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वो देश जहां तलाक को अब भी नहीं मिल सकी हरी झंडी, क्या है कारण, अलग होने के लिए क्या कर रहे लोग?

बेंगलुरु में आत्महत्या करने वाले इंजीनियर अतुल सुभाष मामला चर्चा में है. इस बीच ये बात भी हो रही है कि हमारे यहां तलाक की कानूनी पेचीदगियां काफी ज्यादा हैं, जिसका फायदा कोई एक पक्ष उठा लेता है. दूसरी तरफ, एक ऐसा भी देश है, जहां तलाक लेना ही गैरकानूनी है. अलग होने के लिए लोग यहां एक्सट्रीम रास्ते ले रहे हैं.

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फिलीपींस में तलाक कानूनी रूप से प्रतिबंधित रहा. (Photo- Getty Images)
फिलीपींस में तलाक कानूनी रूप से प्रतिबंधित रहा. (Photo- Getty Images)

अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद से लोग दो खेमों में बंटे हुए है. कुछ लोग लड़कियों, तो कुछ लड़कों को कटघरे में रख रहे हैं. एक पक्ष ऐसा भी है, जो तलाक के कानून में कमियां निकाल रहा है. इस बीच जानिए, एक ऐसे देश की बात, जहां तलाक को कानूनी मंजूरी ही नहीं. रिश्ता चाहे कितना ही खराब क्यों न हो जाए, जोड़े वैधानिक तौर पर अलग नहीं हो सकते. हां, इसके कुछ वैकल्पिक रास्ते जरूर हैं, यानी दाएं-बाएं से बचकर निकलने के तरीके, टॉक्सिक रिश्तों में रहते लोग जिनकी मदद ले रहे हैं. 

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लंबे समय से चली आ रही धार्मिक कट्टरता

वेटिकन सिटी के अलावा फिलीपींस अकेला देश है जहां तलाक कानूनी रूप से प्रतिबंधित रहा. यहां साल 1930 में तलाक पर रोक लगाने वाला पहला कानून बना. लेकिन इससे पहले भी धार्मिक आधार पर डिवोर्स पर रोक रही. साल 2020 में हुए सेंसस के अनुसार, यहां कैथोलिक आबादी लगभग 79 फीसदी है. प्रतिशत में ये धार्मिक जनसंख्या सबसे ज्यादा है. किसी भी दूसरे क्रिश्चियन देश में कैथोलिक्स की इतनी बड़ी आबादी नहीं. वहीं लगभग 6.4 प्रतिशत के साथ मुस्लिम दूसरी बड़ी आबादी हैं. यहां बता दें कि फिलीपींस के मुस्लिम शरिया लॉ के मुताबिक तलाक ले सकते हैं, लेकिन कैथोलिक धर्म के मानने वालों को इसकी इजाजत नहीं.

दरअसल ईसाई धर्म में शादी को काफी पवित्र बंधन की तरह देखा जाता है. शादीशुदा जोड़े कुछ मामलों में अलग रह सकते हैं, लेकिन वे चर्च में दोबारा शादी नहीं कर सकते. तलाक पर इसी कट्टरता के चलते 16वीं सदी में इंग्लैंड के हैनरी अष्टम ने कैथोलिक चर्च से रिश्ता तोड़ लिया था ताकि वे अपनी मौजूदा पत्नी को तलाक देकर दूसरी शादी कर सकें. 

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वक्त के साथ चर्च इस मामले में काफी उदार हुआ. अस्सी और नब्बे के दौरान स्पेन, अर्जेंटिना और आयरलैंड जैसे कट्टर देशों में भी तलाक पर ढील मिली लेकिन फिलीपींस बाकी रह गया.

why divorce is not legal in philippines history present scenario amid atul subhash suicide case photo Unsplash

स्पेन के शासन के दौरान चर्च हुआ ताकतवर

फिलीपींस में शादी को लेकर इस कट्टरता की शुरुआत स्पेन से ही हुई थी. 16वीं सदी में स्पेन के रूल के दौरान कैथोलिक चर्च यहां खासा मजबूत हुआ. उसने शादी को सैक्रामेंट यानी पवित्र संस्कार माना, जिसमें तलाक की कोई जगह नहीं थी. 19वीं सदी में यहां अमेरिका ने राज किया लेकिन जैसा कि अक्सर होता है, अमेरिका ने स्थानीय सोच में छेड़छाड़ का कोई खतरा नहीं लिया. हालांकि गंभीर वजहों, जैसे हिंसा के आधार पर अलग-अलग रहा जा सकता था, लेकिन चर्च की ताकत कम नहीं हुई थी. 

