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दोनों सदनों से पास लेकिन 4 पड़ाव अब भी हैं बाकी... जानें महिला आरक्षण बिल पर आगे की राह क्या

महिला आरक्षण बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया है. इस बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण होगा. हालांकि, कानून बनने के बाद भी इसके लागू होने में अभी काफी लंबा वक्त लग सकता है. ऐसे में जानते हैं कि अब भी कौन से पड़ाव हैं, जो महिला आरक्षण को तय करने हैं.

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महिला आरक्षण बिल पर संसद की मुहर लग गई है.
महिला आरक्षण बिल पर संसद की मुहर लग गई है.

दशकों तक लटके रहने के बाद आखिरकार महिला आरक्षण बिल पास हो ही गया. 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' के नाम से आया बिल लोकसभा के बाद गुरुवार को राज्यसभा में सर्वसम्मति से पास हो गया.

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लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े थे. दो सांसदों ने इसका विरोध किया था. लेकिन राज्यसभा में इस बिल का किसी ने विरोध नहीं किया. वोटिंग के दौरान राज्यसभा में 214 सांसद मौजूद थे और सभी ने बिल के पक्ष में वोट दिया.

राज्यसभा से भी बिल को मंजूरी मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी. उन्होंने X पर लिखा, 'हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा का एक ऐतिहासिक क्षण! 140 करोड़ भारतवासियों को बहुत-बहुत बधाई! नारी शक्ति वंदन अधिनियम से जुड़े बिल को वोट देने के लिए राज्यसभा के सभी सांसदों का हृदय से आभार. सर्वसम्मति से इसका पास होना बहुत उत्साहित करने वाला है.'

पीएम मोदी ने कहा कि ये सिर्फ एक कानून नहीं है, बल्कि इसके जरिए राष्ट्र निर्माण में भागीदारी निभाने वाली देश की माताओं, बहनों और बेटियों को उनका अधिकार मिला है.

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अब चूंकि ये बिल दोनों सदनों से पास तो हो गया है, लेकिन इसकी आगे की राह क्या है? 33% आरक्षण का पूरा गुणा-गणित क्या है? समझते हैं...

बिल में क्या है?

- इससे लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण मिलेगा. इसका मतलब हुआ कि लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व रहेंगी.

- हालांकि, ये आरक्षण सिर्फ लोकसभा और विधानसभाओं में ही मिलेगा. राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषद में महिला आरक्षण की व्यवस्था नहीं है.

आरक्षण का गुणा-गणित क्या है?

- 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा. इसे आसान भाषा में बताएं तो लोकसभा और विधानसभाओं में हर तीसरी सीट महिलाओं के लिए रहेगी. 

- मौजूदा लोकसभा में 543 सदस्य हैं. अभी अगर इसका 33% निकाला जाए तो 181 सीटें होती हैं. यानी, लोकसभा की 181 सीटें महिलाओं के लिए होंगी.

एससी-एसटी महिलाओं के लिए क्या?

- एससी-एसटी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण नहीं है. उन्हें आरक्षण के अंदर ही आरक्षण मिलेगा. यानी, लोकसभा और विधानसभाओं में जितनी सीटें एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, उन्हीं में से 33% सीटें महिलाओं के लिए होंगी.

- इस समय लोकसभा में 84 सीटें एससी और 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. बिल के कानून बनने के बाद 84 एससी सीटों में से 28 सीटें एससी महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी. इसी तरह 47 एसटी सीटों में से 16 एसटी महिलाओं के लिए होंगी.

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अभी चार अहम पड़ाव बाकी

1. राष्ट्रपति की मंजूरीः लोकसभा और राज्यसभा से बिल के पास होने के बाद इसे अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ही ये बिल कानून बनेगा.

2. राज्यों से मंजूरीः अनुच्छेद-368 के तहत, अगर केंद्र के किसी कानून से राज्यों के अधिकार पर कोई प्रभाव पड़ता है तो कानून बनने के लिए कम से कम 50% विधानसभाओं की मंजूरी लेनी होगी. यानी, कानून देशभर में तभी लागू होगा, जब कम से कम 14 राज्यों की विधानसभाएं इसे पास कर देंगी.

3. जनगणनाः ये बिल कानून बन भी जाता है तो भी ये जनगणना के बाद ही लागू होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि कोविड के कारण 2021 की जनगणना नहीं हो सकी है. 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद जनगणना का काम शुरू होगा.

4. परिसीमनः आखिरी और सबसे अहम पड़ाव. जनगणना के बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन होगा. संविधान के तहत, 2026 तक परिसीमन पर रोक है. लेकिन उसके बाद परिसीमन किया जा सकता है. 

परिसीमन से कितनी सीटें बढ़ेंगी?

संविधान का अनुच्छेद 81 कहता है कि देश में लोकसभा सांसदों की संख्या 550 से ज्यादा नहीं हो सकती. हालांकि, संविधान ये भी कहता है कि हर 10 लाख आबादी पर एक सांसद होना चाहिए.

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आखिरी बार 1971 की जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ था. इसके बाद ही सीटों की संख्या 543 तय हुई थीं. 

हर 550 सीटों की शर्त को खत्म कर दें और हर 10 लाख आबादी पर एक सांसद वाले नियम को लागू करें तो इस स्थिति में इस समय कुल 1425 सांसद होंगे. 

इसे ऐसे समझिए कि इस समय देश की आबादी 142.57 करोड़ से ज्यादा है. अगर हर 10 लाख आबादी पर एक सांसद के हिसाब से बंटवारा हो तो 142.57/10,00,000= 1,425 होता है.

हालांकि, ये सिर्फ अनुमानित है. ये संख्या कम ज्यादा भी हो सकती है. क्योंकि नए संसद भवन में भी लोकसभा चैम्बर में 888 और राज्यसभा चैम्बर में 384 सांसदों के बैठ सकते हैं.

क्या 2029 के चुनाव में लागू होगा आरक्षण?

कुछ कह नहीं सकते. अटल सरकार में जब संविधान संशोधन हुआ, तो प्रावधान किया गया कि 2026 के बाद जब पहली जनगणना होगी और उसके आंकड़े प्रकाशित हो जाएंगे, तभी लोकसभा सीटों का परिसीमन किया जाएगा. 

अभी तक तो 2021 की जनगणना ही नहीं हुई है और 2026 के बाद 2031 में जनगणना होगी. उसके बाद ही लोकसभा सीटों का परिसीमन होने की उम्मीद है. अगर ऐसा ही हुआ तो 2024 छोड़िए 2029 के लोकसभा चुनाव के वक्त भी महिला आरक्षण लागू करना मुश्किल होगा.

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इसी तरह राज्यों की विधानसभा सीटों के लिए जुलाई 2002 में परिसीमन आयोग का गठन हुआ था. जुलाई 2007 में आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी. इस आधार पर कई राज्यों में परिसीमन हुआ. राज्यों की विधानसभा सीटों का परिसीमन भी जनगणना पर ही निर्भर है. 

अगर ऐसा हुआ तो राज्यों को भी पहले अगली जनगणना और फिर परिसीमन का इंतजार करना होगा. यानी महिला आरक्षण बिल के पास होने के बाद भी इसके लागू होने में सालों का वक्त लगना तय है.

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