scorecardresearch
 

इंसानी मल-मूत्र से लेकर खराब सैटेलाइट के टुकड़े, अंतरिक्ष में जमा हो चुका सैकड़ों टन कबाड़, इस हद तक तबाही मचा सकता है

अपोलो 11 के चंद्रमा पर पहुंचे 50 साल से ज्यादा समय हो चुका. अब भी वहां की जमीन पर नील आर्मस्ट्रॉन्ग के पैरों की छाप बाकी है. कोई वातावरण न होने की वजह से सबकुछ वैसे का वैसा है. यहां तक कि इंसानी मल-मूत्र के पैकेट भी. 100 से ज्यादा ऐसे थैलों के अलावा कुल मिलाकर 2 सौ टन कूड़ा चांद पर केवल हमारा दिया हुआ है.

Advertisement
X
अंतरिक्ष पर गंदगी बढ़ रही है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
अंतरिक्ष पर गंदगी बढ़ रही है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

धरती पर तो कबाड़ भरा हुआ है ही, अंतरिक्ष पर भी गंदगी बढ़ रही है. अब तक करीब साढ़े 6 हजार कामयाब रॉकेट लॉन्च हुए, जिसका नतीजा ये हुआ है कि धरती के ऑर्बिट पर इंसानी कचरे का ढेर बढ़ने ही लगा. यूरोपियन सर्दन ऑब्जर्वेटरी (ESO) का अनुमान है कि साल 2030 तक सैटेलाइट प्रोजेक्ट्स एकदम से बढ़ेंगे और 75 हजार पार कर जाएंगे. हर ऐसे लॉन्च के साथ स्पेस जंक बढ़ता ही जाएगा. 

Advertisement

कुल कितना कूड़ा है स्पेस में 

कंबाइंड फोर्स स्पेस कंपोनेंट कमांड (CFSCC) इसपर नजर रखता है कि अंतरिक्ष में इंसान क्या कर रहा है. CFSCC ने बाकायदा एक लिस्ट बनाई, जिसमें अलग-अलग तरह के जंक्स शामिल हैं. वैज्ञानिकों ने वो तरीका बनाया, जिसमें 10 सेंटीमीटर साइज के ऑब्जेक्ट जो 3 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से घूम रहे हों, उन्हें ट्रैक किया जा सके. इसके अलावा भी बहुत सा जंक है, जिसमें बारे में मोटा अनुमान ही लगाया जा सका. लिडार (रडार और ऑप्टिकल डिटेक्टर से बनी चीज) नाम के उपकरण से लगातार इन्हें ट्रैक किया जा रहा है कि ये कहां और किस गति से जा रहे हैं.

किस आकार के कितने ऑब्जेक्ट

फिलहाल 10 सेंटीमीटर या उससे बड़े आकार के 1 मिलियन ऑब्जेक्ट हैं, जो धरती के आसपास घूम रहे हैं. वहीं 1 से 9 सेंटीमीटर तक के 130 मिलियन से भी ज्यादा ऑब्जेक्ट हैं. ये रॉकेट का कूड़ा भी हो सकते हैं, पेंट भी, और मल-मूत्र भी. भले ही इनका आकार छोटा हो, लेकिन ये बंदूक की गोली से भी तेजी से घूम रहे हैं. इससे ऑर्बिट में कोई बड़ा खतरा भी आ सकता है. 

Advertisement

what is space junk and how dangerous it is including moon junk photo Unsplash

कहां से आया इतना कचरा

स्पेस मिशन की शुरुआत से लेकर अब तक सारे देशों ने बहुत सारी सफलता-असफलता देखी. दोनों ही बातों के दौरान एक चीज कॉमन रही- स्पेस में कूड़े का बढ़ना. कई बार सैटेलाइट खराब हो गए, कई बार हादसे का शिकार हुए, कई बार अचानक उन्होंने काम करना बंद कर दिया. कई सैटेलाइट रॉकेट बूस्टर के साथ जाते हैं, जो बाद में स्पेस में छोड़ दिए जाते हैं. एंटी सैटेलाइट (ASAT) वेपन भी कचरा फैला रहे हैं. ये वो मिसाइल हैं, जो लो-अर्थ ऑर्बिट पर रहते सैटेलाइट्स को खत्म करने के लिए भेजे जाते हैं. अब तक अमेरिका, रूस, भारत और चीन भी ASAT भेज चुके. ये सैटेलाइट को खत्म करते हैं, जिसे दौरान स्पेस में उसका कचरा फैल जाता है. 

