
संसद से पास होने और फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद वक्फ संशोधन बिल अब कानून बन चुका है. इसके विरोध में देश के कई हिस्सों में मुसलमान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन क्या इस विरोध प्रदर्शन में अब देश के वकील भी शामिल हो गए हैं? सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के जरिए कुछ ऐसा ही दावा किया जा रहा है जिसमें सड़क पर भारी संख्या में वकीलों को सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते देखा जा सकता है.
वकील, “संसद के दम पर तानाशाही नहीं चलेगी” और “काला कानून वापस लो” के नारे लगा रहे हैं. वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि वक्फ संशोधन बिल (अब कानून) के खिलाफ वकीलों ने सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया.
वीडियो के साथ सोशल मीडिया यूजर्स लिख रहे हैं, “वक्फ बोर्ड बिल के खिलाफ़ वकीलों ने सड़क जाम कर भारी तादाद में प्रोटेस्ट कर रहे हैं!! वकीलों का नारा,सांसद के दम पर तानाशाही नहीं चलेगी अपना काला कानून वापस लो”. इस कैप्शन के साथ फेसबुक और एक्स पर वीडियो को कई लोग शेयर कर चुके हैं.
लेकिन आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये फरवरी 2025 का वीडियो है जब दिल्ली में वकीलों ने एडवोकेट संशोधन बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया था.
कैसे पता की सच्चाई?
वीडियो पर कुछ लोगों ने कमेंट किया है कि ये पुराना है और एडवोकेट संशोधन बिल के खिलाफ दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट के बाहर हुए वकीलों के प्रदर्शन का है. गौर से देखने पर वीडियो में कुछ वकील ऐसे पोस्टर लिए भी दिख रहे हैं जिन पर लिखा है “The Advocate (Admendment) Bill 2025 वापस लो”.
इससे हमें वायरल दावे पर शक हुआ और हमने वीडियो की सच्चाई पता लगाने की कोशिश की. वायरल वीडियो में किसी न्यूज संस्था का लोगो दिख रहा है. ध्यान से देखने पर पता चला की ये “HNP NEWS HINDI” नाम के एक यूट्यूब चैनल का लोगो है.
इस चैनल पर 22 फरवरी 2025 को एक वीडियो अपलोड किया गया था जिसका टाइटल है “लाखों वकीलों ने दिल्ली की सड़कें जाम कर दी? ये देख मोदी सरकार के होश उड़ गए! जल्दी देखिए”. वायरल वीडियो वाला हिस्सा इस यूट्यूब वीडियो से ही लिया गया है. इसे यूट्यूब वीडियो में 1.35 मिनट के बाद देखा जा सकता है.
इस वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि वकील, एडवोकेट संशोधन बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, न कि वक्फ बिल के खिलाफ. वकील बोल रहे हैं कि सरकार इस बिल को लाकर वकीलों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है.
इस प्रदर्शन में वकील, सरकार से बिल को काला कानून बताकर इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. वीडियो में लोकेशन तीस हजारी कोर्ट बताई गई है.
इस विरोध प्रदर्शन को लेकर उस समय कई खबरें भी छपी थीं. इनमें बताया गया है कि बिल के खिलाफ दिल्ली के अलग-अलग कोर्ट में हड़ताल की गई थी.
दैनिक भास्कर की खबर में बताया गया है कि केंद्र सरकार 1961 के एडवोकेट एक्ट में बदलाव करने के लिए संशोधन बिल ला रही थी. लेकिन जैसे ही लोगों के सुझाव के लिए बिल का ड्राफ्ट सामने आया, देश भर के वकीलों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्रा का कहना था कि “नए बिल के प्रावधान न केवल वकीलों की स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं, बल्कि वकीलों से उनके विरोध का अधिकार भी छीनते हैं”.
खबर के मुताबिक, नए बिल में वकीलों को कोर्ट का बहिष्कार करने, हड़ताल करने या वर्क सस्पेंड करने की आजादी नहीं दी गई थी. इस बात से वकील नाराज थे. इसके अलावा बिल में केंद्र सरकार को ये अधिकार भी दिया गया था कि वो बार काउंसिल ऑफ इंडिया में निर्वाचित सदस्यों के साथ तीन सदस्यों को नामित कर सकेगी. इसका विरोध करते हुए वकीलों का कहना था कि ये उन पर सरकारी निगरानी है.
नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, इस विधेयक में ये प्रस्ताव भी था कि बदलाव के बाद विदेशी लॉ फर्म भारत में प्रैक्टिस कर पाएंगी. वकीलों के विरोध का ये भी एक मुख्य कारण था. बिल के कुछ अन्य बिंदुओं पर भी वकील असहमत थे और वो इसी का विरोध कर रहे थे. भारी असहमति के बाद सरकार ने इस बिल का मसौदा वापस ले लिया था.
रही बात वक्फ कानून की तो हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली जिसमें बताया गया हो कि वकीलों ने बड़े स्तर पर इस कानून का विरोध किया है.