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फैक्ट चेक: क्या आपकी कार में सैनिटाइजर की बोतल से लग सकती है आग?

दिल्ली में एक कार में आग लगी जिसमें ड्राइवर की जान चली गई. पुलिस उस घटना में जांच करके यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आग कैसे लगी. लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा सैनिटाइजर का उपयोग करने के कारण हुआ.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
सैनिटाइजर ​की बोतल कार में न छोड़ें. इसमें पर्याप्त मात्रा में एल्कोहल होता है जो कि ज्वलनशील होता है. इससे आग लग सकती है.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
सैनिटाइजर की बोतल में खुद से आग लगने की संभावना बेहद कम है. लेकिन अगर बोतल खुली है तो सैनिटाइजर भाप बन जाएगा, जिसमें आग लगने के लिए छोटी सी चिंगारी काफी है.

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कोरोना वायरस महामारी फैलने के साथ यह उम्मीद की जा रही थी कि गर्मी बढ़ने से इस वायरस का खात्मा हो जाएगा. लेकिन गर्मी बढ़ने के बावजूद मौतें जारी हैं और तपती गर्मी से कोरोना वायरस के मरने की उम्मीदों पर पानी फिर चुका है. लोगों को अब ये एहसास हो गया है कि निकट भविष्य में भी जिंदा रहने के लिए मास्क और सैनिटाइटर जीवन का अनिवार्य हिस्सा बने रहेंगे.

अब लोग हर जगह सैनिटाइटर की बोतल भी अपने साथ रख रहे हैं. लेकिन क्या सैनिटाइजर की बोतल से आपकी कार में आग लगने का खतरा है? सोशल मीडिया पर कई पोस्ट में यह दावा किया जा रहा है कि सैनिटाइटर की बोतल से आपकी कार में आग लग सकती है. सोशल मीडिया पर जलती हुई कारों के कुछ वीडियो और फोटो वायरल हो रहे हैं. कहा जा रहा है कि इन कारों में कथित तौर पर सैनिटाइजर से आग लग गई.

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दिल्ली में एक कार में आग लगी जिसमें ड्राइवर की जान चली गई. पुलिस उस घटना में जांच करके यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आग कैसे लगी. लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा सैनिटाइजर का उपयोग करने के कारण हुआ.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रचंड गर्मी और धूप में सैनिटाइटर की बोतल से आपकी कार में आग लग सकती है, क्योंकि सैनिटाइटर शराब से बनता है और बेहद ज्वलनशील होता है? हैंड सैनिटाइटर के मटेरियल सेफ्टी डाटा को देखने और विशेषज्ञों से बात करने बाद इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि इस सवाल का संक्षिप्त सा जवाब है- नहीं.

यह असंभव है कि सैनिटाइजर की बोतल में खुद से आग पकड़ ले. लेकिन इसके कई खतरे भी हैं, इसलिए सैनिटाइजर की बोतल को कार के डैशबोर्ड पर छोड़ना खतरनाक साबित हो सकता है. कैसे, यह जानने के लिए आगे पढ़ें.

आग लगने का विज्ञान

एक सैनिटाइजर बोतल में "अपने आप आग लग जाने" के लिए जितना तापमान चाहिए, वह काफी ज्यादा है. भारत में जितनी गर्मी पड़ती है, उतनी गर्मी में घंटों तक बाहर सड़क पर खड़ी रहने के बाद कार जितनी गर्म होती है, उससे भी बहुत ज्यादा तापमान चाहिए.

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सबसे कम तापमान, जिस पर कोई भी पदार्थ सामान्य वातावरण में बिना किसी बाहरी चिंगारी या आग के खुद ही जल उठे, उसे स्वतः प्रज्ज्वलन तापमान (auto-ignition temperature) कहते हैं. सैनिटाइजर में पाए जाने वाले इथाइल एल्कोहल का स्वतः प्रज्ज्वलन तापमान 363°C होता है. यह तापमान इतना ज्यादा है कि टिन, लेड और कैडमियम जैसी धातुएं भी उस तापमान तक पहुंचने से पहले ही पिघल जाएंगी.