कितना खतरनाक है ये कूड़ा

धरती से कहीं ज्यादा खतरनाक स्पेस जंक हो सकता है. यहां हर चीज बहुत तेजी से घूमती रहती है. यहां तक कि 1 सेंटीमीटर छोटा टुकड़ा भी करीब हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूमता रहता है. ऐसे में अगर वो किसी सैटेलाइट से टकराए तो गंभीर नुकसान हो सकता है. ऐसा हो भी चुका है. साल 2021 में चीनी वेदर सैटेलाइट का जंक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से टकरा गया था. इससे ISS में एक छेद हो गया था. ये नुकसान काफी बड़ा भी हो सकता है. 

Advertisement

what is space junk and how dangerous it is including moon junk photo Unsplash

एक समय ऐसा भी आएगा

स्पेस जंक के खतरे को समझाने हुए एक वैज्ञानिक ने केसरल सिंड्रोम तक की बात कर डाली. नासा के वैज्ञानिक डोनॉल्ड केसलर ने सत्तर के दशक में कहा था कि स्पेस जंक लगातार घूमते हुए अलग टकराता है, तो जिस चीज से टकराएगा, वो भी कूड़ा बनकर स्पेस में तैरने लगेगा. एक के बाद एक लगातार टक्कर होगी रहेगी. फिर एक समय ऐसा आएगा, जब स्पेस में जगह ही बाकी नहीं रहेगी. 

स्पेस किसी एक देश का नहीं, तो दिक्कत बढ़ रही है

आउटर स्पेस ट्रीटी ऑफ 1967 कहता है कि चंद्रमा या स्पेस के किसी भी हिस्से पर किसी व्यक्ति या देश का अधिकार नहीं. इसका नतीजा ये हुआ कि अंतरिक्ष जा तो कई देश रहे हैं, लेकिन कोई भी इसकी सफाई की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता. यही देखते हुए यूनाइटेड नेशन्स ने सभी कंपनियों से कहा कि वे अपना मिशन खत्म होने के 25 साल के भीतर अपना क्रिएट किया हुआ जंक हटा दें. देश अपने खत्म या खराब हो चुके सैटेलाइट को स्पेस में ही खत्म करने की बजाए धरती पर ला रहे हैं. 

what is space junk and how dangerous it is including moon junk photo Pixabay
पॉइंट निमो वो जगह है, जहां धरती पर स्पेस जंक जमा हो रहा है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

धरती पर यहां जमा हो रहा कूड़ा

Advertisement

खराब हो चुके सैटेलाइट्स को धरती पर लौटाकर पॉइंट निमो में जमा किया जा रहा है. प्रशांत महासागर में दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच स्थित इस जगह को समुद्र का सेंटर भी माना जाता है. यहां से जमीन के टुक़़े या आबादी तक पहुंचना आसान नहीं. अंग्रेजी में इसे ओशनिक पोल ऑफ इनएसेसिबिलिटी भी कहते हैं, यानी समुद्र के बीच वो जगह, जहां पहुंचा ही नहीं जा सकता.

यहां से चारों ओर कम से कम हजार मील की दूरी तक समुद्र ही पसरा हुआ है. अब तक यहां 100 से ज्यादा सैटेलाइट्स का कबाड़ जमा हो चुका और साल 2031 में जब इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन खत्म होने लगेगा, तब उसे भी निमो पर ही फेंका जाएगा.

संधि क्यों नहीं उतनी प्रभावी

नासा ने आर्टेमिस अकॉर्ड्स भी तैयार किया, जिसमें अंतरिक्ष के साफ-सुथरा और पीसफुल बनाए रखने की बात है. 28 देशों ने इसपर दस्तखत भी कर दिए. रूस और चीन अब भी इसका हिस्सा नहीं बने हैं. और सबसे बड़ी परेशानी ये है कि प्राइवेट कंपनियां भी इसमें शामिल नहीं. ऐसे में स्पेस के कबाड़ को कम करना जरा मुश्किल ही दिख रहा है. 

Advertisement
Advertisement