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गल्फ से भर गया केरल के युवाओं का मन, या अरब ने बंद किए दरवाजे, क्यों जेन-Z खाड़ी छोड़कर पश्चिम जा रहा?

केरल सरकार का हालिया माइग्रेशन सर्वे चौंकाने वाले ट्रेंड दिखा रहा है. एक वक्त पर ज्यादातर केरलाइट्स खाड़ी देश जाया करते थे, लेकिन अब इससे उनका मोहभंग हुआ दिखता है. नई पीढ़ी कामकाज के लिए पश्चिमी देश जा रही है. इसमें भी मुस्लिम सबसे ज्यादा हैं, जिसके बाद हिंदू और फिर ईसाई हैं. पहले ये क्रम उल्टा हुआ करता था.

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केरल माइग्रेशन सर्वे में कई नई बातें दिख रही हैं. (Photo- AFP)
केरल माइग्रेशन सर्वे में कई नई बातें दिख रही हैं. (Photo- AFP)

कुवैत में अग्निकांड के बाद से खाड़ी देशों में रहते भारतीयों पर खूब बात हो रही है. इसमें केरल के लोग टॉप पर हैं. हर साल वहां से पेशेवर से लेकर कामगार लोग गल्फ देशों में जाते रहे. लेकिन अब वे खाड़ी देश की बजाए वेस्ट को तरजीह दे रहे हैं. सरकार ने केरल माइग्रेशन सर्वे के तहत ये डेटा जारी किया. इसमें साफ दिखा कि जेनरेशन Z को कुवैत, सऊदी या बहरीन जैसे देशों की बजाए अमेरिका और यूरोप पसंद आ रहे हैं. यहां तक कि अब रिवर्स माइग्रेशन भी दिख रहा है. 

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केरल सरकार ने सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के तहत ताजा डेटा जारी किया. केरल माइग्रेशन सर्वे नाम से ये डेटा हर पांच साल में निकलता है ताकि राज्य के लोगों की आवाजाही पर नजर रखी जा सके. इस बार 14 जिलों के 20 हजार परिवारों पर हुआ सर्वे बाकी सालों से एकदम अलग रहा. 

क्या-क्या नया दिख रहा

- प्रवासियों की संख्या बढ़कर 2.2 मिलियन हो गई, जो 2018 में हुए पिछले सर्वे से बहुत थोड़ी ज्यादा है. 

- पढ़ने के लिए जाने वाले लोगों में ज्यादा बढ़त हुई. साल 2018 में सवा लाख छात्र प्रवासियों से, संख्या साल 2023 में दोगुनी होकर लगभग ढाई लाख हो गई है. 17 साल की उम्र में ही बाहर जाने वालों की संख्या काफी बढ़ी. 

- नॉन-गल्फ देशों में जाने वालों का प्रतिशत तेजी से बढ़ा, जो कि केरल के पुराने पैटर्न से एकदम अलग है. 

- यूरोप या पश्चिम के देशों में जाने वालों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है. 

- सर्वे में शामिल केरल के 14 में से 9 राज्यों में इमिग्रेंट्स की संख्या में कमी आई. माना जा रहा है कि राज्य में इंटरनेशनल इमिग्रेशन कम हो रहा है. 

- इमिग्रेंट्स में रिवर्स माइग्रेशन दिख रहा है. पिछले पांच सालों में 1.8 मिलियन लोग वापस अपने राज्य लौट आए. 

- केरल में भी मल्लापुरम में सबसे ज्यादा आवाजाही हो रही है. 

- धार्मिक माइग्रेशन में भी मुस्लिम सबसे आगे हैं. 41.9% मुसलमानों की तुलना में 35.2% हिंदू और 22.3% ईसाई है.

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why kerala youth is migrating to canada and europe instead of gulf nations photo Getty Images

कितना ज्यादा है रिवर्स माइग्रेशन

कोविड-19 के बाद ये ट्रेंड बढ़ा. सर्वे में शामिल 18.4% लोगों ने बताया कि नौकरी जाने की वजह से वे लौट आए. 13.8% लोगों को तनख्वाह कम लगी. 7.5% इमिग्रेंट्स ने काम करने के खराब हालातों से तंग आकर, जबकि 11.2% ने किसी बीमारी या हादसे का शिकार होकर काम छोड़ा और लौट आए. 16.1% लोगों ने यह भी कहा कि वे वापस अपने राज्य में काम करने के लिए लौट आए. 

70 की शुरुआत में शुरू हुई थी आवाजाही

सत्तर के दशक में ऑइल बूम के बाद पेशेवर से लेकर कामगार लोगों की जरूरत गल्फ को पड़ने लगी. केरल के पास स्किल्ड और सेमी-स्किल्ड दोनों तरह के लोग थे. वे लगातार वहां जाने लगे. अब इन्हीं कामगारों के बच्चे और भी ज्यादा पढ़-लिखकर वेस्ट की तरफ जा रहे हैं. 

महिलाओं के बाहर जाने के प्रतिशत में बड़ा उछाल आया. साल 2018 में कुल इमिग्रेंट्स में 15 फीसदी ही महिलाएं थीं, जो अब 20 फीसदी के करीब हो चुकीं. एक बात ये भी है कि केरल की महिला आबादी गल्फ की बजाए ज्यादातर वेस्ट को चुन रही है. 

why kerala youth is migrating to canada and europe instead of gulf nations photo PTI

गल्फ से क्यों बढ़ी दूरी

- इन देशों में ऑइल बूम के बाद जो कंस्ट्रक्शन वर्क शुरू हुआ था, उसमें सैच्युरेशन आ चुका. अब वहां इंफ्रा का बहुत सा काम हो चुका है, इसलिए कामगारों की जरूरत भी घटी. 

- अमीर अरब युवा अब विदेशों में पढ़ने-लिखने के बाद लौट रहे हैं. उनके पास स्किल है. ऐसे में केरल के स्किल्ड लोगों की जगह वे बैंक और हेल्थकेयर में जा रहे हैं. 

- खाड़ी में दशकों तक पैसे कमाकर लौटे लोग नई पीढ़ियों को यूरोप, कनाडा या बाकी पश्चिमी देशों में भेज रहे हैं ताकि वे वहीं पर परमानेंट रेजिडेंट स्टेटस पा सकें. 

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केरल से कितनी आबादी खाड़ी में बसी हुई

साल 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, केरल से सबसे ज्यादा लोग गल्फ की तरफ जाते रहे. इसमें भी पौने 8 लाख के मलयाली आबादी के साथ यूएई पहले नंबर पर है. इसके बाद कुवैत, सऊदी अरब, कतर, मलेशिया, ओमान और बहरीन का नंबर है. इन सबके बाद अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया आते हैं. इस तरह से लगभग 60 लाख लोग हैं, जो राज्य और देश छोड़कर बाहर काम कर रहे हैं. 

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