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क्या 'सिख फॉर जस्टिस' समेत खालिस्तानी संगठनों को बैन कर सकता है रूस, पहले भी लगा चुका है पाबंदियां?

सिख फॉर जस्टिस (SFJ) संगठन के लीडर गुरपतवंत सिंह पन्नू ने दावा किया कि भारत रूसी अधिकारियों और एजेंसियों के साथ मिलकर खालिस्तान समर्थकों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में है. पन्नू ने रूसी मीडिया तक को खालिस्तान के खिलाफ प्रचार करने वाला कह दिया. लेकिन क्या वाकई रूस SFJ या बाकी प्रो-खालिस्तानी समूहों के खिलाफ है? अगर हां, तो क्या है वजह?

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भारत और रूस दोनों ही अलगाववादी आंदोलन झेलते रहे. (Photo- Getty Images)
भारत और रूस दोनों ही अलगाववादी आंदोलन झेलते रहे. (Photo- Getty Images)

खालिस्तानी आंदोलन को अमेरिका और कनाडा से अंजाम दे रहे गुरपतवंत सिंह पन्नू ने रूसी मीडिया समेत रूस की एजेंसियों पर बड़ा आरोप लगाते हुए उन्हें भारतीयों से मिला हुआ बता दिया. शनिवार को उन्होंने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा खालिस्तान समर्थक सिखों के निशाने पर हैं. इसकी वजह ये है कि वे रूस के साथ मिलकर प्रो-खालिस्तानी लोगों के खिलाफ काम कर रहे हैं. पन्नू का भारतीय अधिकारियों के खिलाफ ऐसा बयान पहली बार नहीं आया, लेकिन रूस पहली बार निशाने पर है. 

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क्या कहा पन्नू ने

शुक्रवार को खालिस्तान सपोर्टर चरमपंथियों ने न्यूयॉर्क और टोरंटो में रूसी दूतावासों के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया. इसके एक दिन बाद पन्नू ने भड़काऊ बयान दिया. रूस यूक्रेन को लेकर पहले से ही परेशान है. अब सीरिया में भी उसका पलड़ा कुछ हल्का हो चुका. ऐसे में इस तरह का गंभीर बयान लगाना उसकी इंटरनेशनल इमेज पर खरोंच लगा सकता है. तो पन्नू की इस बात पर वो कैसी प्रतिक्रिया दे सकता है? या फिर भारत जैसे दोस्त को खोने से बचाने के लिए वो इसपर चुप्पी साधे रहेगा?

सबसे पहले जानते हैं कि चरमपंथी नेता ने आखिर क्या कहा. इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिख फॉर जस्टिस के लीडर पन्नू ने शनिवार को दावा किया कि अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय क्वात्रा रूस के डिप्लोमेट्स और एजेंसियों के साथ मिलकर खालिस्तान समर्थकों को निशाना बना रहे हैं. इसकी वजह से वे अमेरिका में बसे प्रो-खालिस्तानी सिखों के निशाने पर हैं.

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will russia ban pro khalistan organization photo AP

चरमपंथी नेता ये भी आरोप लगाया कि भारत ने जान-बूझकर क्वात्रा को वॉशिंगटन में तैनात किया, ताकि वो रूसी डिप्लोमेट्स से साठगांठ कर सकें. रूसी एजेंसियां भी भारतीय गुप्तचर एजेंसियों को खुफिया जानकारी दे रही हैं ताकि वे उन्हें खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ इस्तेमाल कर सकें. पन्नू के मुताबिक, हरदीप सिंह निज्जर की मौत के बाद से भारतीय अधिकारी रूस जा रहे हैं ताकि खालिस्तान आंदोलन को कमजोर करने में उनकी मदद ले सकें. 

