scorecardresearch
 

क्यों बहुत से अमीर देशों के पास नहीं है न्यूक्लियर ताकत, किस समझौते के तहत खुद को निहत्था रखे हुए?

सत्ता बदलने के साथ ही बांग्लादेश के तेवर भी बदल गए. अब वहां बहुत से लोग भारत-विरोधी बयान दे रहे हैं. यहां तक कि ढाका यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने पाकिस्तान को मित्र बताते हुए सलाह दी कि न्यूक्लियर पावर के लिए ढाका को इस्लामाबाद से संधि कर लेनी चाहिए. ये बयान बांग्लादेश के खतरनाक इरादों को तो बता रहा है लेकिन क्या ऐसा करना वाकई मुमकिन है?

Advertisement
X
बांग्लादेश से पाकिस्तान के साथ परमाणु संधि की बात उठ रही है. (Photo- Getty Images)
बांग्लादेश से पाकिस्तान के साथ परमाणु संधि की बात उठ रही है. (Photo- Getty Images)

सत्तर के दशक में बांग्लादेश लड़-झगड़कर पाकिस्तान से अलग हुआ था. अब शेख हसीना सरकार के जाने के बाद यही देश भारत विरोध में इतना रमा कि पाकिस्तान को अपना दोस्त बताते हुए नई दिल्ली को सबक सिखाने की बात कह रहा है. हाल में ढाका यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर शाहिदुज्जमां ने ऐसा ही बयान देते हुए कहा कि ढाका को इस्लामाबाद से परमाणु संधि कर लेनी चाहिए. जानिए, क्या सचमुच दो देश मिलकर न्यूक्लियर वेपन बना सकते हैं. या न्यूक्लियर ताकत साझा की जा सकती है? 

Advertisement

इस संधि ने रोक रखा है

दुनिया में कई देश हैं, जो काफी शक्तिशाली हैं लेकिन इसके बाद भी उनके पास न्यूक्लियर ताकत नहीं. जैसे जर्मनी, दक्षिण कोरिया और जापान. अच्छी-खासी तकनीक के बाद भी इन्होंने परमाणु हथियार बनाने से दूरी बना रखी है. इसके पीछे है वो संधि, जो इन्हें भरोसा दिलाती है कि अगर किसी देश ने उनपर हमला किया, तो परमाणु शक्ति संपन्न मित्र देश उसे बचाएंगे. 

इस संधि का नाम न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफेरेशन ट्रीटी (एपीटी) है. पचास के दशक में जब नॉर्थ और साउथ कोरिया में फसाद शुरू हुआ, तब अमेरिका और यूएन ने सैन्य हस्तक्षेप कर साउथ कोरिया की मदद की. ये सहायता इसी संधि के तहत हुई थी. दक्षिण कोरिया के पास अब भी परमाणु हथियार नहीं लेकिन वो निश्चिंत है कि खतरे की स्थिति में अमेरिका से उसे मदद मिलेगी.

Advertisement

इसी तरह से जर्मनी भी एनटीपी का हिस्सा है. परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए हुई ये ट्रीटी परमाणु और गैर-परमाणु शक्तियों के बीच एक संतुलन बनाने की कोशिश है. इसके तहत केवल अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन और फ्रांस को परमाणु हथियार रखने की इजाजत है. बता दें कि ये वो देश हैं, जो ट्रीटी से पहले न्यूक्लियर टेस्ट कर चुके थे. 

why some nations have nuclear weapons and some are defenseless amid bangladesh controversial statement photo Reuters

संधि की शर्तों पर कई देश एतराज भी जताते रहे

उनका तर्क है कि इस तरह से कुछ देश मजबूत बने हुए हैं और बाकियों को खुद पर निर्भर बनाए हुए हैं. दूसरे देश के न्यूक्लियर वेपन पर भरोसा करना ऐसा ही है जैसा दूसरे घर में रखे पैसों पर भरोसा. यही वजह है कि कई देश एनटीपी से बाहर भी निकल गए और परमाणु ताकत हासिल की. जैसे उत्तर कोरिया इस संधि का हिस्सा था, लेकिन फिर  उसने इसे तोड़ दिया और हथियार बनाए. इसपर अमेरिका समेत सहयोगी देशों ने उसपर काफी सारी पाबंदियां लगी दीं. इसी तरह भारत ने शुरुआत से ही संधि से दूरी बनाए रखी और न्यूक्लियर पावर हासिल की. हालांकि इसपर उसे बाकी देशों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी. 

