क्या होली से ठीक पहले अहमदाबाद की सड़क पर आतंक मचाने वाले लोग मुस्लिम समुदाय के थे? कुछ लोगों की पिटाई करते पुलिस वालों के वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए ऐसा ही कहा जा रहा है.
दरअसल, 13 मार्च की रात को अहमदाबाद में उपद्रवियों की भीड़ ने सड़क पर आतंक मचाया था जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ. उन्होंने राहगीरों पर रॉड से हमला किया और वाहनों में तोड़फोड़ की.
दरअसल ये दो गुटों की आपसी रंजिश का मामला था जिसमें एक गुट के लोग, दूसरे गुट के एक आदमी को पीटने के लिए अहमदाबाद के वस्त्राल इलाके में गए थे. जब आदमी नहीं मिला तो उपद्रवियों ने उस इलाके में उत्पाद मचा दिया.
इसके बाद अहमदाबाद पुलिस ने कार्रवाई की और 14 हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया. कार्रवाई ने दौरान पुलिस ने बदमाशों पर सरेआम डंडे बरसाए और उनका जुलूस निकाला. इसके अलावा प्रशासन ने आरोपियों के “अवैध तरीके” से बने घरों को भी ध्वस्त किया.
अब इसी पुलिस कार्रवाई के वीडियो वायरल हो रहे हैं और लोग अहमदाबाद पुलिस की तारीफ कर रहे हैं. साथ ही कुछ यूजर्स ने ये भी दावा किया है कि उपद्रव मचाने वाले लोग मुस्लिम थे.
लेकिन आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि इस मामले में पकड़े गए आरोपियों में से कोई भी मुस्लिम नहीं है. गुजरात पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है.
पुलिस कार्रवाई के इन वीडियो को लेकर कई खबरें छप चुकी हैं. गुजरात समाचार की खबर में आरोपियों के नाम भी बताए गए हैं. खबर के अनुसार, आरोपियों के नाम अलदीप मौर्या, श्याम कमली, विकास उर्फ बिट्टू परिहार, अशिल मकवाना, रोहित उर्फ दुर्लभ सोनवणे, निखिल चौहान, मयूर मराठी, प्रदीप उर्फ मोनू तिवारी, राजवीर सिंह बिहोला, अल्केश यादव, आयूष राजपूत, दिनेश राजपूत और दीपक कुशवाहा हैं.
इन नामों से ऐसा नहीं लगता कि आरोपी मुस्लिम समुदाय से हैं. इसके बाद हमने रमोल पुलिस स्टेशन के पुलिस इंस्पेक्टर एसबी चौधरी से बात की. उनका भी यही कहना है कि पकड़े गए आरोपियों में से कोई भी मुस्लिम नहीं है. वायरल दावा गलत है. आजतक के गुजरात संवाददाता ब्रिजेश दोशी ने भी हमें बताया कि इस मामले में कोई हिंदू-मुस्लिम एंगल नहीं है.
हमारी जांच में यहां स्पष्ट हो जाता है कि अहमदाबाद में हुई पुलिस कार्रवाई के इन वीडियो को झूठे सांप्रदायिक दावों के साथ शेयर किया जा रहा है.
(सूरज उद्दीन मंडल के इनपुट्स के साथ)