साल 1930 के दौरान चर्च ने सरकार पर कानून लाने को लेकर दबाव बनाया. कैथोलिक समुदाय का बड़ा हिस्सा भी यही चाहता था कि देश में तलाक पर रोक लग जाए. इस दौरान, सिविल कोड ऑफ फिलीपींस में ऐसे प्रावधान जोड़े गए जो डिवोर्स को अवैध बनाते हैं. 

बेहद पेचीदा और खर्चीला है रास्ता

कानून तो बन गया लेकिन इससे गलत रिश्ते में फंसे जोड़े परेशान रहने लगे. वे सरकार पर लगातार प्रेशर बनाने लगे. आखिरकार बीच का रास्ता निकालते हुए एनलमेंट यानी शादी रद्द करने पर बात रुकी. ये तलाक नहीं है, लेकिन इससे कपल के साथ रहने की बाध्यता खत्म हो जाती है.

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यह तलाक से अलग है. तलाक में माना जाता है कि शादी हुई थी और इसे अब कानूनी तौर पर खत्म किया जा रहा है, वहीं एनलमेंट यह कहता है कि शादी शुरू से ही वैध नहीं थी. ये तब लिया जा सकता है जबकि रिश्ते के लिए जरूरी बातों में से कुछ अधूरी हों, जैसे पति या पत्नी का शारीरिक या मानसिक तौर पर सेहतमंद न होना और इसे छिपाना, या अगर बिना रजामंदी के शादी हुई हो. हालांकि एनलमेंट में एक पक्ष को दूसरे को भारी मुआवजा देना होता है इसलिए ये प्रैक्टिस अमीरों तक ही रह गई. मध्यम वर्ग या कम आय वाला तबका अब भी गलत रिश्तों में रहने को मजबूर रहा. 

why divorce is not legal in philippines history present scenario amid atul subhash suicide case photo Getty Images

वक्त-बेवक्त फिलीपींस में तलाक को कानूनी वैधता देने की बात उठती रही. जैसे इस साल के बीच में भी ऐसी चर्चा चली थी लेकिन हर बार ये धर्म पर अटक जाती है. 

फिलहाल शादीशुदा जोड़ों के पास क्या व्यवस्था है 

- शादी को कानूनी तौर पर शून्य घोषित किया जा सकता है, जैसे इसका कभी अस्तित्व ही नहीं था. लेकिन इसके लिए बेहद अलग ग्राउंड चाहिए, जैसे धोखा, जबरन शादी या मानसिक बीमारी. 

- लीगल सेपरेशन भी एक रास्ता है, जिसमें कपल अलग रहता है, लेकिन शादी कानूनी तौर पर खत्म नहीं होती यानी इसमें दोनों पक्ष दोबारा शादी नहीं कर सकते. 

- सेपरेशन ऑफ प्रॉपर्टी के तहत संपत्ति का बंटवारा हो जाता है, लेकिन ये भी फाइनेंशियल व्यवस्था है, तलाक तब भी नही होता.

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अलग रहने के इन ग्राउंड्स को भी अदालत में साबित करना होता है. ये प्रक्रिया काफी पेचीदा, लंबी और बेहद महंगी है, जिसमें सालों लग जाते हैं. यही वजह है कि खराब रिश्ते में भी फिलीपींस के लोग बने रहते हैं.

क्या धर्म बदल रहे स्थानीय लोग 

फिलीपींस में तलाक इतना पेचीदा है कि लोग इसके लिए कैथोलिक धर्म छोड़कर इस्लाम अपना रहे हैं. यहां मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत तलाक की अनुमति है. अनौपचारिक तौर काफी सारे लोग धर्म बदल रहे हैं, जिसके बाद शख्स शरिया अदालत में तलाक की याचिका दायर कर सकता है. हालांकि इसका कोई डेटा नहीं कि कितने लोगों ने धर्म बदला क्योंकि ये खुले तौर पर नहीं होता. इसका कुछ अंदाजा इस बात से लग जाता है कि सुप्रीम कोर्ट मनीला में ऐसे कई मामले लगातार आ रहे हैं. साल 2022 में अदालत ने कहा था कि दूसरी शादी करने के लिए इस्लाम अपनाना सही नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय का ऐसा कहना इस बात की झलक दे देता है. 

विदेशों में हुए तलाक को सहमति

तलाक की मांग लगातार जोर पकड़ रही है. ये देखते हुए वहां की एससी ने कई और बदलाव भी किए. जैसे अगर स्थानीय लोग विदेश जाकर तलाक ले आएं तो फिलीपींस उसे रद्द नहीं करेगा, खासतौर पर उन मामलों में जहां एक फिलीपीन की शादी किसी विदेशी से हुई हो और तलाक विदेश में लिया गया हो.  

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