अब बात करते हैं पाकिस्तान की. तो इसने भी संधि पर हस्ताक्षर से इनकार कर दिया. बाद में भारत के न्यूक्लियर वेपन बनाने के बाद उसने भी अपने यहां परमाणु हथियारों पर काम शुरू किया. पाकिस्तान के साथ खतरनाक बात ये है कि उसकी परमाणु नीति फर्स्ट यूज की है, यानी अगर उसे खतरा महसूस हो तो वो पहले परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकता है. न्यूक्लियर टेस्ट के बाद उसपर भी कई पाबंदियां लगीं लेकिन वो अपनी सुरक्षा के हवाले से हथियार बनाने पर जोर देता रहा. 

Advertisement

संधि में शामिल सभी देशों पर अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी का कंट्रोल है. वो समय-समय पर चेक करती है कि देश कहीं चुपके-चुपके हथियार बनाने पर काम तो नहीं कर रहे. 

why some nations have nuclear weapons and some are defenseless amid bangladesh controversial statement photo- Getty Images

गुप्त रूप से बनते रहे हथियार

इन सबसे ऐसा लगता है कि कोई देश चाहने भर से न्यूक्लियर पावर बन सकता है अगर वो संधि से बाहर निकल जाए. ऐसा वाकई में है. संधि से बाहर रहते हुए लगभग सभी देशों ने चुपके-चुपके काम शुरू किया और ताकत हासिल कर ली. एजेंसी केवल उन्हीं देशों की मॉनिटरिंग कर सकती है, जो उसके दायरे में हैं. दूसरे देशों में वो तब तक दखल नहीं दे सकती, जब तक कि न्यूक्लियर टेस्टिंग के सबूत न मिल जाएं. जब तक ऐसा होता है, तब तक देश परमाणु शक्ति पा चुका होता है. 

इजरायल के बारे में माना जाता है कि वो गुप्त रूप से परमाणु हथियार बना चुका. हालांकि इजरायल ने आरोपों से न तो इनकार किया, न ही इसपर हामी भरी कि उसके पास ये ताकत है. ईरान और लीबिया पर भी ये आरोप लग चुके. ईरान पर अमेरिका और इजरायल दोनों ही आरोप लगा चुके कि वो न्यूक्लियर हथियारों पर लगातार काम कर रहा है. 

कितना दम है बांग्लादेश से उठी चर्चा में

ढाका भी एनटीपी में हस्ताक्षर कर चुका. ऐसे में वो खुद न्यूक्लियर वेपन नहीं बना सकता, जब तक वो इससे बाहर न निकल जाए. संधि से बाहर आना अपने-आप में खतरनाक है. इसके बाद उसपर कई आर्थिक-व्यापारिक पाबंदियां लग सकती हैं. बांग्लादेश अभी जिस स्थिति में है, उसमें ये उसके लिए मुसीबत ला सकता है. संधि का सदस्य होने की वजह से उसे किसी ऐसे देश से मदद लेने पर भी रोक है, जो एनटीपी में शामिल नहीं हैं.

Advertisement

इधर चूंकि पाकिस्तान संधि से बाहर है और न्यूक्लियर वेपन भी बना चुका तो ढाका चाहकर भी उसकी मदद नहीं ले सकता. इसका दूसरा पहलू ये भी है कि पाकिस्तान खुद जितनी आर्थिक मुसीबतें झेल चुका, वो बांग्लादेश की मदद कर शायद ही इंटरनेशनल गुस्से का शिकार होना चाहे.

Live TV

Advertisement
Advertisement