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पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजों के बाद राज्य में हिंसा देखने को मिली. बीजेपी का कहना है कि इस हिंसा में उनके कुछ कार्यकर्ता भी मारे गए. पार्टी का आरोप है कि हिंसा के पीछे सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के लोगों का हाथ है. इस बीच सोशल मीडिया पर एक खबर का स्क्रीनशॉट वायरल होने लगा है जिसके जरिये दावा किया जा रहा है कि ममता बनर्जी सरकार ने बंगाल में आरएसएस के 125 स्कूलों पर प्रतिबंध लगा दिया. वायरल स्क्रीनशॉट 'रिपब्लिक' न्यूज़ चैनल का है जिसमें अंग्रेजी में ब्रेकिंग न्यूज लिखी है कि ममता सरकार बंगाल में आरएसएस के 125 स्कूल बंद करने जा रही है.
एक ट्विटर यूजर ने इस स्क्रीनशॉट को साझा करते हुए लिखा है, "बंगाल में RSS के 125 स्कूलों पर ममता बनर्जी ने लगाया बैन! क्या आपको नहीं लगता जो कुछ भी बंगाल में हो रहा है,वो कहीं ना कहीं ममता बानो के अंदर भविष्य को लेकर उसके डर को दिखा रहा है".
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल पोस्ट पूरी तरह सही नहीं है. पश्चिम बंगाल में आरएसएस के 125 स्कूलों को बंद करने का फैसला ममता सरकार ने अभी नहीं, बल्कि फरवरी 2018 में लिया था.
इस तरह की पोस्ट फेसबुक पर भी वायरल हो रही हैं. ट्विटर पर कुछ वेरिफाइड यूजर्स ने भी इस तीन साल पुरानी खबर को हाल-फिलहाल का बताकर शेयर किया है. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
I love Didi. What a slap in return for congratulatory message. 125 RSS schools banned. Cowards deserve every bit of this.
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) May 5, 2021
लाचार केंद्र, मदमस्त बानो,
कौन बलशाली, आप ही जानो! pic.twitter.com/QSXeVfYFXv
कैसे पता की सच्चाई?
कुछ कीवर्ड की मदद से हमें 'रिपब्लिक' न्यूज़ चैनल पर चली इस खबर का यूट्यूब वीडियो मिला. इस वीडियो को 22 फरवरी 2018 को अपलोड किया गया था और इसी वीडियो में से वायरल स्क्रीनशॉट लिया गया है.
कुछ और खबरों के मुताबिक, 21 फरवरी 2018 को पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्था चटर्जी ने कहा था कि उनकी सरकार ने आरएसएस से जुड़े 125 को बंद कर दिया है. पार्था चटर्जी का कहना था कि ये स्कूल "नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट" के बिना चल रहे थे. साथ ही ये भी कहा गया कि इनमें से कुछ स्कूल सिलेबस के अनुसार नहीं चल रहे थे. कुछ खबरों के अनुसार, चटर्जी ने ये भी कहा था कि राज्य सरकार स्कूलों में हिंसा पढ़ाने की इजाजत नहीं देगी.
"द वीक" की एक खबर में पश्चिम बंगाल बीजेपी उपाध्यक्ष विश्वप्रिया रॉय चौधरी के हवाले से बताया गया है कि इस फैसले के खिलाफ बीजेपी कोर्ट गई थी और कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. यहां हमारी पड़ताल में ये बात साफ हो जाती है कि ये वायरल हो रही ये खबर सही है लेकिन तीन साल से ज्यादा पुरानी है.