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फैक्ट चेक: क्या असम के डिटेंशन सेंटर की हैं विचलित करने वाली ये तस्वीरें?

डिटेंशन सेंटर को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें ये दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीरें असम के डिटेंशन सेंटर्स की हैं. तस्वीरों में नजर आ रहा है कि लोगों को थोड़ी सी जगह में जानवरों की तरह ठूंस दिया गया है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
असम के डिटेंशन सेंटर की तस्वीरें
फेसबुक यूजर Nusrat Ali Ansari
सच्चाई
वायरल हो रही तस्वीरों का असम के डिटेंशन सेंटर्स से कोई संबंध नहीं है.

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नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में चल रहा विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा. इसी कानून से जोड़कर राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी और डिटेंशन सेंटर भी चर्चा में हैं. इन्हीं डिटेंशन सेंटर को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें मौजूद तस्वीरों में लोगों को काफी अमानवीय हालत में देखा जा सकता है.

पोस्ट में पांच तस्वीरें दिखाई गई है और दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीरें असम के डिटेंशन सेंटर्स की हैं. तस्वीरों में नजर आ रहा है कि लोगों को थोड़ी सी जगह में जानवरों की तरह ठूंस दिया गया है.

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दरअसल, असम हाई कोर्ट के आदेश पर डिटेंशन सेंटर  में उन लोगों को रखे जाने की योजना है जिनका नाम हर संवैधानिक विकल्पों के इस्तेमाल के बादवजूद एनआरसी में नहीं शामिल हो पाया है.

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एक फेसबुक यूजर Nusrat Ali Ansari  ने इस पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है, 'अगर इस तरह के हालात में रहना आपको मंजूर है तो फिर आपका चुप रहना लाज़मी है असम के डिटेंशन सेंटर की कुछ तस्वीरें.' खबर लिखे जाने तक एक सौ से ज्यादा लोगों ने इस पोस्ट को शेयर किया है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां  देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि इस फेसबुक पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है. वायरल हो रही तस्वीरों का असम के डिटेंशन सेंटर्स से कोई संबंध नहीं है. वायरल पोस्ट की असलियत जानने के लिए हमने इन पांचों तस्वीरों को एक-एक कर रिवर्स सर्च किया.

पोस्ट में दिख रही पहली तीन तस्वीरें हमें न्यूज एजेंसी रॉयटर की एक रिपोर्ट में मौजूद वीडियो  में मिलीं.

इस रिपोर्ट से पता चला कि यह तीनों तस्वीरें अमेरिका के टेक्सास राज्य की हैं. दरअसल, मैक्सिको से अमेरिका में घुसपैठ करने वाले लोगों की भीड़ बढ़ जाने से यहां के सेंटर की सुविधाएं खतरनाक ढंग से प्रभावित हुई हैं. रिपोर्ट में भी इसी के बारे में विस्तार से बताया गया है.

चौथी तस्वीर को खोजने पर हमें LosMocanos.com  नाम की एक न्यूज़ वेबसाइट का फेसबुक पोस्ट मिला. स्पेनिश भाषा में लिखे इस पोस्ट के मुताबिक यह तस्वीर डोमिनिकन गणराज्य के ला रोमाना शहर स्थित एक प्रिवेंटिव जेल की है. इस पोस्ट को अप्रैल 2018 में शेयर किया गया था.

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Eltiempo  नाम की एक वेबसाइट के मुताबिक भी ये तस्वीर ला रोमाना के एक जेल की है.

हालांकि पुख्ता तौर पर यह कहना मुश्किल होगा कि ये तस्वीर कहां की हैं. लेकिन मौजूदा सोशल मीडिया पोस्ट और न्यूज़ आर्टिकल यह साबित करते हैं कि तस्वीर इंटरनेट पर बहुत पहले से मौजूद है और इसका असम से कोई लेने देना नहीं है.   

इससे पहले आल्ट न्यूज भी इस तस्वीर के साथ किये गए दावे को ख़ारिज कर चुका है.

पांचवी तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें बीबीसी बांग्ला का एक आर्टिकल  इसी फोटो के साथ मिला. खबर के मुताबिक यह तस्वीर 2012 के असम दंगों में प्रभावित लोगों की है. हमें ये तस्वीर रॉयटर  पर मिली. यहां भी इसे असम दंगों से जुड़ी तस्वीरों के साथ शेयर किया गया था.

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इस तरह स्पष्ट हुआ कि वायरल हो रही इन तस्वीरों का असम के डिटेंशन सेंटर्स से कोई लेना देना नहीं है.

हालांकि, अंग्रेजी अखबार 'द टेलीग्राफ ' की खबर  के मुताबिक, हाल ही में संसद सत्र के दौरान केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया था कि 'असम के छह डिटेंशन सेंटर में 988 'विदेशियों' को रखा गया है. इन कैंपों में 28 लोगों की मौतें हुई हैं, लेकिन ये मौतें किसी उपचार की कमी, दबाव या डर के चलते नहीं हुई हैं, बल्कि बीमारी की वजह से हुई हैं.'

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