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कोलकाता हाईकोर्ट ने 25 मार्च को आदेश दिया कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम हिंसा मामले की जांच सीबीआई करेगी. बीरभूम जिले के रामपुरहाट में टीएमसी नेता की हत्या के बाद 21 मार्च को वहां हिंसा भड़क गई थी. कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया था जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी.
इन खबरों के बीच सोशल मीडिया पर रात के वक्त सड़क से गुजरती कारों में तोड़फोड़ करने का एक वीडियो वायरल हो गया है
ऐसा कहा जा रहा है कि ये घटना पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हाल ही में हुई है और तोड़फोड़ करने वाले ये लोग मुस्लिम समुदाय से हैं.
वीडियो में सफेद कपड़े पहने हुए कुछ लोग सड़क से गुजरती कारों के शीशों में डंडे मार रहे हैं और कारों के आगे बैरिकेडिंग जैसी कोई चीज फेंक रहे हैं. साथ ही, कुछ चिल्ला भी रहे हैं, जो स्पष्ट नहीं है.
एक ट्विटर यूजर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “ये कलकत्ता का है, बंगाल में हालात एकदम पाकिस्तान जैसे बने हुए हैं, और ये जो गाड़ियों के शीशे तोड़ रहे हैं वो मुल्ले हैं, क्यूं कि इनको सड़क पर बैठ कर रोजे खोलने हैं, ऐसा पूरे देश में होने में देर नहीं है. 70 वर्षों में हिंदू 8 राज्यों में अल्पसंख्यक हो गये किसी को पता भी नहीं चला.”
हमने पाया कि ये वीडियो बंगाल का नहीं बल्कि बासेल, स्विट्जरलैंड का है. ये घटना साल 2018 में हुई थी जब कुछ फुटबॉल फैंस के बीच आपस में झगड़ा हो गया था.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
सबसे पहले हमने वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स निकालकर उन्हें रिवर्स सर्च किया. ऐसा करने से हमें ये वीडियो जर्मन भाषा की कुछ न्यूज रिपोर्ट्स में मिला.
इन रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ये घटना 19 मई, 2018 को स्विट्जरलैंड के बेसेल शहर में हुई थी. इस दिन वहां के सेंट जेकब स्टेडियम में बेसेल फुटबॉल क्लब का मैच लूजर्न फुटबॉल क्लब के साथ हुआ था. इस मैच के बाद ही दोनों टीमों के प्रशंसकों के बीच झगड़ा हो गया था.
इस घटना को लेकर बेसेल शहर की पुलिस ने एक प्रेस रिलीज भी जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि इस घटना में कम से कम दो लोग घायल हुए थे.
इससे पहले साल 2018 में इस वीडियो को यूके के बर्मिंघम शहर में रमजान के दौरान हुए दंगों का वीडियो बताया गया था. उस वक्त ‘बूमलाइव’ वेबसाइट ने इसकी सच्चाई बताई थी.
जाहिर है, स्विट्जरलैंड में हुई एक पुरानी घटना को हालिया बंगाल हिंसा से जोड़कर भ्रम फैलाया जा रहा है.
(यश मित्तल के इनपुट के साथ)