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बाहरियों को देश छोड़ने के लिए 28 लाख दे रहा स्वीडन, क्या इमिग्रेंट्स की बढ़ती आबादी से घबराई सरकार?

रिफ्यूजियों को लेकर पूरे यूरोप में हल्ला है. आशंका जताई जा रही है कि जल्द ही बाहरी देशों की आबादी यूरोपियन कल्चर को खत्म कर देगी. स्वीडन में ये डर इस हद तक बढ़ चुका कि वहां की सरकार विदेशियों को स्वीडन छोड़ने के लिए भारी-भरकम रकम दे रही है. इसकी शुरुआत साल 2022 से ही हो चुकी, लेकिन अब इंसेंटिव की राशि कई गुना बढ़ाई जा रही है.

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स्वीडन में इमिग्रेंट्स को जाने के लिए इंसेंटिव दिया जा रहा है. (Photo- Unsplash)
स्वीडन में इमिग्रेंट्स को जाने के लिए इंसेंटिव दिया जा रहा है. (Photo- Unsplash)

स्वीडिश माइग्रेशन मिनिस्टर जोहान फोर्सेल ने हाल में एक प्रेस कॉफ्रेंस करते हुए एलान किया कि स्वीडन छोड़ने वाले इमिग्रेंट्स को भारी-भरकम राशि दी जाएगी ताकि वे अपने देश, या दूसरे मनचाहे देश में जाकर जीवन शुरू कर सकें. ये एलान यूं ही नहीं. दरअसल स्वीडन में बीते कुछ समय में इतने शरणार्थी आए कि वहां के लोग परेशान रहने लगे. खासकर मिडिल ईस्ट और दूसरे मुस्लिम देशों से आए शरणार्थियों की आबादी वहां की कुल जनसंख्या का 8.1% हो चुकी. ऐसे में बाहरियों को कम करने के लिए वे इंसेंटिव देने जैसा कदम उठा रहे हैं. 

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क्या चल रहा है स्वीडन में

स्वीडन की कुल जनसंख्या लगभग साढ़े 10 मिलियन है. इसमें से 2 मिलियन लोग बाहरी हैं. और इसमें भी आधा प्रतिशत मुस्लिम देशों से आए शरणार्थियों का है. साल 2015 में इस देश ने लगभग पौने दो लाख शरणार्थियों को जगह दी, जो उनकी मूल आबादी से लिहाज से बहुत ज्यादा था. यह बढ़ती जनसंख्या देश के आर्थिक ढांचे पर तो असर डाल ही रही है, वहां सोशल-कल्चरल स्ट्रक्चर भी अछूता नहीं. स्वीडन में खुलेपन की जगह आक्रामक चरमपंथ ले रहा है.

लोकल्स में बढ़ रही नाराजगी

स्थानीय लोग डरे हुए हैं कि स्वीडिश सरकार अगर दरवाजे यूं ही खुले रखती रही तो जल्द ही उनकी अपनी पहचान चली जाएगी. ये डर और गुस्सा वहां के लोगों में दिख भी रहा है. वे लगातार इमिग्रेशन पॉलिसी में बदलाव की मांग करने लगे. एक मुश्किल ये भी दिखी कि युद्धग्रस्त देशों से आए लोगों के व्यवहार में भी हिंसा और डर दिखता था. स्किल न होने की वजह से स्वीडन में उन्हें बेहतर नौकरी भी नहीं मिल पाती. ऐसे में आक्रामकता और बढ़ जाती है. ये बात स्थानीय लोगों और बाहरियों के बीच खाई बना चुकी थी. 

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why sweden and denmark giving incentives to immigrants to leave country photo Reuters

ISIS के समय में स्वीडन से भारी भर्तियां

स्थानीय लोगों का डर इस बात से भी बढ़ा कि इस्लामिक स्टेट के चरम के दौरान अकेले स्वीडन से ही 300 से ज्यादा लोग आतंकी बनने इराक और सीरिया चले गए. पर कैपिटा के हिसाब से यूरोप से सबसे अधिक जेहादी भेजने वाले देशों में स्वीडन का नाम आता है. ये बात स्वीडिश लोगों को परेशान करने लगी. वे आशंकित होने लगे कि कहीं उनके बच्चों पर भी चरमपंथ का असर न बढ़ जाए. 

