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800 करोड़ हुए इंसान, अगले साल चीन को पछाड़ देगा भारत, 2050 तक इन 8 देशों में रहेगी आधी आबादी

दुनिया की आबादी 800 करोड़ हो गई है. संयुक्त राष्ट्र ने जुलाई में अपनी रिपोर्ट में 15 नवंबर तक दुनिया की आबादी 800 करोड़ होने का अनुमान लगाया था. धरती पर इंसानों की आबादी 700 से 800 करोड़ होने में महज 11 साल का समय लगा है. जबकि, 600 से 700 करोड़ होने में 12 साल का समय लगा था.

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2023 तक आबादी के मामले में चीन से आगे होगा भारत. (फाइल फोटो-PTI)
2023 तक आबादी के मामले में चीन से आगे होगा भारत. (फाइल फोटो-PTI)

हम लोग यानी इंसान, आज दुनियाभर में हमारी संख्या 800 करोड़ हो गई है. संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि 15 नवंबर तक दुनिया की आबादी 800 करोड़ यानी 8 अरब हो जाएगी. इंसानों की आबादी को 700 से 800 करोड़ तक पहुंचने में महज 11 साल का वक्त लगा है. 2011 में हमारी आबादी 700 करोड़ पहुंच गई थी.

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संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 1950 के बाद दुनिया की आबादी बढ़ने की दर लगातार कम होती रही है. 2020 में ये दर कम होकर 1% से भी नीचे आ गई थी. हालांकि, इसके बावजूद आबादी बढ़ रही है. 

ऐसा अनुमान है कि 2030 तक आबादी बढ़कर 850 करोड़ के करीब पहुंच जाएगी. जबकि, 2050 तक आबादी 970 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. 2080 के दशक में धरती पर इंसानों की आबादी एक हजार करोड़ से भी ज्यादा हो जाएगी. 

आबादी बढ़ने के कारण क्या हैं?

1. औसत आयु बढ़नाः 1950 के दशक में इंसान औसतन 45 साल जीता था, जबकि आज 71 साल से ज्यादा जीता है. 1990 की तुलना में 2019 में इंसान की औसत आयु 9 साल से ज्यादा बढ़ गई है. 1990 में औसत आयु 64 साल थी, जो 2021 में बढ़कर 72.8 साल हो गई. हालांकि, कोरोनावायरस के कारण 2021 में ये औसत आयु घटकर 71 साल पर आ गई. 2050 तक ये और बढ़कर 77.2 साल तक पहुंचने का अनुमान है.

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2. जनसंख्या विस्फोटः 1950 में एक महिला औसतन 5 बच्चों को जन्म देती थी. आज दुनिया में हर महिला औसतन 2.5 बच्चों को जन्म दे रही है. जन्म दर में कमी आने के बावजूद जनसंख्या विस्फोट से आबादी बढ़ी. 1980 के दशक तक हर साल औसतन सालाना 14 करोड़ बच्चों का जन्म हुआ. 2021 में ही 13.4 करोड़ बच्चे पैदा हुए. 2040 से 2045 के बीच में हर साल औसतन 13.8 करोड़ बच्चों के जन्म होने का अनुमान है.

3. मृत्यु दर में कमीः संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि जन्म दर और मृत्यु दर दोनों में ही कमी आ रही है. 1990 में एक हजार में से 93 बच्चे 5 साल की उम्र पूरा करने से पहले ही मर जाते थे. जबकि, अब एक हजार बच्चों का जन्म होता है तो उनमें से 37 बच्चों की मौत 5 साल की उम्र से पहले हो जाती है.

कहां बढ़ रही है आबादी?

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा आबादी एशियाई देशों में बढ़ रही है. यहां दुनिया की लगभग 50 फीसदी आबादी रहती है. 

एशियाई देशों में भी सबसे ज्यादा आबादी भारत और चीन में है. दोनों ही देशों में लगभग 3 अरब आबादी रहती है. 

2050 तक 8 देशों में आबादी तेजी से बढ़ने का अनुमान है. इनमें भारत के अलावा पाकिस्तान, कॉन्गो, इजिप्ट, इथियोपिया, नाइजीरिया, फिलिपींस और तंजानिया शामिल हैं. इन 8 देशों में दुनिया की आधी आबादी रहेगी.

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भारत को लेकर क्या है अनुमान?

भारत की आबादी में तो कई दशकों तक आबादी घटने का अनुमान नहीं है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2023 तक भारत की आबादी चीन से ज्यादा हो जाएगी.

अभी चीन की आबादी 142 करोड़ तो भारत की 141 करोड़ से ज्यादा है. 2050 तक चीन की आबादी घटकर 131 करोड़ तो भारत की आबादी बढ़कर 166 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी.

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर दिन 67,385 बच्चों का जन्म होता है. हर साल करीब 2.5 करोड़ बच्चे पैदा होते हैं. यानी, दुनिया में जन्म लेने वाला हर पांचवा बच्चा भारतीय होता है. 

कितनी तेजी से बढ़ रही है आबादी?

1950 में दुनिया की आबादी 250 करोड़ के आसपास थी. 1998 में दुनिया की आबादी 6 अरब पहुंच गई थी. 2011 तक 7 अरब हो गई थी. यानी 6 से 7 अरब होने में 12 साल का वक्त लगा था. जबकि, 2022 में 8 अरब पहुंच गई है. यानी 11 साल में एक अरब लोग धरती पर बढ़ गए हैं.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 1962 से 1965 के बीच दुनिया की आबादी हर साल 2.1 फीसदी की दर से बढ़ी, जबकि इसके बाद इस दर में गिरावट आने लगी. 1950 के बाद 2020 में पहली बार आबादी बढ़ने की ये दर 1 फीसदी से नीचे आई. 

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2030 तक दुनिया की आबादी 850 करोड़ पहुंचने का अनुमान है, जबकि 2050 तक ये 970 करोड़ तक पहुंच जाएगी. यानी, महज 20 साल में ही दुनिया की आबादी 120 करोड़ बढ़ जाएगी.

 

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