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पुतिन की सेहत पर जेलेंस्की का बड़ा दावा, रूस हो या अमेरिका- क्यों नेताओं की जानलेवा बीमारियां आखिर तक रहती हैं राज?

रूस और यूक्रेन के बीच जंग के साथ जुबानी हमले भी चल रहे हैं. हाल में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने दावा किया कि रूस के लीडर व्लादिमीर पुतिन मौत के करीब हैं. यह पहला मौका नहीं जब किसी बड़े नेता को लेकर इस तरह की अटकलें लगाई गईं. मॉस्को हो या वाइट हाउस, अक्सर सत्ता में बैठे लोगों की गंभीर बीमारी आखिर तक छिपाई गई.

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेहत पर जेलेंस्की ने गंभीर बात कह दी. (Photo- AP)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेहत पर जेलेंस्की ने गंभीर बात कह दी. (Photo- AP)

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को गंभीर बीमारी होने की अटकलें अक्सर सुनाई देती हैं. यूक्रेन से लड़ाई शुरू होने के बीच ये कयास तक लगे कि पुतिन की मौत हो चुकी, और उनका बॉडी डबल ही जनता या मीडिया के सामने आ रहा है. बाद में हालांकि ये बात अफवाह साबित हुई. हाल में यूक्रेनी लीडर जेलेंस्की ने दावा किया कि पुतिन सख्त बीमार हैं और जल्द उनकी चलाचली हो जाएगी. रूस के अलावा अमेरिका और नॉर्थ कोरिया समेत कई देशों में इस तरह की कंस्पिरेसी थ्योरी चलती रही. 

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मंगलवार को जेलेंस्की की फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात हुई. इस बीच पुतिन के बिगड़ते स्वास्थ्य की खबरों को लेकर जेलेंस्की ने कहा कि जल्द ही पुतिन की मौत हो जाएगी और फिर जंग भी खत्म हो जाएगी. यूक्रेनी राष्ट्रपति की बयानबाजियां एक तरफ रखें तो भी यह सच है कि पुतिन को लेकर अक्सर उनके खुद के देश में ऐसी अफवाहें बनती-बुझती रहीं. 

लगभग 72 साल के पुतिन को लेकर पिछले कुछ सालों में कई अफवाहें उड़ीं. दावा किया गया कि उनके हाथों में हल्का कंपन है और चलने का तरीका बदल चुका. इसे पार्किंसंस बीमारी बताया गया. कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि वे कैंसर के इलाज के लिए थेरेपी ले रहे हैं. रूस छोड़ चुके केजीबी के पूर्व अधिकारी ग्लीब कराकुलोव ने दावा किया कि पुतिन सार्वजनिक मौकों पर बॉडी डबल या हमशक्लों की मदद ले रहे हैं ताकि किसी को बीमारी का शक न हो.

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क्रेमलिन ने हमेशा इन खबरों को अफवाह बताया है और आधिकारिक रूप से पुतिन की किसी गंभीर बीमारी की बात नहीं की. 

zelensky prediction on putin death and why do leaders hide serious illnesse from russia to america photo AP

बहरहाल अटकलें लग रही हैं और कई देश ये तक मान रहे हैं कि पुतिन लंबे समय से पब्लिक अपीयरेंस नहीं दे रहे, बल्कि उनके बॉडी डबल ही आ रहे हैं. यूक्रेन इंटेलिजेंस के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल काइरेलो बुडेनोव ने कहा था कि असली पुतिन तो जून 2022 के बाद से ही सामने नहीं आए. जापान की एक टीवी रिपोर्ट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के साथ दावा किया गया कि पुतिन के एक नहीं, बल्कि दो-दो डुप्लीकेट काम कर रहे हैं.

यूक्रेन के खुफिया विभाग ने इसे लेकर अलग ही बात कह दी थी. इंटेलिजेंस का कहना है कि क्रेमलिन जान-बूझकर ऐसी न्यूज फैलाता रहता है ताकि लोगों में हो रही हलचल को समझा जा सके. कथित तौर पर इससे रूस के राष्ट्रपति को ये समझने में मदद मिलेगी कि आगे उन्हें शासन कैसे चलाना है, और किन लोगों से बचकर रहना है. 

रूस के एक और ताकतवर नेता जोसेफ स्टालिन की मौत भी अचानक हुई थी, लेकिन उनकी हालत जनता से छिपाई गई थी. पचास के दशक में जब स्टालिन को स्ट्रोक आया, तो सोवियत अधिकारियों ने तुरंत खबर नहीं दी, बल्कि कई दिनों तक तय करते रहे कि रूसी आबादी और बाकी दुनिया को कैसे बताया जाए. इस दौरान स्टालिन के पुराने वीडियो और तस्वीरें दिखाकर उनके स्वस्थ होने का भ्रम बनाए रखा गया.

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याद दिला दें कि ये वो समय था, जब दूसरा वर्ल्ड वॉर खत्म ही हुआ था और अमेरिका और रूस आमने-सामने आ चुके थे. अगर यह तुरंत सामने आ जाता कि स्टालिन किस हाल में हैं तो सोवियत संघ के भीतर ही अस्थिरता आ जाती. लिहाजा कुछ रुककर सब तय हुआ और फिर मौत के एलान के साथ ही नए नेता का भी एलान हो गया. 

अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी रूजवेल्ट को पोलियो था और वे व्हीलचेयर पर ही रहते थे लेकिन जनता को लंबे समय तक इसका पता नहीं लग सका. मीडियो को भी सख्त निर्देश थे कि  वे कभी भी राष्ट्रपति को व्हीलचेयर में न दिखाएं. यहां तक कि उनके पब्लिक अपीयरेंस में भी ऐसे कैमरा एंगल चुने जाते जिससे वे सेहतमंद दिखें. 

zelensky prediction on putin death and why do leaders hide serious illnesse from russia to america photo Getty Images

वाइट हाउस पहुंचने के बाद वे लगातार कई बीमारियों से घिरते चले गए, लेकिन किसी को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. यहां तक कि जब रूजवेल्ट को पहला हार्ट अटैक आया और मीडिया ने सवाल किए तो कहा गया कि उन्हें डायजेशन की समस्या हो रही है. सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान रूजवेस्ट को दिल की गंभीर बीमारी हो गई. इसके बाद भी उनकी सेहत की बात सबसे छिपाई गई. उस समय यूएस ग्लोबल पावर बन चुका था और रूजवेल्ट इसका चेहरा थे. उनकी कमजोरी का खुलासा होना देश की ताकत कम कर सकता था. 

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अप्रैल 1945 में एक स्ट्रोक से उनकी मौत हो गई. जनता के लिए ये बड़ा झटका था क्योंकि वो मानती रही कि राष्ट्रपति पूरी तरह स्वस्थ हैं. 

पहले भी ऐसे कई मामले आ चुके, जब पद पर बने रहने के लिए नेता जानलेवा बीमारियां छिपाते रहे. 

अमेरिका में दो कार्यकाल रह चुके ग्रोवर क्लीवलैंड ने बीमारी छिपाने की सारी हदें पार कर दीं. मुंह के कैंसर की तीसरी स्टेज में उन्होंने जहाज में सर्जरी करवाई और बहाना बनाया गया कि वे छुट्टियां मना रहे हैं. समुद्र की उछलती लहरों के बीच हो रही सर्जरी में डॉक्टरों के हाथ कांपने का खतरा था, जिससे मामला बिगड़ सकता था, लेकिन रिस्क लिया गया. उस समय क्लीवलैंड ठीक होकर लौटे लेकिन जल्दी ही उनकी मौत हो गई. माना जाता है कि ये समुद्री सर्जरी का नतीजा था, जिसकी वजह से कैंसर खत्म नहीं हो सका. इस बारे में आम जनता को जानकारी काफी देर से मिली.

राष्ट्रपतियों के बीमारी छिपाने की आदत पर अमेरिकी इतिहासकार मैथ्यू एल्जिओ ने एक किताब भी लिखी. 'द प्रेसिडेंट इज अ सिक मैन' नाम की किताब में शारीरिक के साथ-साथ मानसिक बीमारियों का भी जिक्र है, जिनका असर देश पर भी पड़ा.

इन्हीं सब बातों को देखते हुए कांग्रेस ने संविधान में अमेंडमेंट करते हुए तय किया कि अगर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान गंभीर बीमारी का शिकार हो जाएं, जिसका असर उनके फैसले लेने की क्षमता पर पड़ता हो, या उनकी मौत हो जाए तो उप-राष्ट्रपति उनकी जगह ले सकता है.

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zelensky prediction on putin death and why do leaders hide serious illnesse from russia to america photo Getty Images

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के बारे में ऐसे ही कयास लगते रहे. साल 2020 में वे लंबे समय के लिए सार्वजनिक मौकों से गायब हो गए थे. यहां तक कि अटकलें लगने लगीं कि उनकी मौत हो चुकी है या वे गंभीर हैं. फिर वो अचानक दिखने लगे, जिसमें वे पहले से काफी फिट थे. किम का वजन कभी अचानक बढ़ जाता है तो कभी घट जाता है. इसी बात को लेकर कहा जाने लगा कि वे बॉडी डबल के साथ रहते हैं. वैसे उत्तर कोरिया में बॉडी डबल का इस्तेमाल नई बात नहीं. कहा जाता है कि किम के पिता भी बॉडी डबल्स रखते थे ताकि दुश्मन असली नेता तक न पहुंच सकें.

पुतिन हों, किम जोंग या जो बाइडेन, अक्सर ग्लोबल नेताओं की बीमारियों की अटकलों के बीच बॉडी डबल का जिक्र आता रहा. खतरे वाली जगहों या सार्वजनिक स्थानों पर बहुत से नेता अपनी जगह दूसरों को भेज देते हैं. ये ऐसे लोग होते हैं, जो कद-काठी में उस पॉलिटिशयन की तरह हों. उनकी कॉस्मेटिक सर्जरी भी कराई जाती है ताकि चेहरा भी वही दिखने लगे. आमतौर पर बॉडी डबल को एक्टिंग में महारथ होती है ताकि वे आराम से बोलने और तौर-तरीकों को कॉपी कर सकें. असली नेता के चेहरे या शरीर पर कहीं चोट लगी हो, तो हमशक्ल को सर्जरी के जरिए चोट के निशान भी बनाने होते हैं. इन्हें पॉलिटिकल डेकॉय या स्टैंड इन भी कहा जाता है. 

इन्हें हर वक्त सामने नहीं रखा जाता, बल्कि किसी खास समय ही सामने लाया जाता है, ताकि थोड़ी देर के लिए असल नेता की जगह ले सके. स्पीच देने या कोई बड़ा एलान करने की जब बात हो, वहां इन्हें नहीं भेजा जाता. अक्सर नेता चैरिटी प्रोग्राम में इन्हें भेजते हैं जहां सार्वजनिक एलान या मुश्किल सवालों का जवाब न देना पड़े.

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