इजरायल और आतंकी गुट हमास की जंग को तीन महीने होने जा रहे हैं. अब हमास पर भारी दबाव है कि वो इजरायली बंधकों को रिहा करे और बीच का रास्ता निकाले. इसे लेकर हमास चीफ इस्माइल हानिया लगातार बयान दे रहे हैं. हाल ही में उन्होंने संकेत दिया कि वे गाजा और वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी सरकार को लेकर राजी हो सकते हैं. फिलहाल गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा है, जबकि वेस्ट बैंक में फिलिस्तानी अथॉरिटी (पीए) काम कर रही है. अगर हमास प्रमुख राजी हो जाएं तो दोनों इलाकों के लिए एक नेशनल सरकार बन सकती है.
वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में क्या है फर्क?
गाजा पट्टी, इजरायल, मिस्र और भूमध्य सागर के बीच बसा एक छोटा-सा एरिया है, जहां फिलिस्तीनी रहते हैं. ये पूरा हिस्सा केवल 41 किलोमीटर में फैला हुआ है, जहां बेहद घनी आबादी रहती है. वहीं वेस्ट बैंक भूमध्य सागर के तट के पास जमीन से घिरा एक इलाका है. इसकी सीमा पूर्व में जॉर्डन और डेड सी लगती है जबकि उत्तर, दक्षिण और पश्चिम में सीमा इजरायल से लगती है. पूर्वी येरूशलम को मिला दें तो ये एरिया लंबा-चौड़ा है.
पॉलिटिक्स के मामले में काफी अंतर
वैसे तो गाजा और वेस्ट बैंक, दोनों ही फिलिस्तीनी इलाके हैं, लेकिन दोनों के राजनैतिक कॉन्टैक्स्ट काफी अलग हैं. गाजा पट्टी में हमास की सरकार है, जो चरमपंथी संगठन है. बहुत से देश इसे टैररिस्ट गुट तक मान चुके. दूसरी तरफ वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी अथॉरिटी काम करती है.
दोनों ही कर रहे इजरायल का विरोध
दोनों ही जगहों पर ये बात कॉमन है कि वे खुद को फिलिस्तीनी मानते हैं और इजरायल का विरोध करते हैं. हालांकि विरोध के तरीके अलग-अलग हैं. हमास की लीडरशिप में गाजा के लोग इजरायल का हिंसक विरोध करते हैं. वहां इजरायली लोगों पर पत्थरबाजियां या प्रदर्शन के आरोप लगते रहे. दूसरी तरफ वेस्ट बैंक नरम रवैया रखता है. इजरायल का विरोध तो वहां भी है, लेकिन हिंसक नहीं. हाल में गाजा में मची तबाही के बाद जरूर आक्रामकता के मामले आए.
कैसे हुए दोनों अलग?
गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक दोनों में ही इस्लाम को मानने वाले और खुद को फिलिस्तीनी बताने वाली आबादी रहती रही, लेकिन दोनों जगहों पर अलग-अलग गुट बन चुके थे. गाजा में हमास था, तो वेस्ट में फतेह था. साल 2006 में फिलिस्तीनी लेजिस्लेटिव काउंसिल का चुनाव होने पर गाजा में हमास भारी मतों से जीता. दोनों ने मिलकर सरकार बनाई, लेकिन हफ्तेभर चले संघर्ष के बाद सरकार गिर गई. गाजा पट्टी पर पूरी तरह से हमास का कब्जा हो गया. बीच-बीच में कई बार दोनों ने संबंध सुधारने की कोशिश की, लेकिन विचारधारा आड़े आ जाती थी.
गाजा पट्टी के लोग किस हाल में हैं?
हमास की वजह से इजरायल समेत बहुत से देश गाजा पट्टी से बिदके रहे. उसे चारों ओर से घेराबंदी में रखा गया. हालात इतने खराब हैं कि साल 2021 में UN के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने इस जगह को धरती का जहन्नुम कहा था. इससे पहले इसे ओपन-एयर जेल भी कहा जा चुका है.
यूएन के अनुसार गाजा पट्टी दुनिया की सबसे गरीब जगहों में से है. यहां कुल बेरोजगारी 46% है, जिसमें भी युवाओं में बेरोजगारी लगभग 60% है. ये हाल तक है, जबकि सटे हुए इजरायल में बेरोजगारी सिर्फ 4% है. एप्लॉयमेंट के मामले में इजरायल अमेरिका की बराबरी पर खड़ा है, जबकि गाजा की तुलना अफ्रीका के सबसे गरीब और अस्थिर देशों से होती रही.
अगर गाजा में भी वेस्ट बैंक की तर्ज पर पीए आ जाए तो ये एक तरह से हमास के खात्मे की तरह होगा. इजरायल के लिए ये फायदे का सौदा है. इससे गाजा पट्टी पर उसका कंट्रोल बढ़ जाएगा. ये आजमाया हुआ मॉडल है, जो ईस्टर्न येरूशलम और वेस्ट बैंक में भी काम करता रहा.
वेस्ट बैंक को लेकर इजरायल अब तक काफी संभलकर काम करता रहा. इस इलाके में करीब 3.7 मिलियन फिलिस्तीनी नागरिक रहते हैं, जिन्हें इजरायल ने शेल्टर और कई सुविधाएं दी हुई हैं. हालांकि इजरायल के खिलाफ प्रोटेस्ट यहां भी होते हैं.