क्या दिल्ली में हुए दंगे के दौरान कोई ऐसा वाकया भी हुआ, जिसमें पुलिस को भीड़ ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा? सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में पुलिस की गाड़ियां तेज रफ्तार में भीड़ के बीच से भागती दिख रही हैं. पुलिस की गाड़ियों पर भीड़ जमकर पथराव कर रही है. इस वीडियो को सोशल मीडिया पर दिल्ली का बताकर वायरल किया जा रहा है.
क्या है दावा
फेसबुक यूजर ‘Nayak Mahesh Chauhan ’ ने 26 फरवरी को एक वीडियो अपलोड करते हुए लिखा, “अगर मीडिया नहीं दिखायगा तो हमे ही पूरे भारत को यह दिखाना होगा दिल्ली”. इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.फेसबुक पेज ‘Modi Nama ’ ने 25 फरवरी को यही वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “अगर मीडिया नही दिखायगा तो हमे ही पूरे भारत को यह दिखाना होगा”. इस वीडियो के साथ पोस्ट में कहीं भी दिल्ली का जिक्र नहीं है लेकिन इस पोस्ट पर कमेंट करते हुए कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे दिल्ली का समझकर कमेंट किया है.
इस पोस्ट पर लोगों ने ‘अब दिल्ली बना कश्मीर’ जैसे कमेंट लिखे हैं. स्टोरी के लिखे जाने तक इस पोस्ट को 10,000 से ज्यादा लोगों ने शेयर किया है. इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
ट्विटर पर भी इसी दावे के साथ ये वीडियो 27 फरवरी को पोस्ट किया गया है.
माफ कीजिए ये कश्मीर नहीं देश की राजधानी दिल्ली है।
क्यूंकि अब कश्मीर में ऐसा नहीं होता।#DelhiRiots2020 pic.twitter.com/iFUIWLoxS7
— Yadav ↗️ (@JaiShreeRam90) February 27, 2020
क्या है सच्चाई
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने पाया कि ये वीडियो दिल्ली का नहीं, बल्कि अहमदाबाद का है. पिछले साल दिसंबर में संविधान संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शन के समय ऐसा हुआ था. उस मामले में एक कांग्रेस नेता की गिरफ्तारी भी हुई थी.
वीडियो अहमदाबाद का
वायरल वीडियो में सड़क किनारे कई सारे दुकानों के साइन बोर्ड गुजराती में दिख रहे हैं. वीडियो में एक दवाई की दुकान है जिसपर गुजराती में 'દવાઓ' यानी दवाई की दुकान और उसके बगल में 'નોવેલટી સીલેકશન' लिखा हुआ है. इन दुकानों से अलग थोड़ी दूर पर एक दुकान पर अंग्रेज़ी में 'फेमस चिकन सप्लायर्स’ भी लिखा हुआ है.
इस वीडियो के कुछ फ्रेम्स लेकर रिवर्स सर्च करने पर हमें यूट्यूब पर यही वीडियो मिला जिसे दिसंबर में अपलोड किया गया था. वीडियो के साथ बताया गया है कि ये अहमदाबाद की घटना है. अब इससे ये तो साफ हो गया कि ये दिल्ली नहीं गुजरात के अहमदाबाद की घटना है जो दिसंबर में हुई थी.
इसके अलावा, हमें इंटरनेट सर्च करने पर कुछ न्यूज रिपोर्ट मिली, जिसमें वही दुकानें, सड़क और पुलिस की गाड़ियां दिख रही हैं जो वायरल वीडियो में मौजूद हैं.
इस रिपोर्ट के मुताबिक 19 दिसंबर को अहमदाबाद के शाह-ए-आलम सड़क पर संविधान संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शन के दौरान ये झड़प हुई थी. 19 पुलिस अधिकारी घायल हुए थे और इस मामले में इलाके के कांग्रेस पार्षद सहित कई लोग गिरफ्तार हुए थे.
निष्कर्ष
पड़ताल से जाहिर है कि वायरल वीडियो तीन महीने पुराना है और इसका दिल्ली में हुई हालिया हिंसा से कोई लेना देना नहीं है.