सोशल मीडिया पर एक तस्वीर पिछले कुछ समय से वायरल हो रही है. तस्वीर में सड़क किनारे भारी मात्रा में कुछ किताबें नजर आती हैं, जबकि सड़क पर नाले के दो मेनहोल खुले हुए दिख रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि यह किताबें कुरान शरीफ हैं और बिहार में एक नाले से इन्हें निकाला गया है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर न केवल छह साल पुरानी है, बल्कि यह सऊदी अरब के तैफ प्रांत की है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है .
फेसबुक पेज 'खुज़ली तो होगी ही ' पर यह तस्वीर पिछले साल साझा की गई थी, जिसे अभी भी लोग शेयर कर रहे हैं. तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा गया है: 'बिहार में ये सब #कुरआन_पाक गटर नाली से पाए गए है. सारी मीडिया खामोश है अगर आप सच्चे मोमिन हो तो #अल्लाह_के_वास्ते ज्यादा से ज्यादा शेयर करें.' खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को 40000 से ज्यादा लोग शेयर कर चुके थे.
वायरल तस्वीर के साथ किए जा रहे दावे का सच जानने के लिए हमने इसे रिवर्स सर्च की मदद से ढूंढा. हमने पाया कि वायरल तस्वीर साल 2013 की है और सऊदी अरब के तैफ प्रांत की है.
हमें अरबी न्यूज वेबसाइट पर इस तस्वीर के साथ आर्टिकल भी मिले. 15 दिसंबर 2013 को प्रकाशित हुए इस आर्टिकल के अनुसार मिडिल स्कूल के एक छात्र अब्दुल अजीज बिन हुस्सैन अल—अहदल ने एक दिन स्कूल से लौटते हुए देखा कि नाली में कोई किताब गिरी हुई है और उसका कवर कुरान जैसा दिख रहा है. उसने इसकी जानकारी पिता को दी जिन्होंने बाद में प्रशासन को इसके बारे में बताया.
इस नाले में से 50 से ज्यादा कुरान शरीफ निकाली गई थीं. तैफ पुलिस ने केस दर्ज किया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर इतनी सारी कुरान वहां कैसे पहुंची. पड़ताल में यहा साफ हुआ कि वायरल तस्वीर बिहार से नहीं बल्कि सऊदी अरब से है और यह करीब छह साल पुरानी है.