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फैक्ट चेक: बीजेपी नेताओं को दौड़ाने की ये घटना यूपी के लखीमपुर खीरी में नहीं बल्कि पंजाब के पटियाला में हुई थी

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया जा रहा है, जिसको लेकर दावा किया जा रहा है कि यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में किसानों ने बीजेपी नेता की पिटाई कर दी. इसको लेकर हमने पड़ताल की तो ये वीडियो पंजाब के पटियाला का निकला.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
यूपी के लखीमपुर खीरी में किसानों ने बीजेपी नेता की पिटाई कर दी . 
सोशल मीडिया यूजर्स  
सच्चाई
किसानों के बीजेपी नेताओं को बंधक बनाने की ये घटना पंजाब के पटियाला जिले की है. ये घटना सितंबर, 2021 में हुई थी. 

किसान आंदोलन के दौरान यूपी के लखीमपुर खीरी में चार किसानों के एसयूवी से कुचले जाने की घटना को एक साल हो चुका है. इस घटना में आठ लोगों की मौत हो गई थी और अब एक ऐसा वीडियो वायरल हो गया है जिसे पोस्ट करते हुए लोग कह रहे हैं कि लखीमपुर खीरी के लोगों ने एक बीजेपी नेता की पिटाई कर दी. 

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इस वीडियो में कुछ लोग सफेद कपड़े पहने एक शख्स के पीछे दौड़ रहे हैं.  कुछ पुलिसवाले उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं.  वीडियो के साथ लिखा है, ‘लखीमपुर की जनता ने की भाजपा नेता की कुटाई.’ 

एक फेसबुक यूजर ने लिखा, “पब्लिक ने कर दी भाजपा नेता की कुटाई”. 

फाइल फोटो

इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो लखीमपुर खीरी का नहीं बल्कि पंजाब के पटियाला का है और बीजेपी नेता को दौड़ाए जाने की ये घटना साल 2021 में हुई थी. 

कैसे पता लगाई सच्चाई? 

वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर ये हमें 12 जुलाई, 2021 की ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की एक रिपोर्ट में मिली. इसके मुताबिक पंजाब में पटियाला जिले के राजपुरा कस्बे में बीजेपी के स्थानीय नेताओं की एक मीटिंग के दौरान कुछ नेताओं को किसानों ने बंधक बना लिया था. इन्हें बाद में पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करके छुड़वाया था. खबर के मुताबिक वीडियो में भागता हुआ दिख रहा शख्स बीजेपी का राजपुरा का सभासद शांति स्वरूप है.  

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इसके अलावा हमें ‘editorji’ वेबसाइट पर भी ये खबर मिली. 11 जुलाई, 2021 की इस खबर में पटियाला की उसी घटना का एक दूसरे एंगल से बनाया गया वीडियो है.  यानी साफ है बीजेपी नेताओं के साथ किसानों की ये झड़प लखीमपुर खीरी में नहीं बल्कि साल 2021 में पटियाला के राजपुरा इलाके में हुई थी. 

केंद्र सरकार ने सितंबर 2020 में तीन नए कृषि कानून बनाए थे जिनके विरोध में किसानों ने नवंबर, 2020 से दिल्ली के बॉर्डर पर धरना शुरू कर दिया था. सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी समझौता नहीं हो सका तो 21 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया था.  

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