लोकसभा चुनावों के दौरान जहां चुनाव आयोग जगह-जगह छापेमारी कर कालेधन को दूर रखने की कोशिश कर रहा है, वहीं सोशल मीडिया पर नकदी के साथ कार की कुछ तस्वीरें के साथ एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है. दावा किया जा रहा है कि महाराष्ट्र के सांगली से बीजेपी विधायक सुधीर गाडगिल की कार से 20 हजार करोड़ रुपये बरामद किए गए हैं.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहा दावा भ्रामक है. दोनों तस्वीरें पुरानी हैं और अलग-अलग मौकों की हैं.
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
फेसबुक पेज “कांग्रेस समर्थक” ने ये तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा: “भाजपा के विधायक सुधीर गाडगिल की कार से 20 हजार करोड़ की नई करंसी पकड़ी गई है. ये खबर आग की तरह फैला दो क्योंकि अपने भारत की मीडिया में ये दिखाने की औकात नहीं.”
पोस्ट को इस तरह लिखा गया है ताकि यूजर्स को ये यकीन दिलाया जा सके कि ये ताजा घटना है.
फेसबुक यूजर “Suneel Kumar Sakrar” और “Hari Mandia Comrade” ने भी ये तस्वीरें पोस्ट की थीं, जिसे अब तक एक लाख से ज्यादा बार तक शेयर किया जा चुका है.
AFWA ने पड़ताल में पाया:
फोटो 1:
इस तस्वीर में सड़क किनारे सिविल वर्दी में पांच लोग एक पुलिसकर्मी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं और उनके पीछे कार में कुछ प्लास्टिक के बोरे दिखाई दे रहे हैं. इस तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमने पाया कि ये वाकया नवंबर 2016 में हुआ था, जब महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के इलेक्शन स्कवाड ने एक गाड़ी से छह करोड़ कैश बरामद किया था.
कथित रूप से ये नकदी सांगली स्थित एक अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक की थी. रिपोर्ट्स और बैंक की वेबसाइट के अनुसार सुधीर गाडगिल का भाई गणेश गाडगिल इस बैंक का चेयरमैन है. ये वाकया 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी की घोषणा के कुछ दिन बाद का है.
अधिकारियों के अनुसार कार से 60000 नोट 100 रुपये के, 88000 नोट 500 रुपये के और 10000 नोट 1000 रुपये के बरामद किए गए थे. उस समय कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था.
फोटो 2:
तस्वीर में कार्ड बोर्ड के बक्सों में 200,500 और 2000 रुपये के नए नोटों की गड्डियां दिखाई दे रही हैं. पड़ताल में हमने पाया कि ये तस्वीर नवंबर 2017 की है, यानी सांगली में कैश पकड़े जाने की घटना के करीब एक साल बाद की है.
आयकर विभाग ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के दलाल संजय गुप्ता के दिल्ली स्थित घर पर छापा मारा था और करीब 11 करोड़ रुपये बरामद किए थे. द टाइम्स ऑफ इंडिया सहित कई मीडिया संस्थानों ने वायरल हो रही इस तस्वीर के साथ यह खबर प्रकाशित की थी.
पड़ताल में ये स्पष्ट हुआ कि वायरल हो रही दोनों तस्वीरें कैश बरामदी की तो हैं लेकिन दोनों अलग-अलग घटनाओं की हैं और इनका एक दूसरे से कोई लेना देना नहीं हैं.