सैनिटाइटर के अलग-अलग ब्रांड में एल्कोहल की अलग-अलग मात्रा हो सकती है, लेकिन ज्यादातर में यह 60 से 80 फीसदी तक होता है. इसलिए आग लगने का मूल विज्ञान नहीं बदलेगा.

कोई कार अगर गर्मी के दौरान धूप में खड़ी है तो यह बहुत गर्म हो सकती है. ज्यादा तापमान में कार कैसे खतरनाक साबित हो सकती है, इस बारे में एक दिलचस्प अध्ययन कहता है कि यह इतनी गर्म हो सकती है कि इसके तापमान में अंडा फ्राई कर लिया जाए. यह बुरी तरह जलने या कम से कम एक बच्चे की जान लेने के लिए काफी है.

फिर भी, 363°C इससे बहुत ज्यादा है. इस तापमान तक पहुंचने से पहले ही कार में मौजूद धातुओं के अलावा बाकी चीजें जलकर राख हो जाएंगी. अग्निशमन के मामले में भारत सरकार के सलाहकार और मशहूर फायर एक्सपर्ट डीके शम्मी इस बात की पुष्टि करते हुए कहते हैं, "सैद्धांतिक रूप से, गर्म कार में रखी सैनिटाइजर की बोतल में खुद ही आग लग जाए, अगर यह असंभव नहीं है तो संभव भी नहीं है." लेकिन वे चेतावनी देते हैं कि इसमें खतरा है.

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क्या कार में सैनिटाइजर रखना खतरनाक है?

कल्पानी कीजिए कि किसी शख्स ने गर्मी की कड़क धूप में अपनी कार कुछ घंटे के लिए खड़ी कर दी. वह शख्स कार के डैशबोर्ड पर सैनिटाइजर की खुली बोतल भूल गया. बाद में वह कार में वापस आया और कार चलाने से पहले सिगरेट जलाई. अगले ही पल कार आग के गोले में बदल जाएगी. यह कैसे संभव हुआ, इसे समझने के लिए हमें एक वैज्ञानिक शब्दावली “फ्लैश पॉइंट” के बारे में जानना जरूरी है.

फ्लैश पॉइंट वह न्यूनतम तापमान बिंदु है जिस पर कोई ज्वलनशील तरल पदार्थ भाप में बदल जाता है और इसे जलाया जा सकता है.

सैनिटाइजर में पाए जाने वाले एल्कोहल का फ्लैश पॉइंट ​मात्र 21°C होता है. दिल्ली का तापमान आजकल इसका दोगुना ज्यादा है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर सैनिटाइजर की बोतल को खुला छोड़ दिया जाए तो गर्मी के कारण सैनिटाइजर भाप बनकर बोतल से बाहर, कार के भीतरी वायुमंडल में आ जाएगा.

सैनिटाइज़र में पाया जाने वाला यह एल्कोहल कार के अंदर अत्यधिक ज्वलनशील भाप के रूप में मौजूद रहेगा. डीके शम्मी कहते हैं, “यदि कार में रखी गई सैनिटाइजर की बोतल एयरटाइट नहीं है, तो इसकी भाप बंद कार के अंदर जमा होती रहेगी और यह गैस चैंबर की तरह हो जाएगी. फिर इसमें आग लगने के लिए एक छोटी सी चिंगारी या गाड़ी का हॉर्न ही काफी है.”

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ऐसे में अगर कोई आपको कार में सैनिटाइजर की बोतल न छोड़ने की चेतावनी दे रहा है तो यह बेबुनियाद नहीं है. सैनिटाइजर के सुरक्षा दिशानिर्देश में स्पष्ट रूप से कहा जाता है कि इसे बोतल में कसकर बंद रखने के साथ ठंडी और हवादार जगह पर रखना चाहिए. अगर आप हर चीज को सैनिटाइज करते हैं, यहां तक कि गाड़ी की चाबी भी, तो चाबी से सैनिटाइटर सूखने तक इंतजार करें, उसके बाद कार स्टार्ट करें.

आग के खतरे के अलावा, एक और कारण है जिसके लिए सैनिटाइजर को ठंडी जगह पर रखना चाहिए. ज्यादा गर्मी के संपर्क में आने से सैनिटाइजर की कीटाणुनाशक क्षमता कमजोर हो जाती है.

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