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फैक्ट चेक: बांग्लादेश का 7 साल पुराना वीडियो असम में NRC विरोध-प्रदर्शन का बताकर वायरल

देशभर में जहां जगह-जगह नागरिकता कानून को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहा है, वहीं सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
असम में एनआरसी का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के अत्याचार का वीडियो
फेसबुक यूजर Syed Samad
सच्चाई
वायरल वीडियो बांगलादेश के ढाका का है और करीब सात साल पुराना है

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देशभर में जहां जगह-जगह नये नागरिकता कानून को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहा है, वहीं सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. करीब 2 मिनट 26 सेकंड के इस वीडियो में पुलिस प्रदर्शनकारियों पर डंडे बरसाती व फायर करती नजर आ रही है. दावा किया जा रहा है कि वीडियो असम का है, जहां नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) लागू हो चुका है. यहां घरों से लोगों को उठाया जा रहा है.

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इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहा वीडियो असम का नहीं, बल्कि बांग्लादेश के ढाका का है और करीब सात साल पुराना है.

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

फेसबुक यूजर "Syed Samad ” ने वीडियो पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा: "असम में एनसीआर लागू, लोगों को घरों से उठाना शुरू हो चुका है, मीडिया वाले आपको ये नहीं दिखाएंगे, क्योंकि वो बिक चुकी है अब आपकी और हमारी जिम्मेदारी है इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें."

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वायरल हो रहा वीडियो दिल दहला देने वाला है. इसमें पुलिसकर्मी लोगों को पीटते दिख रहे हैं, खून में सनी लाशें नजर आ रही हैं और कुछ लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में इधर-उधर भागते दिख रहे हैं.

वीडियो के साथ किए जा रहे दावे का सच जानने के लिए हमने इसे ध्यान से देखा तो हमें पुलिसकर्मियों की वर्दी पर "RAB" लिखा नजर आया. हमने गूगल सर्च की मदद से इसे ढूंढा तो पाया कि रेपिड एक्शन बटालियन यानी कि "RAB" बांग्लादेश पुलिस की एंटी-क्राइम व एंटी-टेररिज्म यूनिट है.

इसके बाद हमने वीडिया के कीफ्रेम्स काटे और इन्हें रिवर्स सर्च किया तो पाया कि यह वीडियो बांग्लादेश के ढाका का है. हमें इससे मेल खाता एक वीडियो भी मिला जिसके कैप्शन में लिखा गया है: "पुलिस रेड एट हिफाजत-ए-इस्लाम रैली".

वीडियो में 7 मिनट 10 सेकंड पर सीडियों पर एक व्यक्ति की लाश दिखाई देती है, यह विजुअल्स वायरल वीडियो से मेल खाते हैं.

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हमने इंटरनेट पर “Police raid at Hefazat-e-Islam rally” कीवर्ड डाल कर सर्च किया तो हमें कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं. इन रिपोर्ट्स के अनुसार 6 मई 2013 को ढाका में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी. मदरसा शिक्षकों और स्टूडेंट्स के ग्रुप हिफाजत-ए-इस्लाम ने कड़े ईशनिंदा कानून की मांग के लिए प्रदर्शन किया था, जिसने बाद में उग्र रूप ले लिया था.

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पड़ताल में साफ हुआ कि वायरल हो रहे वीडियो का असम और एनआरसी से कोई लेना देना नहीं है. यह वीडियो साल 2013 का है और बांग्लादेश के ढाका का है.

क्या आपको लगता है कोई मैसैज झूठा ?
सच जानने के लिए उसे हमारे नंबर 73 7000 7000 पर भेजें.
आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
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