चुनावी मौसम में सोशल मीडिया पर लोग राजनीतिक पोस्ट खूब पसंद किए जाते हैं, लेकिन ये खतरनाक भी हो सकते हैं अगर इनमें गलत जानकारी दी जा रही हो. फेसबुक पेज ‘ वी द्रविड़यन’ पर एक पोस्ट किया गया जिसमें दावा है कि बीबीसी ने अपने सर्वे में बीजेपी को दुनिया की सबसे भ्रष्ट पार्टी कहा है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में इस दावे को झूठा पाया. ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन यानी (BBC) ने न कोई डाटा जारी किया न ही कोई सर्वे कराया है.
पोस्ट में दावा किया गया कि बीबीसी ने 2017 में एक सर्वे किया और दुनिया की 10 सबसे भ्रष्ट पार्टियों का चुनाव किया है. इस सर्वे में बीजेपी को टॉप पर दिखाया गया है. इसके बाद दूसरे नंबर पर युगांडा की नेशनल रेजिसटेंट मूवमेंट का नंबर आता है. इस पोस्ट के साथ बीबीसी के ब्लैक एंड व्हाइट लोगो का इस्तेमाल किया गया है. खबर लिखे जाने तक 100 से ज्यादा लोगों ने इस पोस्ट को शेयर किया है.
रिवर्स इमेज सर्च के जरिए हमें पता चला कि ये तस्वीर 2017 से ही उपलब्ध है. इसी तस्वीर को दूसरी पार्टियों के नाम लेकर भी पोस्ट किया गया है और कई बार रैंकिंग में भी उलटफेर की गई है.
इंडिया टुडे की AFWA टीम ने इससे पहले भी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के दावे का पर्दाफाश किया था, जिसमें उन्होंने कांग्रेस को दुनिया की दूसरी सबसे भ्रष्ट पार्टी ठहराया था.
उन्होंने ये दावा ‘bbcnewshub.com’ नाम के एक वेबसाइट में छपे लेख के आधार पर किया था. इस वेबसाइट का बीबीसी से कोई लेना देना नहीं है. बीबीसी की वेबसाइट www.bbc.com है.
हमने इसकी भी पड़ताल की क्या कभी बीबीसी ने भ्रष्ट पार्टियों पर कोई सर्वे किया तो हमें दो लेख मिले. उनमें से एक ये है और दूसरा यहां है.दोनों लेख में दुनिया के टॉप 10 भ्रष्ट पार्टियों का कोई जिक्र नहीं है.
2017 में बीबीसी के साथ काम करने वालीं वरिष्ठ पत्रकार और संपादक गीता पांडे ने ट्वीट कर ऐसे किसी सर्वे से इनकार कर दिया था.This is so fake @BBCNews @bbcindia @bbcnewsasia never does such surveys https://t.co/fNmzTpWPb9 via @postcard_news
— GeetaPandeyBBC (@geetapandeyBBC) March 20, 2017
उन्होंने उसमें वेबसाइट पोस्ट कार्ड के लेख का भी जिक्र किया था, जिसका आर्काइव आप यहां देख सकते हैं.
पोस्ट कार्ड वेबसाइट ने एक लेख लिखा था जिसका आधार बीबीसी न्यूज पॉइन्ट था, जिसमें डाटा का स्त्रोत नहीं बताया गया था. बीबीसी न्यूज पॉइन्ट की वेबसाइट में साफ तौर पर लिखा था कि विभिन्न स्त्रोतों से इक्ट्ठा कि गई जानकारी की वो गारंटी नहीं लेते.
एक बात और वायरल पोस्ट के साथ बीबीसी के फ़ॉन्ट और लिखने का तरीका भी मेल नहीं खाता, इसलिए साफतौर पर कहा जा सकता है कि ये फेक न्यूज है.