कर रहा?

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टापू पर क्यों मचा है बवाल

ये प्रशांत महासागर में ऑस्ट्रेलिया के पास बसा एक द्वीप है, जिसपर फ्रेंच कंट्रोल है. 15 मई को यहां आपातकाल लागू हो गया. इसके पीछे लगभग 10 दिनों से चले आ रहे प्रदर्शन थे, जिनमें 5 मौतें भी हो चुकीं. वैसे तो 19वीं सदी से ही द्वीप पर फ्रेंच कब्जा रहा, फिर एकाएक प्रोटेस्ट क्यों? तो इसकी वजह हाल में पारित हुआ एक कानून है. मैक्रों सरकार ने द्वीप पर उन लोगों को भी वोट का अधिकार दे दिया है, जो फ्रांस से जाकर वहां रहने लगे. स्थानीय लोगों को डर है कि इस फैसले के बाद वोटर लिस्ट में भारी बदलाव होगा. फ्रांसीसी लोग नए वोटर होंगे, जिनके मतदान से द्वीप पर आजादी की रही-सही उम्मीद भी चली जाएगी. इसी बात पर न्यू कैलेडोनिया के मूल निवासियों ने विरोध शुरु कर दिया. 

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फ्रांस से लगभग 17 सौ किलोमीटर दूर न्यू कैलेडोनिया में कई आदिवासी समुदाय हैं, जो वहां के मूल निवासी हैं. माना जाता है कि वे हजारों साल से उसी द्वीप पर रह रहे हैं. 18वीं सदी में इसपर ब्रिटिश कंट्रोल था, जो साल 1853 में फ्रांस के अधीन आ गया. 

what is happening in france controlled island new caledonia photo Getty Images

जेल में बदल चुका था द्वीप

फ्रांस यहां के लोगों के साथ घुलने-मिलने के लिए वहां नहीं पहुंचा था, बल्कि समुद्र से घिरे टापू का अलग ही इस्तेमाल हो रहा था. वहां फ्रेंच सरकार अपने राजनैतिक और खतरनाक माने जाते कैदियों को रखा करती ताकि वे भाग न सकें. दूसरे विश्व युद्ध के बाद कई देशों को आजादी मिली. इस बीच टापू के मूल निवासियों ने भी मुक्त होना चाहा, लेकिन हर बार उनकी मांग दबा दी गई. न्यू कैलेडोनिया ने अपना झंडा और वो सारी तैयारियां कर रखी हैं, जो किसी देश को चाहिए होती हैं. 

समझौते के तहत मिली लिमिटेड छूट

अस्सी के दशक में प्रोटेस्ट बेहद हिंसक हो गए, जिसके बाद टापूवासियों और फ्रांसीसी सरकार के बीच एक समझौता हुआ. नॉमिआ अकॉर्ड के तहत द्वीप को 'लिमिटेड' छूट मिली. बाद में स्थानीय नेताओं ने आजादी पर जनमत संग्रह कराया, लेकिन वोट बंट गए. मूल निवासियों ने आजादी चाही, जबकि फ्रांस से आकर बसे हुए लोग फ्रेंच कंट्रोल की ही बात करते रहे. 

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फ्रेंच मतदान करेंगे तो देश की आजादी शायद ही मुमकिन हो

अब यही बात फसाद का कारण बन चुकी. फ्रांस ने जब टापू पर कब्जा किया, तो वहां से काफी लोग आकर यहां बस गए. अब वे भी मतदान करेंगे तो कैलेडोनिया की आजादी का रास्ता और मुश्किल हो जाएगा. नए फ्रेंच बिल के तहत वे लोग भी मतदान कर सकेंगे, जो 10 साल या इससे ज्यादा समय से द्वीप पर बसे हुए हैं. 

what is happening in france controlled island new caledonia photo AP

क्या है एनएसजीटी, कितने देश हैं ऐसे

न्यू कैलेडोनिया के अलावा कई और देश हैं जो नॉन-सेल्फ-गवर्निंग टैरिटरी में आते हैं. यानी जमीन के वे टुकड़े जो आजाद नहीं हैं. यूएन का चार्टर के मुताबिक, उस इलाके के लोग जिन्हें पूरी आजादी नहीं मिल सकी, या जिनके पास अपनी सरकार नहीं है, वे एनएसजीटी में आते हैं. 

