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फैक्ट चेक: बीजेपी नेताओं से मारपीट का तीन साल पुराना वीडियो सीएए से जोड़कर वायरल

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें बीजेपी के चुनाव चिह्न वाला गमछा पहने कुछ लोग नजर आ रहे हैं. वीडियो में कुछ लोग इन लोगों के साथ धक्का-मारपीट करते दिख रहे हैं. पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि CAA, NRC और NPR के समर्थन में डोर-टू-डोर कैम्पेन कर रहे बीजेपी नेताओं के साथ लोग ऐसा सलूक कर रहे हैं.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
CAA NRC NPR के समर्थन में डोर टू डोट कैम्पेन कर रहे बीजेपी नेताओं के साथ मारपीट.
फेसबुक यूजर
सच्चाई
वायरल वीडियो तीन साल पुराना है और इसका CAA NRC NPR से कोई लेना देना नहीं है.

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें बीजेपी के चुनाव चिह्न वाला गमछा पहने कुछ लोग नजर आ रहे हैं. वीडियो में कुछ लोग इन लोगों के साथ धक्का-मारपीट करते दिख रहे हैं. पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि CAA, NRC और NPR के समर्थन में डोर-टू-डोर कैम्पेन कर रहे बीजेपी नेताओं के साथ लोग ऐसा सलूक कर रहे हैं.

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इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहा वीडियो करीब तीन साल पुराना है. इसका CAA, NRC और NPR से कोई लेना-देना नहीं है.

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

फेसबुक यूजर "Tajammul Ansari " ने वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा, जिसका हिन्दी अनुवाद है: "CAA NRC NPR के लिए समर्थन मांगने के लिए डोर टू डोर कैम्पेन के दौरान बीजेपी नेताओं का ऐसे किया लोगों ने स्वागत."

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फेसबुक पर यह वीडियो काफी वायरल है.

वायरल वीडियो के साथ किए जा रहे दावे का सच जानने के लिए हमने इसके कीफ्रेम्स काटे और इन्हें रिवर्स सर्च की मदद से ढूंढा. हमें यह वीडियो कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में मिला. इन रिपोर्ट्स के अनुसार यह वीडियो अक्टूबर 2017 का है और दार्जिलिंग का है.

दार्जिलिंग में भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष अपने काफिले के साथ दौरे के लिए गए थे. उस समय कथित रूप से विनय तमांग के गुट वाले गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा के लोगों ने उनके व अन्य लोगों के साथ मारपीट की थी.

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के लोग इस बात से नाराज थे कि जब वहां तीन महीने तक आंदोलन चल रहा था, तब कोई भाजपा नेता या भाजपा सांसद लोगों के बीच नहीं आया.

यह वीडियो पिछले साल भी अलग दावे के साथ वायरल हुआ था, उस समय ऑल्ट न्यूज ने वीडियो का सच सामने रखा था.

पड़ताल में साफ हुआ कि वायरल हो रहा वीडियो करीब तीन साल पुराना है और इसका CAA, NRC और NPR से कोई लेना-देना नहीं है.

क्या आपको लगता है कोई मैसैज झूठा ?
सच जानने के लिए उसे हमारे नंबर 73 7000 7000 पर भेजें.
आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
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