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फैक्ट चेक: चीन ने नहीं मांगी कोरोना वायरस के 20000 मरीजों को मारने की अनुमति, वायरल पोस्ट फर्जी

कोरोना वायरस को लेकर एक फर्जी आर्टिकल को सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है उसमें छपे आर्टिकल में लिखा गया है कि चीन ने कोर्ट  से कोरोना वायरस के 20000 मरीजों को मारने की अनुमति मांगी है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
चीन ने कोर्ट से कोरोना वायरस के 20000 मरीजों को मारने की अनुमति मांगी
फेसबुक यूजर
सच्चाई
वायरल आर्टिकल में किया गया दावा गलत है, चीन में ऐसी कोई पेटिशन कोर्ट में नहीं दी गई है.

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चीन में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच सोशल मीडिया पर एक न्यूज आर्टिकल वायरल हो रहा है. इसमें कहा जा रहा है कि चीन ने कोर्ट से कोरोना वायरस के 20000 मरीजों को मारने की अनुमति मांगी है, ताकि इस वायरस को फैलने से रोका जा सके.

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इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहे न्यूज आर्टिकल में किया जा रहा दावा गलत है. जिस वेबसाइट पर यह आर्टिकल पब्लिश हुआ है उस पर कई फर्जी आर्टिकल्स मौजूद हैं, जिससे इस वेबसाइट की सत्यता पर सवाल उठते हैं. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां  देखा जा सकता है.

फेसबुक पर कई अन्य यूजर्स जैसे Muhammad Alfa Raji ने भी इस लेख को सच माना है और शेयर किया है.

फेसबुक पेज 'The Pharmacist' ने इस आर्टिकल का लिंक शेयर किया. ab-tc.com  पर छपे इस आर्टिकल में लिखा गया है: 'चीन ने कोर्ट  से कोरोना वायरस के 20000 मरीजों को मारने की अनुमति मांगी है, ताकि इस वायरस को फैलने से रोका जा सके. चीन का सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम पीपल्स कोर्ट शुक्रवार को इस अपील पर फैसला सुनाएगा.'

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वायरल आर्टिकल का सच जानने के लिए जब हमने इसे ध्यान से देखा तो पाया कि इस आर्टिकल पर किसी रिपोर्टर की बायलाइन की बजाए 'लोकल कोरसपॉन्डेंट्स' लिखा गया है. वहीं इस खबर के पक्ष में किसी प्रमाण को भी लिंक नहीं किया गया है. यहां तक कि जहां जहां आर्टिकल में किसी डॉक्यूमेंट या प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र आता है, वहां भी कोई सोर्स नहीं दिया गया है और आर्टिकल में कोई भी स्टेटमेंट किसी व्यक्ति या अधिकारी के नाम से नहीं दिया गया है.

अगर वायरल आर्टिकल में किया जा रहा दावा सच होता तो चीन में मौजूदा हालात के बीच यह बहुत बड़ी खबर होती. हमें इस आर्टिकल के दावे को सही साबित करती कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली.

The New York Times  में 6 फरवरी को प्रकाशित ताजा रिपोर्ट के अनुसार चीन में वरिष्ठ अधिकारियों ने वुहान शहर में अथॉरिटीज को वायरस से इंफेक्टेड लोगों को किसी ऐसी जगह में रखने के निर्देश दिए हैं जहां से यह वायरस और लोगों में न फैल सके. हालांकि इस रिपोर्ट में भी मरीजों को मारने का जिक्र नहीं है.

वहीं सुप्रीम पीपल्स कोर्ट की वेबसाइट पर भी इस तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई है.

वेबसाइट पर फर्जी आर्टिकल्स की भरमार

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हमने इस आर्टिकल को छापने वाली वेबसाइट ab-tc.com को भी खंगाला तो पाया कि इस वेबसाइट पर ऐसे कई फर्जी आर्टिकल्स मौजूद हैं. इस वेबसाइट पर सेलिब्रिटी कपल कौनी फग्रुसन व शोना फग्रुसन की मौत की झूठी खबर से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के डॉक्टर्ड ट्वीट्स आदि तक पर आर्टिकल्स लिखे गए हैं.

ab-tc.com वेबसाइट पर न तो कोई कॉन्टैक्ट डीटेल्स दी गई हैं और न ही इस वेबसाइट पर अबाउट अस का कोई पेज है. हमने जब इसके बारे में 'who.is' से जानकारी जुटाने की कोशिश की तो पाया कि यह वेबसाइट चीन के गुआंगडॉन्ग में रजिस्टर की गई है, लेकिन वेबसाइट अंग्रेजी भाषा में है और इस पर ज्यादातर कॉन्टेंट अमेरिका से जुड़ा हुआ है. ऐसे में इस वेबसाइट की सत्यता पर यकीन कर पाना मुश्किल है.

फैक्ट चेकिंग वेबसाइट Snopes ने भी इस वायरल आर्टिकल की पोल खोली है. पड़ताल में साफ हुआ कि वायरल हो रहे आर्टिकल में किया जा रहा दावा सही नहीं है.

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