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भारत ने कर डाली मेजबानी लेकिन पाकिस्तान के पास G20 की सदस्यता तक नहीं, जानिए क्या हैं शर्तें

भारत G20 में कामयाब मेजबान की भूमिका में रहा. दुनियाभर के लीडर्स आकर खुशी-खुशी लौटे, वहीं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को न्यौता तक नहीं मिला. भारत और पाकिस्तान लगभग एक साथ आजाद हुए, इसके बाद भी होस्ट बनना तो दूर, पाकिस्तान जी20 का हिस्सा तक नहीं बन सका. हाल में अफ्रीकन यूनियन को भी इसकी मेंबरशिप मिल गई. तो क्या पाकिस्तान की एंट्री में कोई खास चीज रोड़ा है?

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पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से डगमगाई हुई है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से डगमगाई हुई है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

आबादी के लिहाज से पाकिस्तान दुनिया का 5वां सबसे बड़ा देश है. लंबाई-चौड़ाई के हिसाब से भी ये 33वें नंबर पर आता है. कम समय में ही इसने न्यूक्लियर वेपन बना डाले. यानी सैन्य ताकत भी इसके पास दुनिया के बहुत से देशों से काफी ज्यादा है. इसके बाद भी पाकिस्तान को जी20 जैसी अहम बॉडी में जगह नहीं मिल सकी. क्या इसकी वजह पाकिस्तान की कमजोर इकनॉमी है, या फिर आतंक से बार-बार जुड़ता रहा नाम? क्या आतंक को पनाह देना बंद करना इसका जी20 क्लब में खाता खोल देगा? आइए, जानते हैं क्यों पाकिस्तान को इससे दूर रखा गया है. 

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फिलहाल कौन से देश हैं इसमें

साल 1999 में दुनिया की मजबूत अर्थव्यवस्थाओं का एक संगठन बना. तब इसमें कुछ ही देश शामिल थे. जैसे-जैसे दूसरे कई देश मजबूत हुए, वे भी इसका हिस्सा बनते गए. साल 2008 में इसकी पहली आधिकारिक बैठक अमेरिका में हुई.

फिलहाल G20 में भारत के अलावा रूस, ब्राजील, कनाडा, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, अमेरिका, चीन, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, तुर्की, ब्रिटेन और एक यूरोपीय संघ शामिल है.

why pakistan is not in g20 countries terrorism or poor economy what is the reason photo AFP

किस हाल में है पाकिस्तान

जी20 जब बना तो इसमें उन देशों को शामिल किया गया, जो दुनिया की बड़ी या बड़ी तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं थीं. तब तक पाकिस्तान का कहीं नाम भी नहीं था. वहीं हाल के सालों में इसकी हालत और खराब हो चुकी. साल 2020 की बात करें तो भारत की GDP पाकिस्तान से 10 गुना से भी ज्यादा थी. यहां तक कि भारत के महाराष्ट्र राज्य की GDP भी पाकिस्तान यानी एक पूरे देश से ज्यादा थी. ये बात खुद इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और वर्ल्ड बैंक ने दो साल पहले मानी थी.

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क्या कहते हैं आंकड़े

फिलहाल पाकिस्तान बुरी तरह से बदहाल है. वहां से लगातार ऐसी तस्वीरें और वीडियो आ रही हैं, जिसमें आटा-शक्कर के लिए लोग मरने-मारने पर तुले हुए हैं. आंकड़े देखें तो वहां की आबादी भले 23 करोड़ पार कर गई, लेकिन इकनॉमी अब भी साढ़े 3 सौ अरब डॉलर से भी नीचे अटकी हुई है. 

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की ओर से पूर्व में जारी किए गए आंकड़ों को देखें तो जनवरी 2023 तक पाकिस्तान का कुल ऋण स्टॉक बढ़कर 55 ट्रिलियन रुपये पर पहुंच गया था, जो अब और भी बढ़ गया है. हाल ही में पाकिस्तान के लिए 3 अरब डॉलर के लोन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मंजूरी दी है. 

why pakistan is not in g20 countries terrorism or poor economy what is the reason photo Getty Images
जी20 बैठक का होस्ट इस बार भारत था. सांकेतिक फोटो (Getty Images)

पैसों की तंगी अकेली वजह नहीं

पाकिस्तान को ज्यादातर देश आतंक फैलाने या आतंकियों को शरण देने वाले मुल्क की तरह देखते हैं. इस बारे में यूनाइटेड नेशन्स से उसे कई बार चेतावनी भी मिल चुकी. ये भी एक बड़ी वजह है कि इसे जी20 जैसे अहम संगठन से दूर रखा गया. असल में जी20 ग्रुप में सिर्फ इकनॉमी पर नहीं, बल्कि हर तरह के ग्लोबल मुद्दे पर बात होती है. इस पॉलिटिकल क्लब में शामिल कई देश एक-दूसरे से शिकायत रखते हैं, तनाव है, लेकिन किसी पर भी आतंकवाद का ठप्पा नहीं लगा. 

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क्या शर्त है जी20 की सदस्यता के लिए

ये संगठन इस तरह से नहीं बना कि हर साल के साथ इसमें नए-नए देश जुड़ते जाएं. जैसा कि नाम से जाहिर है, इसमें कुल 20 मेंबर हैं, जिसमें 19 देश और एक यूरोपियन यूनियन है. अब अफ्रीकन यूनियन भी इसका हिस्सा होगा. इस तरह से इस क्लब के 21 सदस्य बन जाएंगे. लेकिन पाकिस्तान के 22 सदस्य बन सकने के फिलहाल कोई आसार नहीं. 

why pakistan is not in g20 countries terrorism or poor economy what is the reason photo Getty Images

क्या इसके लिए वोटिंग होती है

अब तक इसमें ऐसा कोई भी विवादित देश शामिल नहीं हुआ कि आधिकारिक वोटिंग की जरूरत पड़े. म्युचुअल बातचीत से ऐसे फैसले लिए जाते रहे. भारत और चीन की बात करें तो दोनों देशों के बीच बॉर्डर को लेकर तनाव जरूर रहता है लेकिन इंटरनेशनल मंच पर दोनों देश अच्छे पड़ोसियों की तरह बात करते हैं. टेंशन पर दोनों ने कभी भी यूनाइटेड नेशन्स से मध्यस्थता करने की अपील नहीं की. तुर्की का भी एक नहीं, कई देशों से विवाद होता रहा.

यहां तक कि तुर्की कई बार भारत के खिलाफ बोल चुका, इसके बाद भी इस देश ने सीधे-सीधे टेररिज्म को बढ़ावा कभी नहीं दिया. वहीं दुनिया इस बात से वाकिफ है कि पाकिस्तान किस तरह से आतंक को पालता-पोसता है. तो कुल मिलाकर पाकिस्तान का अलग छूटना लाजिमी है.

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अफ्रीकन यूनियन क्यों बना 21वां सदस्य

G20 समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समूह में अफ्रीकी संघ के प्रवेश की बात की, जिसपर सारे लीडर्स ने सहमति जताई. यहां सवाल उठता है कि अफ्रीकन यूनियन को क्यों मेंबरशिप मिली. तो इसकी वजह साफ है. ये 55 देशों का ग्रुप है, जिसके पास कच्चे माल का भंडार और मैनपावर दोनों है. आगे चलकर ये दुनिया की इकनॉमी को नई दिशा दे सकता है. यही सारे पहलू देखते हुए यूनियन को क्लब की एंट्री मिली.

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