इस बीच स्वीडन में कई दक्षिणपंथी राजनीतिक दल एक्टिव हुए जो इमिग्रेंट्स पर रोक लगाने की मांग करने लगे. स्वीडन डेमोक्रेट्स इनमें टॉप पर रहा. उनका सत्ताधारी पार्टी के साथ एक एग्रीमेंट हुआ, जिसमें वे प्रवासियों के मुद्दे पर पॉलिसी बनाने में मदद करते हैं. इसी के साथ स्वीडिश सरकार ने बड़ा फैसला लिया. उसने तय किया कि बाहरियों को देश छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इंसेंटिव दिया जाए. 

किन्हें वापस लौटाने पर लाखों खर्च रही सरकार

- स्वीडिश सरकार जिन लोगों के पीछे पैसे खर्च कर रही है, वे ऐसे लोग हैं, जो चुपके से देश में आए और रहने लगे.

- जिन लोगों का शरणार्थी आवेदन खारिज हो गया हो उन्हें लौटने के लिए पैसे दिए जा रहे हैं.

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- इस लिस्ट में वे लोग भी शामिल हैं, जो किसी भी वजह से स्वीडन से वापस अपने देश लौटना चाहते हों.

- बहुत से ऐसे लोग हैं, जो सरकारी नामंजूरी के बाद भी किसी न किसी तरह से वहां ठहरे हुए हैं.

ये सारे लोग स्किल्ड वर्कर भी नहीं कि वहां विकास में मदद कर सकें. इन्हीं लोगों को वापस लौटाने के लिए सरकार ये रकम लगा रही है. हालांकि कुछ खास लोगों, जैसे घरेलू मेड, नर्स और स्किल्ड लोगों को इस दायरे से बाहर रखा गया है. 

why sweden and denmark giving incentives to immigrants to leave country photo Reuters

क्या इससे कोई फर्क आया 

स्वीडन सरकार ने इमिग्रेंट्स को बाहर भेजने के लिए इंसेंटिव देने की शुरुआत दो साल पहले की थी. उसके सामने टारगेट ग्रुप साफ था. मदद देने के साथ ही लोग देश छोड़ने लगे. एक ही साल के भीतर लगभग डेढ़ हजार बाहरियों ने स्वीडन छोड़ दिया. ये संख्या बढ़ती रही. इसी साल अगस्त में सत्ताधारी पार्टी ने एलान किया कि देश छोड़ने वालों की संख्या 5 दशकों में देश आने वालों की संख्या से ज्यादा हो जाएगी. यानी स्वीडन अगर हर साल 100 लोगों को एंट्री दे रहा है तो इंसेंटिव पाकर देश से जाने वाले लोग इससे कुछ ज्यादा होंगे.

इस देश के लोग लौटने में आगे

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रकम लेकर स्वीडन छोड़ने वालों में सबसे ज्यादा लोग सीरिया से हैं. इसके बाद इराक और अफगानिस्तान के लोग हैं. सुरक्षा के लिए उन्होंने स्वीडन का रुख किया लेकिन पॉलिसी में बदलाव को देखते हुए इंसेंटिव पाकर लौटने का फैसला ले लिया.

इमिग्रेंट्स को बाहर भेजने पर स्वीडन सरकार जो पैसे लगा रही है, उससे उसपर बोझ तो निश्चित तौर पर पड़ा लेकिन लॉन्ग टर्म में ये फायदेमंद हो सकता है. सबसे बड़ी बात कि इससे स्थाई निवासियों में भरा गुस्सा कम होगा. सरकार को उम्मीद है कि इससे लंबे समय में सामाजिक और आर्थिक स्थिरता में सुधार ही होगा. 

कई यूरोपियन देश यही कदम उठा रहे हैं

- डेनमार्क प्रति व्यक्ति पंद्रह हजार डॉलर का इंसेंटिव दे रहा है. 

- नॉर्वे इसके लिए हरेक को चौदह सौ डॉलर दे रहा है. 

- जर्मनी की सरकार प्रति व्यक्ति दो हजार डॉलर खर्च कर रही है. 

- फ्रांस लगभग पौने तीन हजार डॉलर की पेशकश कर रहा है. 

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