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फैक्ट चेक: क्या डूब कर मरने वाले को नमक से बचाया जा सकता है?

एक बच्चे की तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें दावा किया गया है कि अगर एक डूबे हुए इंसान को 4 घंटे तक नमक के नीचे रखा जाए तो वो जिंदा हो जाता है इस काम में देर न करें नमक का हिसाब किताब बाद में भी किया जा सकता है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
डूबे हुए व्यक्ति को नमक से ढकने से वो जिंदा हो जाता है.
फेसबुक पेज श्री मजीसा जसोल धाम
सच्चाई
ये दावा झूठा है, अंधविश्वास के चलते लोग इस तरह का काम करते हैं.

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क्या नमक से मृत इंसान जिंदा हो सकता है? सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर की मानें तो अगर किसी इंसान की डूबने से मौत होती है तो उसे नमक के ढेर के नीचे दबाने से वो जिंदा हो सकता है. जितनी जल्दी ये उपाय किया जाए, उतना अच्छा.

दावा क्या है?

एक बच्चे की तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें दावा किया गया है कि अगर एक डूबे हुए इंसान को 4 घंटे तक नमक के नीचे रखा जाए तो वो जिंदा हो जाता है. इस काम में देर न करें, नमक का हिसाब किताब बाद में भी किया जा सकता है.

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फेसबुक पेज श्री मजीसा जसोल धाम ने 12 अगस्त को ये पोस्ट शेयर किया. इस पोस्ट में एक बच्चे को नमक ढेर में दबा दिया जा रहा है जिसमें उसका सिर्फ सिर बाहर दिखाई दे रहा है. इस पोस्ट के साथ बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.

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सच्चाई क्या है?

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने पाया कि ये दावा बिल्कुल गलत है. ये पहला मौका नहीं है जब इस तरह की अफवाह फैलाई गई हो, इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं. हालांकि हम वायरल तस्वीर का असल स्त्रोत नहीं ढूंढ पाए. इस पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

फेसबुक पर खबर लिखे जाने तक 15 हजार से ज्यादा लोगों ने शेयर किया. हमने पाया कि कई दूसरे फेसबुक पेज पर भी इसे साझा किया, लेकिन दावे के साथ तस्वीरें अलग थीं.

दावे की जांच

दावे के साथ लिखा गया ‘अगर किसी की मौत डूबने से होती है और शरीर 3-4 घंटे के भीतर मिल जाता है, तो शरीर से कपड़े उतार कर उसे करीब 1.5 क्विटंल नमक से ढक दें, नमक धीरे धीरे पानी सोख लेगा, एक बार जब उसे होश आने लगें तो डॉक्टर के पास ले जाएं.

इस तरह से उन सभी का इलाज हो सकता है जिन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया है. भगवान की दया से सब ठीक होगा, अगर डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया है तो दाह संस्कार की जल्दी न करें.

क्या कहते हैं डॉक्टर?

एम्स, दिल्ली के फोरेंसिक विभाग के सहायक प्रोफेसर अभिषेक यादव कहते हैं कि एक बार हृदय और मस्तिष्क काम करना बंद कर दे तो किसी भी इंसान को मृत घोषित कर दिया जाता है. शरीर पर नमक डालने से दिल और दिमाग काम करना शुरू नहीं कर सकते, इसके पीछे सिर्फ अंधविश्वास है, नमक से इलाज का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. रिश्तेदार सिर्फ भावनाओं में बहकर इस तरह का काम करते हैं. नमक सदियों से किसी भी शरीर को बचाने में परिरक्षक का काम करता है, लेकिन ये किसी को जिंदा नहीं कर सकता.’

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क्या होता है जब कोई डूब जाता है?

डूबने से बचाने में सहायक और फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी लैबरोटरी ऑफ कोस्टल रिसर्च के प्रोफेसर डॉ जॉन आर फ्लिटेमायर ने एक्वाटिक इंटरनेशनल मैगजीन में लिखे एक लेख में डूबने की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से बताया.

प्रोफेसर कहते हैं कि एक बार जब डूबते वक्त इंसान बेहोश होता है तो पानी उसके फेफड़ों में पहुंच जाता है. इसके बाद ऑक्सीजन बनना बंद हो जाता है और शरीर के तमाम अंगों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचती. सांस लेना रुकने के बाद भी हृदय कुछ देर तेजी से धड़कता रहता है, एक बार सांस लेना बंद होते ही हृदय काम करना बंद कर देती है और इंसान की मृत्यु हो जाती है.’

डूबने का अंधविश्वास

राष्ट्रीय क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में करीब 30 हजार लोगों की मौत डूबने से हुई.

मध्य प्रदेश में भी पिछले साल इसी तरह की खबर आई थी जब अगस्त 2018 में शहडोल में एक बच्चे की डूबने से मौत हुई थी, बच्चे के पिता ने कहीं Whatsapp पर ये जानकारी पढ़ी और बच्चे को नमक से ढंक दिया. पंजाब केसरी अखबार ने ये खबर कवर की थी.

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