पहले से दूसरे विश्व युद्ध के बीच डी-कॉलोनाइजेशन ने जोर पकड़ा. देश आजादी मांगने और पाने लगे. यूएन की वेबसाइट के अनुसार इस दौरान 80 से ज्यादा गुलाम देशों को आजादी मिलीय. लेकिन अब भी 17 एनएसजीटी बाकी हैं, जिनपर दूसरे देश राज कर रहे हैं. इनमें से ज्यादातर कैरेबियन स्थित द्वीप हैं. 

इन देशों को अब तक नहीं मिली आजादी

- अंगुइला कैरिबियाई क्षेत्र में आता है, जिसपर यूनाइटेड किंगडम का राज अब भी चलता है. 

- बरमूडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, केमैन द्वीप, फाकलैंड द्वीप, मॉन्टेसेरेट, सेंट हेलेना, गिब्रल्टर, पिटकेर्न समेत तुर्क और कैकोस द्वीप पर ब्रिटिश रूल चल रहा है. 

- तीन देशों पर अब भी अमेरिका की सरकार राज करती है- अमेरिकन समोआ, गुआम और यूनाइटेड स्टेट्स वर्जिन आइलैंड्स. 

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- वेस्टर्न सहारा विवादित एनएसजीटी है, जिसका 80 प्रतिशत भूभाग मोरक्को के कब्जे में है, जबकि शेष पर आजादी मांगते स्थानीय लोगों ने कंट्रोल पा लिया. पहले ये स्पेन के कंट्रोल में रहा. 

- लगभग पौने तीन लाख आबादी वाले न्यू कैलेडोनिया पर लंबे समय से फ्रांस का राज रहा. 

- दक्षिण प्रशांत महासागर स्थित टोकेलाऊ द्वीप न्यूजीलैंड के अधीन है. 

what is happening in france controlled island new caledonia photo Getty Images

क्या दिक्कतें झेलनी होती हैं एनएसजीटी को

इनमें से ज्यादातर द्वीप देश हैं. ये लगातार हरिकेन्स और साइक्लोन्स की चपेट में रहते हैं. लेकिन चूंकि यहां कोई सीधी सरकार नहीं, तो स्थानीय लोगों के लिए खास काम भी नहीं होता है. जिन देशों का कंट्रोल है, इन हिस्सों पर वहां से आकर लोग कारोबार पर कब्जा कर रहे हैं. कोई पक्की सरकार न होने की वजह से छोटे-बड़े विद्रोही गुट बन रहे हैं, जो देश को और अस्थिर कर रहे हैं. जिन देशों ने इनपर कंट्रोल किया हुआ है, राजस्व का बड़ा हिस्सा उनके पास चला जाता है जिसके कारण विकास नहीं हो पा रहा. 

इनके लिए क्या कर रहा है यूएन 

संयुक्त राष्ट्र लगातार बोलता रहा कि हर देश की अपनी सरकार होनी चाहिए, हालांकि एनएसजीटी के मामले में वो खास कुछ नहीं कर सकता, जब तक कि देश खुद कोई बड़ी कोशिश न करें. जिन देशों के कंट्रोल में वे हैं, उनकी मर्जी भी मायने रखेगी. इस बीच यूएन ने एक काउंसिल बनाई जो देखती है कि दूसरे देश के अधीन रहते हिस्सों में मानवाधिकार बने रहें और विकास भी हो. समय-समय पर ये इन इलाकों को देखती रहती हैं. एकाध बार पूरी आजादी देने की बात भी उठी, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ा. 

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