विदेशों में मौजूद रूसी अधिकारियों को धमकी

कुछ खास रूसी मीडिया कंपनियों को घेरते हुए पन्नू ने कहा कि वे जान-बूझकर प्रो खालिस्तान आंदोलन के खिलाफ नैरेटिव तैयार कर रहे हैं. पन्नू अब भारत के साथ-साथ रूसी डिप्लोमेट्स और रूसी अधिकारियों को भी धमकी दे रहा है, जो अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में मौजूद हैं कि उन्हें खालिस्तान समर्थकों का गुस्सा झेलना पड़ेगा. 

इस तरह से खुले तौर पर धमकाए जाने पर चुप रह जाना रूस के लिए बड़ी बात है. माना जा रहा है कि इसके बाद मॉस्को निश्चित तौर पर SFJ समेत खालिस्तान आंदोलन पर सख्त होगा. ये केवल भारत से उसके अच्छे संबंधों की बात नहीं, बल्कि उसकी खुद की साख का सवाल है. इसके अलावा पन्नू ने जिन रूसी मीडिया संस्थानों को घेरा है, उन्होंने सोशल मीडिया पर पन्नू को अमेरिकी गुप्तचर एजेंसियों का प्रॉक्सी भी बता डाला. 

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will russia ban pro khalistan organization photo Reuters

क्या रवैया रहा रूस का 

रूस वैसे पहले भी प्रो-खालिस्तान मामलों पर भारत के पक्ष में दिखता रहा. हालांकि उसने सीधे कभी कोई हस्तक्षेप नहीं किया. लेकिन वो कहता है कि वह देश के अंदरूनी मामलों में किसी भी प्रकार के अलगाववादी आंदोलन का समर्थन नहीं करता. अस्सी और नब्बे के दशक में जब खालिस्तान आंदोलन ने पंजाब में उग्र रूप लिया, तब सोवियत संघ (रूस) ने इसे भारत के आंतरिक मामले के रूप में देखा और किसी भी प्रकार के विदेशी हस्तक्षेप का विरोध किया. साल 2020 में जब देश ने सिख फॉर जस्टिस को आतंकवादी संगठन घोषित किया, तब भी मॉस्को ने भारत को सपोर्ट करते हुए भगौड़ों को शरण देने वाले देशों की आलोचना की. 

खालिस्तान समर्थक गुटों पर पाबंदी

- रूस ने SFJ जैसे संगठनों को अपने क्षेत्र में प्रचार करने, सभाएं आयोजित करने, या किसी प्रकार के जनमत संग्रह की इजाजत नहीं दी.
 
- उसने SFJ के लिए साफ कर दिया कि उसे रूसी इलाकों में किसी भी तरह से फंडिंग एक्टिविटी करने न मिले. 

- रूस की साइबर सुरक्षा एजेंसियां नजर रखती हैं कि वे भारत के खिलाफ कोई अभियान न चला रही हों. 

- मॉस्को ने सिख फॉर जस्टिस को अवैध संगठन के तौर पर आइडेंटिफाई किया और उसका रजिस्ट्रेशन रोक दिया. 

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रूस के नरम रवैए की एक ये भी वजह

अलगाववाद पर रूस और भारत लगभग एक जैसी स्थिति में हैं. मॉस्को खुद लगातार चरमपंथ झेलता रहा और नब्बे के दशक में कई हिस्सों में बंट गया. इसके बाद भी एक्सट्रीमिस्ट आंदोलन खत्म नहीं हुए. रूस के कई इलाके हैं, जैसे चेचन्या, दागिस्तान, इन्कुशेतिया और स्तावरोपॉल क्राई, जहां आए-दिन अलगाववादी कोई न कोई दिक्कत करते रहे. मॉस्को में कई छोटे-बड़े आतंकी हमले होते रहे हैं. यानी अलगाववाद के मामले में दोनों देश एक जैसी स्थिति में हैं. ये भी एक कारण है कि वो डिप्लोमेटिक रिश्तों से अलग भी भारत के साथ रहा.

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